भारत में चुनावी प्रक्रिया संवैधानिक प्रावधानों और विधायी ढांचे को सशक्त करती है जिससे एक जीवंत लोकतांत्रिक प्रणाली की आधारशिला का निर्माण होता है। यह संरचित प्रक्रिया देश भर में चुनावों की दक्षता और अखंडता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नियमित, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की सुविधा प्रदान करके यह प्रणाली लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने और लोगों की इच्छा को सशक्त बनाने का कार्य करती है। NEXT IAS के इस लेख का उद्देश्य भारत की चुनावी प्रक्रिया का विस्तार से अध्ययन करना है जिसमें चुनाव का कार्यक्रम, वोटों की गिनती, परिणामों की घोषणा और अन्य संबंधित पहलू शामिल हैं।
चुनाव क्या है?
- चुनावों को उस औपचारिक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके द्वारा किसी देश या अन्य राजनीतिक इकाई, जैसे राज्य या स्थानीय सरकार, के नागरिक मतदान के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
- चुनाव लोकतांत्रिक समाजों के लिए आवश्यक है क्योंकि यह “लोकप्रिय संप्रभुता” के सिद्धांत का प्रतीक हैं, जहाँ सरकार की वैधता शासितों की सहमति से प्राप्त होती है।
भारत में चुनावी प्रक्रिया
- चुनावी प्रक्रिया विभिन्न चरणों की एक श्रृंखला को संदर्भित करती है जिसके माध्यम से चुनाव आयोजित किए जाते हैं और लोकतांत्रिक प्रणाली में मतदाताओं द्वारा प्रतिनिधियों को चुना जाता है।
- भारत में चुनावों से संबंधित संवैधानिक और कानूनी ढांचे ने एक व्यापक और संरचित चुनाव प्रक्रिया को परिभाषित किया है।
- भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा प्रशासित यह प्रक्रिया चुनाव की घोषणा से लेकर परिणामों की घोषणा तक विभिन्न चरणों को कवर करती है।
- भारत में चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
- चुनाव का समय,
- चुनाव का शेड्यूल,
- उम्मीदवारों की शपथ या प्रतिज्ञान,
- चुनाव अभियान
- आदर्श आचार संहिता,
- चुनाव घोषणापत्र,
- मतपत्र और प्रतीक,
- मतदान के दिन,
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM),
- मतदान प्रक्रिया,
- चुनावों का पर्यवेक्षण,
- वोटों की गिनती,
- चुनावी याचिकाएँ;
भारत में चुनावी प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर आगे के अनुभागों में विस्तार से चर्चा की गई है।
चुनाव का समय (Time of Elections)
- लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव प्रत्येक पाँच वर्ष में होते हैं, जब तक कि सदनों को पहले विघटित न किया जाए।
- यदि केंद्र सरकार लोकसभा में विश्वासमत प्राप्त नहीं कर पाती, तथा लोकसभा की अन्य राजनीतिक दल के द्वारा सरकार के गठन के लिए कोई वैकल्पिक समाधान उपलब्ध नहीं करा पाते हैं, तो भारत के राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकते हैं और पांच वर्ष से पूर्व ही आम चुनाव हो सकते हैं।
चुनाव का शेड्यूल (Schedule of Elections)
- जब विधायिका का पाँच वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो जाता है या विधायिका विघटित कर दी जाती है , तो भारत का चुनाव आयोग (ECI) आगामी चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध होता है।
- भारतीय संविधान के अनुसार, विघटित लोकसभा के अंतिम सत्र और नवनिर्वाचित लोकसभा के आयोजन सत्र के बीच की समयावधि छह माह से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- इसका अर्थ है कि इस समय सीमा के भीतर चुनावी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
- भारत का चुनाव आयोग आम तौर पर औपचारिक चुनावी प्रक्रिया प्रारम्भ होने से कुछ सप्ताह पहले एक प्रमुख संवाददाता सम्मेलन में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करता है।
- ऐसी घोषणा के तुरंत बाद उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।
- चुनावों की औपचारिक प्रक्रिया एक अधिसूचना या अधिसूचना के साथ प्रारम्भ होती है जिसमें मतदाताओं से सदन के सदस्यों का चुनाव करने का आह्वान किया जाता है।
- अधिसूचना जारी होते ही उम्मीदवार उन निर्वाचन क्षेत्रों में अपना नामांकन दाखिल करना प्रारम्भ कर सकते हैं जहाँ से वे चुनाव लड़ना चाहते हैं।
