केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) या संघ मंत्रिपरिषद को केंद्र सरकार की कार्यपालिका की रीढ़ माना जाता है। यह देश के विषय में निर्णय लेने वाली केंद्रीय संस्था के रूप में राष्ट्रीय नीति को आकार देने और उसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। NEXT IAS के इस लेख का उद्देश्य केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM), इसके अर्थ, संवैधानिक प्रावधानों, गठन, भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और अन्य संबंधित पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करना है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) क्या है?
केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM), जिसे संघ मंत्रिपरिषद (CoM) के रूप में भी जाना जाता है, एक केंद्रीय निकाय है जो केंद्र सरकार की कार्यपालिका शाखा (Executive Branch) का हिस्सा है। यह भारतीय संविधान द्वारा अपनाई गई संसदीय प्रणाली के तहत वास्तविक कार्यकारी प्राधिकरण है। मंत्रिपरिषद भारत के राष्ट्रपति को सलाह देने वाली प्रमुख सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करती है। यह निर्णय लेने के साथ-साथ सरकारी नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) से संबंधित महत्त्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधानों को निम्न तालिका में सूचीबद्ध किया गया है।
अनुच्छेद | Subject-Matter |
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अनुच्छेद 74 | भारत के राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद (CoM)। |
अनुच्छेद 75 | मंत्रियों के लिए अन्य प्रावधान |
अनुच्छेद 77 | भारत सरकार के कार्यों का संचालन |
अनुच्छेद 78 | राष्ट्रपति को सूचना उपलब्ध कराने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य |
अनुच्छेद 88 | सदनों के संबंध में मंत्रियों के अधिकार |
उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों पर बाद के अनुभागों में विस्तार से चर्चा की गई है:-
अनुछेद 74 – राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद (CoM) होगी, जो राष्ट्रपति के कार्यों में सहायता और सलाह देगी। राष्ट्रपति अपने कार्यों के अभ्यास में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेंगे।
- राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद (CoM) को ऐसी सलाह पर पुनर्विचार करने के लिए निर्देश दे सकते हैं।
- यद्यपि, राष्ट्रपति पुनर्विचार के पश्चात् दी गई सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य है।
- मंत्रियों द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह की किसी भी न्यायालय में जांच नहीं की जाएगी।
अनुच्छेद 75 – मंत्रियों के संबंध में अन्य प्रावधान
- प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा और अन्य मंत्रियों को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाएगा।
- मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की कुल संख्या प्रधानमंत्री सहित लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह प्रावधान 2003 के 91वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- संसद के किसी भी सदन का सदस्य, जिसे दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया है, वह सदस्य मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए भी अयोग्य हो जाता है।
- यह प्रावधान भी 2003 के 91वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त ( Pleasure) अपने पद को धारण करते हैं।
- केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
- राष्ट्रपति मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।
- कोई भी मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि तक संसद सदस्य नहीं है, वह इस अवधि की समाप्ति के पश्चात् मंत्री नहीं रह जाते।
- मंत्रियों के वेतन और भत्ते का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है।
अनुच्छेद 77 – भारत सरकार के कार्यों का संचालन (Conduct of Business)
- भारत सरकार की सभी कार्यकारी कार्रवाइयाँ राष्ट्रपति के नाम पर की जाएंगी।
