13 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस मनाता है। यह विश्व को स्मरण कराने का अवसर है कि आपदा जोखिम मानव-प्रेरित है तथा इसके साथ ही आपदा जोखिम को कम करने और जीवन, आजीविका एवं स्वास्थ्य को होने वाली हानि को कम करने के प्रयासों में प्रगति को भी मान्यता प्रदान करना है।
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस का विषय
- 1989 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जोखिम जागरूकता और आपदा तैयारियों की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने के आह्वान के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस (IDDRR) की स्थापना की गई थी।
- प्रत्येक वर्ष 13 अक्टूबर को मनाया जाने वाला यह दिन इस बात का उत्सव मनाता है कि कैसे विश्वभर के लोग और समुदाय आपदाओं के प्रति अपने जोखिम को कम कर रहे हैं तथा उन जोखिमों को कम करने के महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ा रहे हैं जिनका वे सामना करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2023 की थीम
- अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस (IDDRR) की थीम है “एक लचीले भविष्य के लिए असमानता से लड़ना।”(“Fighting inequality for a resilient future.”)
- अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2023 की थीम जीवन, आजीविका, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के नुकसान को रोकने और कम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते, सेंडाई फ्रेमवर्क के अनुरूप है।
- प्रगति को मापने के लिए सात वैश्विक लक्ष्य और 38 संकेतक हैं।
- सेंडाई फ्रेमवर्क पेरिस जलवायु समझौते का पूरक है और दोनों रूपरेखाएं सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रासंगिक हैं।
- 2023 अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस आपदाओं और असमानता के बीच अंतर्संबंधों का पता करेगा।
- आपदा जोखिम और असमानता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
- वित्त और बीमा जैसी सेवाओं तक असमान पहुंच आर्थिक रूप से कमजोर समूह के लिए आपदाओं के खतरे उत्पन्न करते है।
- जबकि आपदाओं के प्रभाव असमानता को बढ़ाते हैं और सबसे कमजोर लोगों को और गरीबी में धकेलते हैं।
- 2023 अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2015 से 2030 तक आपदा खतरों को कम करने के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क की मध्य-अवधि समीक्षा के पश्चात् आयोजित किया जाएगा।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मई 2023 में एक राजनीतिक घोषणा को अपनाया ताकि आपदाओं के प्रति लचीलापन मजबूत करने के लिए कार्रवाई को तेज किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस पर मुख्य संदेश
- गरीबी, असमानता और भेदभाव आपदा जोखिम बढ़ने के कारण एवं परिणाम हैं।
- असमानता ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न करती है जो लोगों को आपदाओं के संपर्क में लाती है और उन्हें असुरक्षित बनाती है।
- आपदाएँ सबसे निर्धन और सबसे कमज़ोर व्यक्तियों को भी असमान रूप से प्रभावित करती है जिससे असमानताएँ बढ़ती हैं। आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए इन बिंदुओं पर विचार करने की आवश्यकता है।
- वर्तमान जलवायु अनुमानों के अनुसार, 2030 तक दुनिया को प्रति वर्ष लगभग 560 आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के प्रभाव के कारण 2030 तक अतिरिक्त 37.6 मिलियन लोग अत्यधिक निर्धनता में रहेंगे।
- जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से जुड़े सबसे खराब परिदृश्य में, 2030 तक अतिरिक्त 107 मिलियन लोग निर्धनता में धकेल दिए जाएंगे।
- जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से जुड़े सबसे खराब परिदृश्य में, 2030 तक अतिरिक्त 107 मिलियन लोग निर्धनता में धकेल दिए जाएंगे।
- लोगों के जोखिम और नुकसान के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई सावधानीपूर्वक और समन्वित योजना के माध्यम से हम खतरों की विनाशकारी क्षमता को सीमित कर सकते हैं या आपदाओं को घटित होने से रोक सकते हैं।
- आपदाओं के असंगत प्रभाव और संवेदनशीलता को बेहतर ढंग से समझने और लचीलापन बनाने के लिए योजना का समर्थन करने के लिए अलग-अलग डेटा के संग्रह और उपयोग में अधिक निवेश की आवश्यकता है।
#चक्र तोड़ें (BreakTheCycle)
- आपदा, बढ़ती असमानता और पुनरावृत्ति के चक्र को तोड़ने की आवयश्कता है।
- सावधानीपूर्वक और समन्वित योजना में संलग्न होकर हम खतरों की विनाशकारी प्रभाव को कम कर सकते हैं और उन्हें आपदाओं में बढ़ने से रोक सकते हैं। इस योजना को लोगों के जोखिम और नुकसान के प्रति संवेदनशीलता को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- सभी के लिए पूर्व चेतावनी पहल के कार्यान्वयन में तीव्रता प्रदान करना महत्वपूर्ण है। आगामी चार वर्षों के अंदर इसका उद्देश्य सबसे कमजोर समुदायों पर विशेष जोर देने के साथ पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करना है।
- अलग-अलग डेटा के संग्रह और उनके प्रयोग में निवेश बढ़ाने की अत्यधिक आवश्यकता है। इससे हमें आपदाओं के असमानुपातिक प्रभावों और जोखिम को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही लचीलापन-निर्माण रणनीतियों के विकास को भी मार्गदर्शन मिलेगा।
राष्ट्र महासभा और सेंडाई फ्रेमवर्क के बीच संबंध
सेंडाई फ्रेमवर्क क्या है?
