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भारतीय राजव्यवस्था 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

Last updated on June 26th, 2024 Posted on June 10, 2024 by  3531
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में एक वैधानिक निकाय है, जो पूरे देश में मानवाधिकारों की रक्षा, संरक्षण और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य करता है। स्वतंत्रता की रक्षा, न्याय की वकालत और मानवाधिकारों के सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देकर, NHRC न केवल व्यक्तियों की रक्षा करता है बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी मजबूत करता है। NEXT IAS के इस लेख में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का विस्तार से अध्ययन किया गया है, जिसके अंतर्गत इसकी संरचना, शक्तियां, कार्य, इसके समक्ष आने वाली चुनौतियां एवं अन्य संबंधित पहलू सम्मिलित हैं।

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में एक वैधानिक निकाय है, जिसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया है।
    • इस प्रकार, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
  • यह देश में मानवाधिकारों के प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
  • इसे भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त और अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों में निहित जीवन, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा से संबंधित अधिकारों की रक्षा करने का कार्य सौंपा गया है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
    • आयोग भारत के अन्य स्थानों में भी कार्यालय स्थापित कर सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, ‘मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो सभी मनुष्यों में निहित हैं, चाहे उनकी जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो।’
  • बिना किसी भेदभाव के ये मानवाधिकार सभी के लिए हैं।
  • मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, दासता और यातना से मुक्ति, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कार्य और शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
  • प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना के विशिष्ट उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • उन संस्थागत व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना जिनके माध्यम से मानवाधिकारों के मुद्दों को अधिक केंद्रित तरीके से संबोधित किया जा सकता है।
  • सरकार से स्वतंत्र होकर ज्यादतियों के आरोपों की जांच करना, ताकि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जा सके।
  • इस दिशा में पहले से किए गए प्रयासों का पूरक बनना तथा उन्हें और मजबूत करना।
  • आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसमें निम्नलिखित पूर्णकालिक सदस्य होते हैं:
    • एक अध्यक्ष, और 5 अन्य सदस्य।
  • इन पूर्णकालिक सदस्यों के अतिरिक्त, आयोग में निम्नलिखित 7 पदेन सदस्य भी हैं:
    • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष,
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष,
    • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष,
    • राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष,
    • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष,
    • बाल अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष, और
    • दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के पूर्णकालिक सदस्यों की योग्यताएं निम्नलिखित हैं:

अध्यक्षभारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश।
प्रथम सदस्यउच्चतम न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश।
द्वितीय सदस्यकिसी उच्च न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश।
तीसरे, चौथे और पांचवें सदस्यमानवाधिकारों के संबंध में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्ति।नोट: इन तीन सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए।
  • NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा छह सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर की जाती है, इस समिति में शामिल हैं:
    • प्रधान मंत्री (समिति के प्रमुख के रूप में),
    • लोकसभा अध्यक्ष,
    • राज्य सभा के उपसभापति,
    • लोकसभा में विपक्ष के नेता,
    • राज्य सभा में विपक्ष के नेता, और
    • केंद्रीय गृह मंत्री।
नोट: उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद ही नियुक्त किया जा सकता है।
  • NHRC के अध्यक्ष और सदस्य 3 वर्ष की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर रहते हैं।
    • अध्यक्ष और अन्य सदस्य NHRC में पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र हैं।
    • अपने कार्यकाल के बाद, अध्यक्ष और सदस्य केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी अन्य पद के लिए पात्र नहीं होते हैं।
  • राष्ट्रपति अध्यक्ष या किसी सदस्य को पद से हटा सकते हैं यदि वह:
    • दिवालिया घोषित कर दिया जाता है,
    • अपने कार्यकाल के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के अलावा किसी अन्य रोजगार में संलग्न होता है,
    • मानसिक या शारीरिक दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है,
    • मानसिक रूप से अस्वस्थ हों, और एक सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया हों,
    • किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और कारावास की सजा सुनाई गई है।
    • राष्ट्रपति साबित कदाचार या अक्षमता के आधार पर भी अध्यक्ष या किसी सदस्य को हटा सकते हैं।
  • हालाँकि, इन मामलों में राष्ट्रपति को मामले को जांच के लिए उच्चतम न्यायालय को भेजना होगा।
  • यदि उच्चतम न्यायालय, जांच के बाद, पद हटाने के कारण को सही ठहराता है और ऐसी सलाह देता है, तो राष्ट्रपति NHRC के अध्यक्ष या सदस्य को हटा सकते हैं।