- राष्ट्रपति के नाम से पारित आदेशों एवं अन्य दस्तावेजों को इस प्रकार अधिप्रमाणित किया जाएगा जैसा कि राष्ट्रपति द्वारा बनाए जाने वाले नियमों में निर्दिष्ट हों।
- इस तरह से प्रमाणित किसी आदेश या दस्तावेज की वैधता को इस आधार पर सवाल नहीं उठाया जाएगा कि यह राष्ट्रपति द्वारा निर्मित या निष्पादित आदेश या उपकरण नहीं है।
- राष्ट्रपति भारत सरकार के कार्यों को अधिक सुविधाजनक एवं सुगम बनाने के लिए और साथ ही उक्त कार्यों को मंत्रियों के बीच आवंटन करने के लिए नियम बनाएंगे।
अनुच्छेद 78 – प्रधान मंत्री के कर्तव्य
प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य होगा:राष्ट्रपति द्वारा मांगें
- संघ के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों और विधान प्रस्तावों के विषय में राष्ट्रपति को सूचित करना।
- संघ के प्रशासन से संबंधित ऐसी जानकारी और विधान प्रस्ताव प्रस्तुत करना,जोकि राष्ट्रपति द्वारा मांगें गई हों।
- यदि राष्ट्रपति को आवश्यकता है, तो वह किसी भी मामले को मंत्रिपरिषद के विचारार्थ प्रस्तुत करेगा, जिस पर किसी मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है, लेकिन जिस पर मंत्रिपरिषद द्वारा विचार नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 88 – सदनों के संबंध में मंत्रियों के अधिकार
- प्रत्येक मंत्री को संसद के किसी भी सदन, सदनों की संयुक्त बैठक तथा संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने का अधिकार होगा, जिसमें उसे सदस्य के रूप में नामित किया गया है, लेकिन इस अनुच्छेद के आधार पर वह मतदान करने का हकदार नहीं होगा। ।
- इसका तात्पर्य है कि जो मंत्री संसद के एक सदन का सदस्य है, उसे दूसरे सदन की कार्यवाही में भी बोलने और भाग लेने का अधिकार है। लेकिन वह केवल उस सदन में मतदान कर सकता है जिसका वह सदस्य है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद की संरचना
जैसा कि “मंत्रिपरिषद (CoM)” शब्द से पता चलता है, केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) मंत्रियों के एक समूह को संदर्भित करता है। इसका नेतृत्व भारत के प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें मंत्रियों की निम्नलिखित तीन श्रेणियाँ हैं:
- कैबिनेट मंत्री,
- राज्य मंत्री (Ministers of State), और
- उप मंत्री (Deputy Ministers)।
कैबिनेट मंत्री (Cabinet Ministers)
- कैबिनेट मंत्री में मंत्रियों का ऐसा समूह होता है जो गृह, रक्षा, वित्त आदि जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व करते हैं।
- ये मंत्री कैबिनेट के सदस्य होते हैं, इसकी बैठकों में भाग लेते हैं और सरकार की नीतियों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राज्य मंत्री (Ministers of State)
- राज्य मंत्री या तो:
- कैबिनेट मंत्रियों से संबद्ध; या
- मंत्रालयों/विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जाता है;
- संलग्नता के मामले में, राज्य मंत्रियों को :
- कैबिनेट मंत्रियों के नेतृत्व वाले मंत्रालयों के विभागों का प्रभार; या
- कैबिनेट मंत्रियों के नेतृत्व वाले मंत्रालयों से संबंधित कार्यों के विशिष्ट मदों (Allotted Specific Items) का आवंटन किया जाता है।
- उपरोक्त दोनों मामलों में, ये मंत्री कैबिनेट मंत्रियों के निरीक्षण, मार्गदर्शन और साथ ही समग्र प्रभार और उत्तरदायित्व के अधीन कार्य करते हैं।
- स्वतंत्र प्रभार के मामले में, राज्य मंत्री (Ministers of State) अपने मंत्रालयों/ विभागों के संबंध में वही कार्य करते हैं तथा उन्ही शक्तियों का प्रयोग करते हैं जो कैबिनेट मंत्री करते हैं।
- यद्यपि, ये कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं और जब तक विशेष रूप से आमंत्रित नहीं किए जाते, तब तक इनकी बैठकों में भाग नहीं लेते हैं।
उप मंत्री (Deputy Ministers)
- उप मंत्रियों को मंत्रालयों या विभागों का स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता है।
- बल्कि, वे कैबिनेट मंत्रियों या राज्य मंत्रियों से जुड़े होते हैं और उनके कार्यों में उनकी सहायता करते हैं।
- वे कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं और कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं होते हैं।
संसदीय सचिव (Parliamentary Secretaries)