- उम्मीदवारों को अपना नामांकन दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है।
- इन नामांकन पत्रों की जांच रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा की जाती है और यदि ये सही नहीं पाए जाते हैं तो संक्षिप्त सुनवाई के बाद इन्हें खारिज किया जा सकता है।
- वैध रूप से नामांकित उम्मीदवार नामांकन की जाँच के बाद दो दिनों के भीतर नाम वापस ले सकते हैं।
उम्मीदवारों की शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or Affirmation of Candidates)
- एक उम्मीदवार को भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा अधिकृत अधिकारी के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान करना होगा और उस पर हस्ताक्षर करने होंगे।
- भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त अधिकृत व्यक्ति किसी विशेष चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्र के लिए रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं।
- उम्मीदवार को नामांकन पत्र जमा करने के तुरंत बाद या अधिक से अधिक नामांकन पत्रों की जाँच की तिथि से एक दिन पहले व्यक्तिगत रूप से शपथ या प्रतिज्ञान करना आवश्यक है।
चुनाव अभियान (Election Campaign)
- चुनाव अभियान उस अवधि को संदर्भित करता है जब राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों और तर्कों को जनता सामने प्रस्तुत करते हैं जिससे वे लोगों को अपने उम्मीदवारों और पार्टियों के पक्ष में वोट करने के लिए निवेदन करते हैं।
- आधिकारिक चुनाव अभियान की अवधि नामांकित उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के कम से कम दो सप्ताह बाद प्रारम्भ होती है और चुनाव के दिन मतदान केंद्र बंद होने से 48 घंटे पहले समाप्त हो जाती है।
आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct)
- चुनाव अभियान के दौरान, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा निर्मित आदर्श आचार संहिता का पालन करेंगे।
- आदर्श आचार संहिता एक व्यापक दिशानिर्देश है जिसमे, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए, के विषय में व्यापक जानकारी होती है।
- आदर्श संहिता का उद्देश्य चुनाव अभियान को निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न करने, राजनीतिक दलों या उनके समर्थकों के बीच झड़पों और संघर्षों से बचाव और अभियान अवधि के दौरान एवं उसके पश्चात् परिणाम घोषित होने तक शांति व्यवस्था सुनिश्चित करना है।
- यह केंद्र या राज्य में सत्तारूढ़ दल के लिए दिशानिर्देश भी निर्धारित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी के लिए एक समान अवसर प्रदान किए जाए तथा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि सत्तारूढ़ दल ने अपने चुनाव अभियान के प्रयोजनों के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग ना कर सकें।
चुनावी घोषणापत्र (Election Manifestos)
- चुनावी घोषणापत्र चुनाव अभियानों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा जारी किया गया दस्तावेज़ हैं जो उन नीतियों, कार्यक्रमों और वादों को रूपरेखा प्रदान करता है जिन्हें वे सत्ता में चुने जाने के पश्चात् लागू करने का इरादा रखते हैं।
- ये घोषणापत्र शासन के लिए राजनीतिक दल के ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करते हैं, यह उनके दृष्टिकोण, प्राथमिकताओं और प्रमुख मुद्दों के प्रस्तावित समाधानों को दर्शाता हैं।
- ये घोषणापत्र पार्टी के नेतृत्व की क्षमताओं को भी प्रदर्शित करते हैं, साथ ही उनके राजनीतिक विरोधियों और उनके नेताओं की कमियों एवं विफलताओं की भी आलोचना करते हैं।
- पूरे निर्वाचन क्षेत्र में, अभियान रैलियाँ और सार्वजनिक बैठकें आयोजित की जाती हैं जहाँ उम्मीदवार अपने समर्थकों को अपने पक्ष में वोट डालने, प्रभावित करने का प्रयास करते हैं, साथ ही अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों और पार्टियों की आलोचना भी करते हैं।
मतपत्र और प्रतीक (Ballot Papers and Symbols)
- उम्मीदवारों का नामांकन पूरा होने के पश्चात् रिटर्निंग ऑफिसर (RO) द्वारा प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों की एक सूची तैयार की जाती है।
