आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम: प्रौद्योगिकी, सीमाएँ और आगे की राह

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आयरन-डोम

आयरन डोम कम दूरी के रॉकेट और तोपखाने के गोले से बचाने के लिए इज़राइल द्वारा विकसित एक मिसाइल रक्षा प्रणाली है।

आयरन डोम प्रणाली

इसे पहली बार 2011 में तैनात किया गया था। इसने इजरायली शहरों और सैन्य अड्डों को रॉकेट हमलों से बचाने में अहम भूमिका निभाई है। इज़राइल राज्य विशेष रूप से गाजा पट्टी से हमास और लेबनान से हिजबुल्लाह द्वारा शुरू किए गए हवाई हमलों के प्रति संवेदनशील है। हमास द्वारा हाल ही में किये गये हमले इसका एक उदाहरण है।

आयरन डोम की आवश्यकता

आयरन डोम का विकास इज़राइल द्वारा विशेषकर गाजा से निरंतर होने वाले रॉकेट हमलों से बचाव के लिए था। तब से इसे इज़राइल की व्यापक वायु रक्षा रणनीति में एकीकृत किया गया है जिसमें डेविड स्लिंग और एरो मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसी अन्य प्रणालियाँ सम्मिलित हैं।

आयरन डोम का विवरण

उद्गम देशइज़राइल
सेवा में प्रविष्ट2011
मिसाइलों की संख्या20
मिसाइल की लंबाई3 मीटर
मिसाइल का व्यास0.16 मीटर
मिसाइल का वजन90 किलोग्राम
वारहेड का प्रकारविखण्डन
रेंज की सीमा4 – 70 किलोमीटर

आयरन डोम की कार्यप्रणाली

यह प्रणाली आने वाले रॉकेटों का पता लगाने के लिए उन्नत रडार के प्रयोग से संचालित होती है और फिर उन्हें हवा में ही नष्ट करने के लिए इंटरसेप्टर मिसाइलें लॉन्च करती है। इससे रॉकेटों को ज़मीन पर अपने इच्छित लक्ष्य तक पहुँचने से रोकने में सहायता मिलती है।

आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली में तीन मुख्य घटक होते हैं जो उस क्षेत्र पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए मिलकर कार्य करते हैं जहां इसे तैनात किया गया है। ये घटक हैं:

  1. पहचान और ट्रैकिंग रडार: यह रडार प्रणाली विभिन्न खतरों जैसे रॉकेट और तोप के गोले का पता लगाने और उनका ट्रैक रखने के लिए उत्तरदायी है। यह आने वाले प्रक्षेप्य की प्रक्षेपवक्र, गति और स्थान की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  1. युद्ध प्रबंधन और नियंत्रण (बीएमसी) प्रणाली: बीएमसी प्रणाली कमांड और नियंत्रण केंद्र है जो रडार से जानकारी संसाधित करती है और अवरोधन आवश्यक है या नहीं, इसके विषय में वास्तविक समय पर निर्णय लेती है। यह आने वाले खतरे के अनुमानित प्रभाव बिंदु की गणना करता है और निर्धारित करता है कि क्या यह आबादी वाले क्षेत्रों के लिए खतरा है।
  1. मिसाइल फायरिंग यूनिट: जब बीएमसी प्रणाली निर्णय लेती है कि इंटरसेप्ट आवश्यक है, तो मिसाइल फायरिंग यूनिट आने वाले खतरे को रोकने और नष्ट करने के लिए एक इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च करती है। इन इंटरसेप्टर मिसाइलों को तामीर के नाम से जाना जाता है और ये लक्ष्य पर सटीकता से हमला करने और हवा में ही उसे निष्क्रिय करने के लिए उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियों से लैस हैं।