- संसदीय सचिवों में मंत्रियों की एक अन्य श्रेणी शामिल होती है। यद्यपि, वे केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) के सदस्य नहीं हैं।
- उन्हें भारत के प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है, न कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा।
- उनके नियंत्रण में कोई विभाग नहीं है। बल्कि, वे वरिष्ठ मंत्रियों से जुड़े होते हैं और उन्हें अपने कर्तव्यों को निभाने में सहायता करते हैं।
मंत्रियों की नियुक्ति
केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) के मंत्रियों की नियुक्ति के संबंध में संवैधानिक प्रावधान इस प्रकार हैं:
- प्रधानमंत्री को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- अन्य मंत्रियों को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाता है।
- इस प्रकार, राष्ट्रपति केवल उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री के रूप में नियुक्त कर सकते हैं जिनकी सिफारिश प्रधान मंत्री द्वारा की जाती है।
- कोई व्यक्ति जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे भी मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन, 6 महीने के भीतर उन्हें संसद के किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा, अन्यथा वह मंत्री नहीं रहेंगें।
मंत्रियों के शपथ और प्रतिज्ञान (Oaths and Affirmations of Ministers)
भारत के राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) के मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।
पद की शपथ (Oath of Office) |
अपने पद की शपथ में, मंत्री शपथ लेते हैं:- – संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूँगा। – भारत की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूँगा। – बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष के, संविधान और कानून के अनुसार सभी प्रकार के लोगों के साथ न्याय करूंगा, तथा अपने कार्यालय के कर्तव्यों का ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से पालन करूंगा। |
गोपनीयता की शपथ (Oath of Secrecy) |
अपनी गोपनीयता की शपथ में, मंत्री शपथ लेते हैं:- – कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी ऐसे मामले के बारे में सूचित या प्रकट नहीं करेगा जो उसके विचाराधीन हो या एक केंद्रीय मंत्री के रूप में उसे ज्ञात हो, सिवाय इसके कि ऐसे मंत्री के रूप में उसके कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए आवश्यक हो। |
मंत्रियों के वेतन और भत्ते (Salaries and Allowances of Ministers)
- मंत्रिपरिषद के वेतन और भत्ते समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
- एक मंत्री को वह वेतन और भत्ते मिलते हैं जो संसद सदस्य को देय होते हैं।
- इसके अतिरिक्त, मंत्री को एक मानदेय भत्ता (उनके पद के अनुसार), निःशुल्क आवास, यात्रा भत्ता, चिकित्सा सुविधा आदि भी मिलते हैं।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भूमिका (Role of Union Council of Ministers)
केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं में देखा जा सकता है:
- यह केंद्र सरकार का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है।
- यह केंद्र सरकार की मुख्य नीति बनाने वाली संस्था है।
- यह केंद्र सरकार का सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकरण है।
- यह केंद्र सरकार का मुख्य समन्वयक (Chief Coordinator) है।
- यह राष्ट्रपति को सलाहकार निकाय है।
- यह आपात स्थितियों में मुख्य संकट प्रबंधक (Chief Crisis Manager) के रूप में कार्य करता है।
- यह सभी प्रमुख विधायी और वित्तीय मामलों से संबंधित है।
- यह उच्च नियुक्तियों पर नियंत्रण रखता है।
- यह सभी विदेश नीतियों और मामलों से संबंधित है।
मंत्रियों के उत्तरदायित्व (Responsibility of Ministers)
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) का हिस्सा बनने वाले मंत्रियों की दो प्रकार के उत्तरदायित्व होती हैं – सामूहिक उत्तरदायित्व और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व। इसके अतिरिक्त, भारतीय संदर्भ में, मंत्रियों का कोई कानूनी उत्तरदायित्व नहीं है।
मंत्रियों के उत्तरदायित्व के संबंध में विवरण निम्नलिखित अनुभागों में बताया गया है:-
सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility)
अनुच्छेद 75 में सामूहिक उत्तरदायित्व की अवधारणा शामिल है इसके अंतर्गत यह प्रावधान है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार है। इसका तात्पर्य है कि:
- जब लोकसभा केंद्रीय मंत्रिपरिषद (CoM) के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो सभी मंत्रियों को त्यागपत्र देना पड़ता है, उन मंत्रियों को भी जो राज्यसभा से हैं।
- मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को इस आधार पर लोकसभा को भंग करने की सलाह दे सकती है, कि सदन ईमानदारी से मतदाताओं के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहें है और नए चुनाव की माँग कर सकती है।
- राष्ट्रपति उस मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है, जिसके विरुद्ध लोकसभा में विश्वासमत पारित हो गया हों।
- कैबिनेट मंत्रियों के निर्णय सभी मंत्रियों के लिए बाध्यकारी होते हैं, भले ही वे इससे असहमत हों। प्रत्येक मंत्री को ऐसे निर्णयोंका समर्थन करना चाहिए और उनका समर्थन संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह होना चाहिए।
- यदि कोई मंत्री ऐसे किसी निर्णय से असहमत है और उसका बचाव करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।
व्यक्तिगत उत्तरदायित्व (Individual Responsibility)
- अनुच्छेद 75 में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का भी सिद्धांत शामिल है और इसमें प्रावधान है कि मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं।
- इसका तात्पर्य है कि राष्ट्रपति किसी मंत्री को उस समय भी हटा सकते है, जब मंत्रिपरिषद को लोकसभा में विश्वासमत भी प्राप्त है।
- यद्यपि, राष्ट्रपति केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर ही किसी मंत्री को हटा सकते हैं।
- किसी मंत्री के प्रदर्शन से मतभेद या असंतोष की स्थिति में, प्रधानमंत्री उनसे त्यागपत्र देने के लिए कह सकते है या राष्ट्रपति को उन्हें बर्खास्त करने की सलाह दे सकते हैं।
- इस अधिकार का प्रयोग करके प्रधानमंत्री सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत को बनाए रखने को सुनिश्चित करते हैं।
कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं (No Legal Responsibility)
- ब्रिटेन में, किसी भी सार्वजनिक कार्य के लिए राजा के प्रत्येक आदेश पर एक मंत्री द्वारा प्रतिहस्ताक्षर किये जाते हैं। यदि आदेश किसी कानून का उल्लंघन करता है, तो मंत्री को न्यायालय में जिम्मेदार और उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
- भारत में, मंत्री की विधिक जिम्मेदारी की व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है। इस प्रकार, यह आवश्यक नहीं है कि सार्वजनिक कार्य के लिए राष्ट्रपति के आदेश को किसी मंत्री द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाए।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा सलाह की प्रकृति
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम ने मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह को राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी बना दिया गया था, यद्यपि 44वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद को सलाह पर एक बार पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं, लेकिन पुनर्विचार के पश्चात् राष्ट्रपति को दी गई सलाह बाध्यकारी होगी।
- मंत्रियों द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह की प्रकृति की किसी भी न्यायालय द्वारा जांच नहीं की जा सकती है।
- यह प्रावधान राष्ट्रपति और मंत्रियों के बीच गोपनीयता के शर्तों पर जोर देता है।
मंत्रिपरिषद बनाम कैबिनेट (Council of Ministers Vs Cabinet)
‘मंत्रिपरिषद’ और ‘कैबिनेट’ शब्दों का प्रयोग सामान्यत: एक-दूसरे के स्थान पर किया जाता है। यद्यपि, वे नीचे दी गई तालिका में दर्शाए अनुसार विभिन्न मामलों में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं:
मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) | कैबिनेट (Cabinet) |