अध्यक्ष या सदस्य के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं, परन्तु उनकी नियुक्ति के पश्चात् उनमें अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जा सकते।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  • किसी लोक सेवक द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के रोकथाम में की गई लापरवाही की जांच करना, चाहे यह जांच स्वप्रेरणा से हो या उनके समक्ष प्रस्तुत याचिका या फिर न्यायालय के आदेश से।
  • किसी न्यायालय में लंबित मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप से संबंधित किसी कार्यवाही में हस्तक्षेप करना।
  • कैदियों के जीवन स्थितियों के विषय में जानने के लिए कारावासों एवं हिरासत स्थलों का दौरा करना और उन पर सिफारिशें करना।
  • मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना।
  • आतंकवादी कृत्यों सहित उन कारकों की समीक्षा करना जो मानवाधिकारों को बाधित करते हैं तथा उपचारात्मक उपायों की सिफारिश करना।
  • मानवाधिकारों पर संधियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय समझोतों का अध्ययन करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना।
  • मानवाधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान करना और उन्हें बढ़ावा देना।
  • लोगों में मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार करना तथा इन अधिकारों के लिए उपलब्ध सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • मानवाधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रयासों को प्रोत्साहित करना। मानवाधिकारों के संवर्धन के लिए आवश्यक समझे जाने वाले अन्य कार्यों को करना।
  • आयोग के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए अपना स्वयं का जांच दल होता है।
  • इसके अतिरिक्त जांच के उद्देश्यों के लिए केंद्र या किसी राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या जांच एजेंसी की सेवाओं का भी उपयोग कर सकते हैं ।
  • विगत वर्षों में आयोग ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ भी प्रभावी सहयोग स्थापित किया है।
  • NHRC को अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है।
  • इसके पास सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त हैं और इसकी कार्यवाही भी न्यायिक प्रकृति की है।
  • यह केंद्र एवं राज्य सरकारों या उनके किसी अन्य अधीनस्थ प्राधिकारी से सूचना या रिपोर्ट मांग सकते हैं। आयोग को मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले अधिनियम के एक वर्ष की समाप्ति के बाद किसी भी मामले की जाँच करने का अधिकार नहीं है।
  • दूसरे शब्दों में, यह घटना होने के एक वर्ष के भीतर मामले की जांच कर सकता है। आयोग जांच के दौरान या उसके पूरा होने पर निम्नलिखित में से कोई भी कदम उठा सकता है:
    • संबंधित सरकार या प्राधिकरण को पीड़ित को मुआवजा या क्षतिपूर्ति का भुगतान करने की सिफारिश करना।
    • संबंधित सरकार या प्राधिकरण को दोषी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अभियोजन या किसी अन्य कार्रवाई के लिए कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश करना।
    • संबंधित सरकार या प्राधिकरण को पीड़ित को तत्काल अंतरिम राहत प्रदान करने की सिफारिश करना।
    • आवश्यक निर्देशों, आदेशों या रिट के लिए सर्वोच्च न्यायालय या संबंधित उच्च न्यायालय से संपर्क करना।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य मुख्य रूप से सलाहकार प्रकृति के होते हैं।
  • आयोग को मानवाधिकारों के उल्लंघनकर्ताओं को दंडित करने या पीड़ित को मौद्रिक राहत देने की शक्ति प्राप्त नहीं है।
  • इसकी सिफारिशें संबंधित सरकार या प्राधिकरण के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। लेकिन, एक महीने के भीतर आयोग की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
  • सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका, शक्तियां और क्षेत्राधिकार सीमित हैं।
  • इस संबंध में, आयोग केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांग सकता है और उसके आधार पर सिफारिशें कर सकता है। केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में आयोग को सूचित करना चाहिए।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार को अपनी वार्षिक या विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
  • इन रिपोर्टों को संबंधित राज्य विधानसभाओं के समक्ष रखा जाता है, साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई का ज्ञापन और ऐसी किसी भी सिफारिश को अस्वीकार करने के कारण भी बताना अनिवार्य हैं।
  • NHRC भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को संबोधित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूरे देश में NHRC द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों के उदाहरण दिए गए हैं।
    • मनमाना गिरफ्तारी और नजरबंदी
    • हिरासत में यातना और मौतें
    • फर्जी मुठभेड़
    • सांप्रदायिक हिंसा
    • महिलाओं और बच्चों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों पर किए गए अत्याचार
    • सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान न किया जाना
    • बाल श्रम
    • न्यायिक हत्याएँ
    • यौन हिंसा और दुर्व्यवहार
    • LGBTQ समुदाय के अधिकार
    • SC/ST, विकलांग लोग और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक मुद्दे
    • श्रम अधिकार और काम करने का अधिकार
    • संघर्ष-प्रेरित आंतरिक विस्थापन
    • हाथ से मैला ढोना;

