ऊर्जा मंत्रालय ऐसी नीतियों और योजनाओं को लागू करने की कोशिश कर रहा है जिनके द्वारा सम्पूर्ण देश को एक राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़कर, वितरण नेटवर्क में सुधार करके, प्रत्येक घर तक विद्युत की पहुंच को सुनिश्चित किया जा सकें। इसलिए ऐसी नीतियों को लागू करने के लिये भारत सरकार विद्युत संसाधनों के निर्माण पर फोकस कर रही हैं।
भारत में कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल, पनबिजली, परमाणु ऊर्जा, पवन, सौर और यहां तक की कृषि और घरेलू अपशिष्ट सहित ऊर्जा स्रोतों का विविध मिश्रण है। देश में विद्युत क्षेत्र विद्युत की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है और इस मांग को पूरा करने के लिये अधिक बिजली संयंत्रों स्थापित करने की आवयश्कता है।
भारत के विद्युत क्षेत्र के विषय में महत्वपूर्ण तथ्य
- 31 जनवरी, 2023 तक 64 गीगावॉट की स्थापित विद्युत क्षमता के साथ भारत वैश्विक स्तर पर बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
- पनबिजली सहित भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 31 जनवरी, 2023 तक 4 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40.9% है। इसमें सौर ऊर्जा से 63.3 गीगावॉट, पवन ऊर्जा से 41.9 गीगावॉट, बायोमास से 10.2 गीगावॉट, लघु जलविद्युत से 4.92 गीगावॉट, अपशिष्ट से ऊर्जा 0.52 गीगावॉट और जलविद्युत से 46.85 गीगावॉट शामिल है।
भारत के विद्युत क्षेत्र में प्रणालीगत मुद्दे
- ऊर्जा क्षेत्र में विद्युत उत्पादन से संबंधित मुद्दे:
- ईंधन की उच्च लागत: पर्यावरणीय स्वीकृति में देरी, भूमि अधिग्रहण के मुद्दों और उन्नत प्रौद्योगिकियों में अपर्याप्त निवेश के कारण राज्य संचालित कोल इंडिया को कोयला निष्कर्षण में बाधाओं का सामना करना पड़ा है, परिणामस्वरूप ईंधन की लागत महँगी हुई हैं।
- आयातित कोयले पर निर्भरता: प्रचुर मात्रा में कोयला भंडार होने के बावजूद बिजली कंपनियों को प्राय: महंगे कोयले के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
- गैर-नवीकरणीय संसाधनों से उच्च योगदान: लगभग 80% भारत का बिजली उत्पादन कोयला, प्राकृतिक गैस और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन से प्राप्त तापीय बिजली पर निर्भर करता है।
- पुराने बिजली संयंत्र: भारत में कई बिजली संयंत्र बहुत पुराने और अक्षम हैं, जिससे विद्युत क्षेत्र में निर्माण बाधित हो रहा हैं।
- विद्युत क्षेत्र में पारेषण और वितरण से संबंधित मुद्दे:
- अलाभकारी सब्सिडी: कृषि क्षेत्र में सब्सिडी की लागत को करने के लिए टैरिफ में पर्याप्त वृद्धि नहीं की गई है।
- उच्च समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) घाटा: विद्युत वितरकों (डिस्कॉम) को उच्च समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटे का सामना करना पड़ रहा है, कुछ राज्यों में यह हानि 40% तक है, जबकि राष्ट्रीय औसत 27% है।
- निजी क्षेत्र से निवेश की कमी: डिस्कॉम की खराब वित्तीय स्थिति ने विद्युत क्षेत्र में नए निवेश को हतोत्साहित किया है, विशेषकर निजी क्षेत्र।
- अपर्याप्त प्रतिस्पर्धात्मकता: उच्च औद्योगिक/वाणिज्यिक टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी व्यवस्था ने औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित किया है।
- राजस्व-संग्रह में कमी: आपूर्ति की औसत लागत और प्राप्त राजस्व के बीच व्यापक अंतर के कारण डिस्कॉम पर बकाया बढ़ता जा रहा है।
भारत में विद्युत क्षेत्र से संबंधित सरकारी नीतियां और पहल
- केंद्रीय बजट 2022-23 में, भारत सरकार ने सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए 7,327 करोड़ रुपये जिसमें ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और पीएम-कुसुम परियोजनाएं शामिल हैं।
- केंद्रीय बजट 2022-23 में सॉवरेन ग्रीन बांड की घोषणा की गई और ग्रिड-स्केल बैटरी सिस्टम सहित ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बुनियादी अवसरंचना का दर्जा दिया गया।
- हरित ऊर्जा गलियारा परियोजनाओं का लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा निकासी की सुविधा प्रदान करना और ग्रिड को नया आकार देना है। अक्टूबर 2022 तक 8,651 किमी ट्रांसमिशन लाइनें और 19,558 एमवीए इंट्रा-स्टेट सबस्टेशन का निर्माण किया गया है।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश भर में रूफटॉप सोलर (RTS) को प्रोत्साहित करने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित किया है, जो आवासीय उपभोक्ताओं को डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनी) की स्वीकृति की प्रतीक्षा किए बिना रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है।
- उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (The Production Linked Incentive Scheme (Tranche II) के लिए 19,500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई हैं।
- एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट और ऊर्जा-दक्षतापूर्ण पंखों के वितरण के साथ ऊर्जा-बचत पहल को लागू किया गया है, जिससे बिजली की खपत में बचत होगीं।
- राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) के अंतर्गत 62 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर को वितरित किया गया है।
- विद्युतीकरण के प्रयासों को सौभाग्य योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY), उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY) और एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS) जैसी योजनाओं द्वारा लागू किया जा रहा है।
भारत में विद्युत क्षेत्र की समस्याओं का समाधन
- सब्सिडी में सुधार जैसे कृषि के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रति एकड़ भूमि पर प्रत्यक्ष सब्सिडी हस्तांतरित करने पर विचार किया जाना चाहिए।
- कुसुम योजना, कृषि में सौर पंपों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही स्थानीय डिस्कॉम को किसानों से अधिशेष बिजली खरीदने में सक्षम बनाया जा रहा है।
- क्रॉस-सब्सिडी युक्तिकरण को प्रभावी ढंग से लागू करना आवश्यक है।
- सरकार को सॉफ्ट पॉवर के रुप में सीमा पार विद्युत व्यापार को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिए।
- विद्युत की मांग को प्रबंधित करने के लिए, 100% मीटरिंग-नेट मीटरिंग, स्मार्ट मीटर और कृषि को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की मीटरिंग शुरू करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
भारतीय विद्युत क्षेत्र के वर्तमान दशक (2020-2029) में उल्लेखनीय परिवर्तन करना जरुरी है क्योंकि वर्तमान में विद्युत-मांग में वृद्धि, ऊर्जा स्रोतों और बाजार की गतिशीलता में पर्याप्त बदलाव का अनुभव हो रहा है।
ऊर्जा मंत्रालय 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के व्यापक उद्देश्य के साथ, 2026 तक 81 थर्मल इकाइयों में कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन को नवीकरणीय स्रोतों में परिवर्तन करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। ये पहल राष्ट्र के लिए अधिक सतत और लचीली ऊर्जा भविष्य के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।
सामान्य अध्ययन-3