आयरन डोम की प्रभावशीलता

  • इज़रायली अधिकारियों के अनुसार आयरन डोम की अनुमानित प्रभावशीलता दर 75% से 95% तक है। यह अपनी बेहतर दक्षता के लिए व्यापक रूप से प्रशंसित है, विशेषकर जब इसकी तुलना यूएस पैट्रियट जैसी पिछली मिसाइल रक्षा प्रणालियों से की जाती है।
  • वर्तमान में आयरन डोम विश्व स्तर पर सबसे कठोरता से परीक्षण की गई मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है। इसने फिलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा लॉन्च की गई सैकड़ों मिसाइलों और तोपखाने रॉकेटों को सफलतापूर्वक रोक दिया है।
  • 2015 तक, इसने लगभग 1,500 सफल इंटरसेप्टर दर्ज किए थे। इसकी विश्वसनीयता के कारण आयरन डोम की विफलताओं के परिणामस्वरूप न्यूनतम इजरायली हताहत हुए हैं।

महत्त्व 

आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली कई कारणों से इज़राइल और व्यापक क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण महत्त्व रखती है:

  1. नागरिक आबादी की सुरक्षा: इसका प्राथमिक उद्देश्य इजरायली शहरों और समुदायों को रॉकेट हमलों से बचाना है जिनमें गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह द्वारा किए गए हमले भी शामिल हैं।
  2. उन्नत राष्ट्रीय सुरक्षा: यह रॉकेट हमलों के खतरे को कम कर इज़राइल की राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त करता  है।
  3. रणनीतिक निरोध (Strategic Deterrence): यह संभावित विरोधियों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करता है और शत्रुओं को रॉकेट हमले शुरू करने से रोकता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आयरन डोम की सफल तैनाती और निर्यात ने अन्य देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इज़राइल के राजनयिक संबंधों को सशक्त किया है।
  5. नवाचार और तकनीकी उन्नति: इसका विकास और निरंतर सुधार मिसाइल रक्षा प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है।

सीमाएँ

हाल ही में हमास द्वारा किए गए हमले के पश्चात् आयरन डोम की प्रभावशीलता पर प्रश्न उठ रहें हैं। इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने अनुसार, इजराइल-हमास संघर्ष में लगभग 2,200 रॉकेट दक्षिणी और मध्य इज़राइल की ओर लॉन्च किए गए थे, जिससे सिस्टम इतना प्रभावित हो गया था कि वह आबादी वाले क्षेत्रों में मिसाइलों को नहीं रोक सका। आयरन डोम प्रणाली की कुछ सीमाएँ इस प्रकार हैं:

  • लागत: इस प्रणाली को विकसित करना, तैनात करना और रखरखाव करना महंगा है।
  • सीमित रेंज: इसको मुख्य रूप से कम दूरी के रॉकेट और तोपखाने के गोले को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के विरुद्ध प्रभावी नहीं है।
  • सीमित रोकने की विंडो: इसके पास मिसाइल आक्रमण रोकने के लिए सीमित क्षमता है और यह बहुत निकट से फायर किये गये  रॉकेटों के विरूद्ध अधिक प्रभावी नहीं हैं।
  • एक साथ कई खतरे: जब आने वाले रॉकेट या तोपखाने के गोले की एक बड़ी बौछार का सामना करना पड़ता है तो आयरन डोम उन सभी को एक साथ रोकने के लिए संघर्ष कर सकता है। यह लक्ष्यों को उनके प्रक्षेप पथ और खतरे के स्तर के आधार पर प्राथमिकता दे सकता है,जिससे कुछ प्रभावी खतरों पर ध्यान नहीं दिया जा सकेगा।

आगे की राह

निष्कर्षत: आयरन डोम एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली है जो इसरायल को आक्रमणों से सुरक्षित रखने में सहायक है। इसके द्वारा छोटी-दूरी के रॉकेट और शस्त्रागार को रोकने की क्षमता है, जो जनसंख्या वाले क्षेत्रों को सुरक्षित रखने में सहायता करती है।

हालांकि, इसके कुछ सीमाएँ भी हैं। इसकी लागत उच्च है और उसकी रेंज सीमित है। दीर्घक्षेत्रिय बॉलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ इसकी प्रभावक्षमता कम हो सकती है। इसके अतिरिक्त, छोटे दूरी के रॉकेटों को रोकने के लिए इसकी सीमित विंडो है।

इस प्रणाली का निरंतर विकास और सुधार के लिए अध्ययन और क्षमता सुधार आवश्यक है ताकि यह आगामी आक्रमणों के विरुद्ध उच्च प्रभावी रह सके।

स्रोत:

  1. समा
  2. द हिंदू 

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