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यह एक व्यापक निकाय है, जिसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं। | यह एक छोटा निकाय है, जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं। |
इसमें तीनों श्रेणी के मंत्री शामिल हैं – कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। | इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। इस प्रकार, यह मंत्रिपरिषद का एक उप-समूह है। |
यह सरकारी कामकाज निपटाने के लिए एक निकाय के रूप में बैठक नहीं करता है। इस प्रकार, इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं है। | यह सरकारी कामकाज के लेन-देन के संबंध में विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने के लिए एक निकाय के रूप में बार-बार और सामान्यत: सप्ताह में एक बार बैठक करते हैं। इस प्रकार, यह निकाय सामूहिक रूप से कार्य करता है। |
सैद्धांतिक रूप से मंत्रिपरिषद में सभी शक्तियाँ निहित होती है। | यह व्यवहार में, मंत्रिपरिषद की शक्तियों का प्रयोग करते हैं। |
इसके कार्य कैबिनेट द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। | यह उन नीतिगत निर्णयों लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देते हैं जो सभी मंत्रियों के लिए बाध्यकारी होते हैं। |
यह कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करता है। | यह मंत्रिपरिषद द्वारा अपने निर्णयों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है। |
यह संसद के निचले सदन के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार है। | यह संसद के निचले सदन के प्रति मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करता है। |
किचन कैबिनेट या आंतरिक कैबिनेट (Kitchen Cabinet or Inner Cabinet)
- किचन कैबिनेट, कैबिनेट से छोटा एक अनौपचारिक निकाय है जिसमें प्रधान मंत्री और उसके कुछ प्रभावशाली सहयोगी होते हैं।
- इसमें न केवल कैबिनेट मंत्री बल्कि प्रधानमंत्री के मित्र और परिवार के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं।
- किचन कैबिनेट के लाभ और नुकसान इस प्रकार हैं:
किचन कैबिनेट के गुण (Merits of Kitchen Cabinet)
- यह एक छोटी इकाई होने के कारण एक बड़े मंत्रिमंडल की तुलना में अधिक कुशल निर्णय लेने वालीयह एक बड़े मंत्रिमंडल की तुलना में अधिक बार मिल सकते है और कार्यों को अधिक तेजी से निपटा सकते हैं।
- यह निर्णय लेने में प्रधानमंत्री को गोपनीयता बनाए रखने में मदद करते हैं।
किचन कैबिनेट के अवगुण (Demerits of Kitchen Cabinet)
- यह कैबिनेट के अधिकार और स्थिति को कम करता है।
- यह बाहरी व्यक्तियों को सरकार के कामकाज में प्रभावशाली भूमिका निभाने की अनुमति देकर कानूनी प्रक्रिया को बाधित करता है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, केंद्रीय मंत्रिपरिषद (COM) भारत के शासन और प्रशासन में एक महत्त्वपूर्ण एवं बहुआयामी भूमिका निभाती है। नीति बनाने से लेकर विधायी एजेंडों को क्रियान्वित करने तक, सरकारी विभागों के प्रबंधन से लेकर राष्ट्रपति को सलाह देने तक, इसकी भूमिका बहुआयामी और अपरिहार्य है। इन विविध उत्तरदायित्वों के माध्यम से यह सरकारी कार्यों की सत्यनिष्ठा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करता है और नागरिकों का सरकार में विश्वास बनाए रखता है।
सामान्यत: पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
केंद्रीय मंत्रिपरिषद से संबंधित कौन सा अनुच्छेद है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74(1) में प्रावधान है कि राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद होगी, राष्ट्रपति अपने कार्यों के अभ्यास में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेंगे। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद का नेतृत्व किसके द्वारा किया जाता है?
प्रधान मंत्री द्वारा केंद्रीय मंत्रिपरिषद का नेतृत्व किया जाता है।
प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद को कौन नियुक्त करता है?
राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद को नियुक्त किया जाता है।
मंत्रिपरिषद को पद की शपथ कौन दिलाता है?
भारत के राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिपरिषद को पद की शपथ दिलाते हैं।