- आपदा खतरों को कम करने के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क (2015-2030) एक अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज है जिसे 14 से 18 मार्च, 2015 तक जापान के सेंदाई में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया और अनुमोदित किया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने भी इसका समर्थन किया था। सेंडाई फ्रेमवर्क 2015 के पश्चात् के विकास एजेंडे का पहला प्रमुख समझौता है और सदस्य राज्यों को आपदाओं के खतरे से विकास की प्रगति की रक्षा के लिए विशिष्ट कार्रवाई प्रदान करता है।
- यह समझौता ह्योगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (Hyogo Framework for Action) (2005-2015) का स्थान लेगा जो उस समय तक आपदा खतरों को कम करने का सबसे व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौता था।
ह्योगो (Hyogo) फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (2005-2015)
- 2005 सम्मेलन का परिणाम ह्योगो कार्य योजना (2005-2015) था : आपदाओं के लिए राष्ट्रों और समुदायों में प्रत्यास्थता (लचीलापन) का निर्माण करना ।
- यह रूपरेखा विभिन्न क्षेत्रों और अभिनेताओं से आवश्यक कार्य को रेखांकित करने वाली पहली योजना थी ताकि आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। इसे सरकारों, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और आपदा विशेषज्ञों सहित कई भागीदारों द्वारा निर्मित किया गया और इसके साथ ही सहमति दी गई, जो सभी आपदा जोखिम को कम करने के लिए एक समन्वित प्रणाली स्थापित करने के लिए एक साथ आए।
सेंडाई फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर करने के पश्चात् आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए भारत की पहल
- भारत ने अपनी पहली राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना जारी की है, जो आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए इस फ्रेमवर्क पर आधारित है।
- यह योजना सेंडाइ फ्रेमवर्क में उल्लिखित चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
- आपदा जोखिम को समझना,
- आपदा जोखिम प्रशासन में सुधार,
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण और आपदा तैयारियों में निवेश,
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ और किसी आपदा के पश्चात् बेहतर तरीके से निर्माण करना।
- यह योजना एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाती है जो आपदा प्रबंधन और विकास योजना दोनों को लाभान्वित करती है।
- इसे आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में मापक तरीके से लागू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसके अतिरिक्त योजना में महत्वपूर्ण गतिविधियों की एक सूची सम्मिलित है जैसे प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, सूचना प्रसार, खोज और बचाव अभियान, चिकित्सा देखभाल, परिवहन, निकासी आदि।
- ये गतिविधियाँ आपदा से निपटने में शामिल एजेंसियों के लिए एक उपयोगी चेकलिस्ट के रूप में कार्य करती हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अपनाए गए इस फ्रेमवर्क के अनुसार, आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए वर्तमान चुनौतियों से निपटना और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी करना आवश्यक है। आपदा जोखिम की निगरानी, मूल्यांकन और समझ के साथ-साथ जानकारी को साझा करने पर जोर देकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। सेंडाई फ्रेमवर्क आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए शीघ्र और महत्वपूर्ण रूप से पूर्वानुमान लगाने, योजना बनाने और आपदा जोखिम को कम करने के महत्त्व को प्रकाशित करता है।
सामान्य प्रश्न
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस क्यों मनाया जाता है?
13 अक्टूबर, यह दिन इस बात का उत्सव मनाता है कि कैसे दुनिया भर में लोग और समुदाय आपदाओं के प्रति अपना जोखिम कम कर रहे हैं और उनके सामने आने वाले जोखिमों को कम करने के महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाता है।
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2023 की थीम क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2023 का विषय “लचीले भविष्य के लिए असमानता से लड़ना” है।