NHRC ने प्रभावी कामकाज में आने वाली विभिन्न समस्याओं की पहचान की है, जोकि निम्नलिखित है:

  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, जिसमें अपर्याप्त निधि और कर्मचारियों की कमी शामिल है, NHRC के सुचारू कामकाज को बाधित करता है।
  • प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में आयोग को शक्तियों का अपर्याप्त हस्तांतरण।
  • गृह मंत्रालय से वार्षिक अनुदान सहायता पर निर्भरता NHRC की वित्तीय स्वायत्तता को सीमित करती है।
  • अपर्याप्त वित्तीय सहायता उभरते मानवाधिकार मुद्दों को संबोधित करने और अपने जनादेश को व्यापक रूप से पूरा करने के लिए आयोग की क्षमता को सीमित करते हैं।
  • NHRC लगातार अपनी स्वीकृत संख्या से कम कार्यबल के साथ कार्य कर रहा है, जिससे परिचालन संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं।
  • शिकायतों को संभालने और उनके समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण विधि विभाग को निरंतर कार्यबल की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे लंबे समय में इसकी प्रभावशीलता प्रभावित होती है।
  • अनुभवी जांच अधिकारियों की कमी के कारण हिरासत में हुई मौतों, यातना और अवैध गिरफ्तारी जैसे मामलों पर त्वरित जांच करने की क्षमता को प्रभावित होती है।
  • कानूनी विश्लेषण, जांच तकनीक और मानवाधिकार वकालत जैसे क्षेत्रों में NHRC कर्मियों की विशेषज्ञता का अपर्याप्त स्तर आयोग की दक्षता को बाधित करता है।
  • विभिन्न परिचालनात्मक चुनौतियों के कारण NHRC देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है, जिससे मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उसके अधिदेश में बाधा आती है।
  • आयोग की सीमित पहुंच होने से दूरदराज या हाशिए के क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की उसकी क्षमता में बाधा उत्पन्न कर होती है।
  • NHRC के कार्यों के बारे में जनता के बीच सीमित जागरूकता मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टिंग और पीड़ितों के लिए न्याय तक पहुंच को बाधित करती है।

आयोग द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण अभ्यास प्रदान करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे मानवाधिकार मामलों को संभालने के लिए दक्ष हैं।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सिविल सोसाइटी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के सदस्यों को शामिल करके NHRC की संरचना में विविधता लाई जानी चाहिए।
  • सुचारू कामकाज सुनिश्चित करने और पर्याप्त बुनियादी ढांचे एवं नियमित वित्तीय प्रबंधन की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार या जवाबदेही की कमी जैसी प्रणालीगत समस्याओं का समाधान करना।
  • मानवाधिकारों के उल्लंघन के पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए समयबद्ध जांच की आवश्यकता पर ध्यान देना।
  • NHRC के फैसलों को लागू करने योग्य बनाया जाना चाहिए ताकि उसकी शक्तियों एवं अधिकार में वृद्धि हो सके।
  • शिकायत प्रक्रिया को सरल बनाना, मामले के प्रबंधन में सुधार और अन्य मानवाधिकार निकायों में सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाना।
  • सोशल मीडिया के माध्यम से भी सार्वजनिक सुनवाई आयोजित करके तथा सिविल सोसाइटी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग करके पहुंच और संचार में वृद्धि करना।
  • मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए सिविल सोसाइटी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।
  • भारत में मानवाधिकारों की स्थिति को मजबूत करने के लिए राज्य और गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं के बीच सहयोग आवश्यक है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग निरंतर विकसित हो रही चुनौतियों के सामने मानवाधिकारों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। स्वतंत्रता की रक्षा, न्याय की पैरवी और मानवाधिकारों के सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देकर, NHRC न केवल व्यक्तियों की रक्षा करता है बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी मजबूत करता है। निरंतर प्रगति के लिए ऐसी संस्थाओं का लगातार समर्थन और उनका सुदृढ़ीकरण आवश्यक है जिससे मानवाधिकारों का सर्वत्र सम्मान किया जाए और उन्हें प्राप्त किया जाए, जिससे एक अधिक न्यायपूर्ण और समानता पर आधारित विश्व का मार्ग प्रशस्त हो सके।

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