उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना मार्च 2020 में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गयी थी। यह योजना मेक इन इंडिया पहल के एक भाग के रूप में कार्य करती है। इस योजना के अंतर्गत पात्र फर्मों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री की वृद्धि को अगले पांच वर्ष तक प्रोत्साहन प्रदान करना है। इस योजना का उद्देश्य चीन जैसे देशों पर भारत की निर्भरता को कम करना और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को सृजित करना है।
यह योजना विदेशी और घरेलू दोनों कंपनियों को भारत में अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करती है। PLI योजना का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीको में विदेशी निवेश को आकर्षित करना, निर्यात को बढ़ावा देना तथा भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करना है। इच्छुक उद्यमियों को PLI लाभों के लिए आवेदन करने के लिए विशिष्ट पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के उद्देश्य
PLI योजना के मुख्य उद्देश्य हैं:
- विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना और घरेलू बिक्री एवं निर्यात के लिए निष्पक्ष व्यवहार को बढ़ावा देना।
- उन्नत तकनीक और प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करना, निर्यात को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास में योगदान देना।
- PLI योजना विभिन्न लाभ प्रदान करती है, जिसमें आयात और निर्यात शुल्क पर रियायतें, कर छूट, सस्ती भूमि अधिग्रहण और नई परियोजनाओं का प्रबंधन करने वाले एंकर निवेशकों के लिए समर्थन शामिल है।
- यह योजना सतत विकास और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करती है, जिससे यह एक प्रभावी और सुलभ कार्यक्रम बन जाता है।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के लाभ
PLI योजनाओं के लाभ:
- प्रमुख क्षेत्रों का समर्थन: PLI योजनाएं आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति और रणनीतिक महत्त्व के लिए महत्त्वपूर्ण उद्योगों को लक्षित करती हैं।
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार: यह योजना निर्यात-उन्मुख उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है और भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
- नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा: प्रोत्साहन के लिए पात्र कंपनियों को उन्नत तकनीक और पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है, जिससे नवाचार और दक्षता में सुधार होगा।
- औद्योगिक अवसंरचना को मजबूत करना: यह योजना औद्योगिक अवसंरचना के विकास का समर्थन करती है, जिससे कंपनियों के लिए अपनी उत्पादन इकाइयां को स्थापित या विस्तार करना आसान हो जाता है।
- आर्थिक विकास में तीव्रता: इस योजना ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा प्रदान कर रोजगार के अवसर सृजित किये है। इससे देश में प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में PLI योजना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
- विनिर्माण को बढ़ावा देना: PLI योजनाएं वृद्धिशील बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान कर घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है। इससे देश के भीतर वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
- आयात पर निर्भरता कम करना: घरेलू उत्पादन को समर्थन प्रदान करके, PLI योजना के द्वारा अन्य देशों से होने वाले आयात पर भारत की निर्भरता को कम किया गया है। इसके साथ ही भारत की विनिर्माण क्षेत्र आत्मनिर्भरता में सुधार और व्यापार घाटे को कम करने में सहायता मिली है।
- रोजगार के अवसर सृजित करना: यह योजना श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिससे देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुईं हैं और साथ में बेरोजगारी दर भी कम हुईं है।
- विदेशी निवेश को आकर्षित करना: PLI योजनाओं ने उधोगों को प्रोत्साहन प्रदान करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिय है। जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि के साथ विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए आकर्षित करता है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण: इस योजना का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के साथ-साथ घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। यह योजना भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने में सहायता करती है, जिससे भारत व्यापार और निवेश के लिए अधिक आकर्षक गंतव्य बन सकता है।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना में आने वाली समस्याएँ
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना में सामने आने वाली कुछ संभावित समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- प्रतियोगिता और बाजार की गतिशीलता: पात्र कंपनियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा से संभावित मूल्य युद्ध या बाजार में विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
- अनुपालन और रिपोर्टिंग का बोझ: PLI योजना में भाग लेने वाली कंपनियों को रिपोर्टिंग और दस्तावेज़ आवश्यकताओं का अनुपालन करने के लिए अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ उठाना पड़ता है।
- क्षेत्रीय असंतुलन: विभिन्न क्षेत्रों द्वारा प्राप्त लाभों में असमानता हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था में संभावित असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
- मौजूदा निवेशों पर प्रभाव: PLI योजना मौजूदा परियोजनाओं या उन क्षेत्रों से निवेश को कम कर सकती है जो योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं, जिससे उनकी विकास संभावनाएं प्रभावित होती है।
- कार्यान्वयन में देरी: विभिन्न क्षेत्रों के लिए PLI योजना के कार्यान्वयन में नौकरशाही प्रक्रियाओं, प्रशासनिक चुनौतियों या नीतिगत परिवर्तनों के कारण देरी हो सकती है।
- पात्रता मानदंड: योजना में भाग लेने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंड कुछ कंपनियों के लिए बहुत कड़े या प्रतिबंधात्मक माने जा सकते हैं, जिससे उनकी योजना में भाग लेने की उनकी क्षमता बाधित होती है।
- वित्तीय बाधाएँ: पात्र कंपनियों को प्रोत्साहन का पर्याप्त वित्तपोषण, वितरण योजना की प्रभावशीलता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसके अतिरिक्त, PLI योजना ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत के एकीकरण और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता के सुधार में योगदान दिया है।
हालांकि, इस योजना को कार्यान्वयन में देरी, कठोर पात्रता मानदंड और वित्त पोषण की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। PLI योजना के लाभों को अधिकतम करने के लिए, इन मुद्दों को हल करने के लिए चल रहे प्रयास महत्त्वपूर्ण है।
समान्य प्रश्नोत्तर (FAQs)
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के लाभ क्या है?
PLI योजना के लाभों में शामिल हैं:
1. घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना,
2. प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना,
3. रोजगार के अवसरों को सृजित करना,
4. निवेश आकर्षित करना,
5. अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात निर्भरता को कम करना।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के अंतर्गत 14 विनिर्माण उद्योग कौन से है?
PLI के अंतर्गत 14 विभिन्न उद्योगों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल्स, वस्त्र, आदि है।
भारत की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना कैसे कार्य करती है?
भारत PLI योजना 14 क्षेत्रों में पूर्व निर्धारित उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने वाली कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, इस प्रकार यह योजना इन कंपनियों को अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार करने और देश के आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करती है।