- इसके अलावा, मतपत्र भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा निर्धारित भाषाओं में उम्मीदवारों के नाम के साथ मुद्रित होते हैं।
- अंत में, मान्यता प्राप्त दलों के उम्मीदवारों को उनकी पार्टी का प्रतीक आवंटित किया जाता है।
मतदान के दिन (Polling Days)
- भारत में चुनाव मतदान आम तौर पर विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ चरणों में आयोजित किए जाते हैं।
- यह क्रमबद्ध दृष्टिकोण कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों और चुनाव निरीक्षकों की तैनाती को सक्षम बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि पूरे चुनावी अभ्यास के दौरान मतदान प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनी रहे।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine)
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) एक साधारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग मतपत्रों एवं बक्सों के स्थान पर वोट रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। पारंपरिक मतदान प्रणालियों में वोटिंग के लिए मतपत्रों एवं बक्सों उपयोग किया जाता था।
- पारंपरिक मतपत्र या मतपेटी प्रणाली की तुलना में ईवीएम के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह अवैध और संदिग्ध वोटों की संभावना को समाप्त कर देता है, जो कई मामलों में विवादों और चुनाव याचिकाओं का मूल कारण होते हैं।
- यह वोटों की गिनती की प्रक्रिया को पारंपरिक प्रणाली की तुलना में बहुत तीव्र बनाता है।
- यह आवश्यक कागज की मात्रा को काफी कम कर देता है, जिससे बड़ी संख्या में वृक्षों की बचत होती है और चुनाव प्रक्रिया अधिक पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है।
- इससे मुद्रण की लागत कम हो जाती है (लगभग शून्य) क्योंकि प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए मतपत्र की केवल एक शीट की आवश्यकता होती है।
मतदान प्रक्रिया (Voting Procedure)
- लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा किया जाता है।
- मतदान केंद्र आमतौर पर सार्वजनिक संस्थानों, जैसे स्कूल, सामुदायिक हॉल आदि में स्थापित किए जाते हैं।
- भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के अधिकारी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि प्रत्येक मतदाता के दो किलोमीटर के भीतर एक मतदान केंद्र हो और किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता ना हों।
- चुनाव के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र कम से कम आठ घंटे तक खुला रहना चाहिए।
- जब मतदाता अपना वोट डालने के लिए मतदान केंद्र में प्रवेश करता है, तो मतदाता सूची के अनुसार मतदाता की जाँच की जाती है, एक पहचान दस्तावेज का सत्यापन किया जाता है, बाईं तर्जनी पर अमिट स्याही लगाई जाती है और एक मतदाता पर्ची जारी की जाती है।
- अंत में, सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा नियंत्रण इकाई में मतपत्र बटन को सक्रिय करके मतदाता को अपना वोट डालने की अनुमति दी जाती है।
चुनाव का पर्यवेक्षण करना (Supervising Elections)
- भारत का चुनाव आयोग (ECI) यह सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में चुनाव पर्यवेक्षकों को तैनात करता है कि चुनाव अभियान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो और मतदाता स्वतंत्र रूप से एवं बिना किसी अनुचित प्रभाव के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
- चुनाव व्यय पर्यवेक्षक प्रत्येक उम्मीदवार एवं पार्टी द्वारा चुनाव पर व्यय की जाने वाली राशि पर नज़र रखते हैं।
मीडिया कवरेज (Media Coverage)
- मीडिया चुनाव के समय उत्साहित रूप से सक्रिय होती है और चुनाव को कवर करने के लिए व्यापक सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके और साथ ही वोट की गोपनीयता बनाए रखी जा सके।
- मीडियाकर्मियों को वास्तविक मतगणना के दौरान मतदान प्रक्रिया और मतगणना हॉल को कवर करने के लिए मतदान केंद्रों में प्रवेश करने के लिए विशेष पास दिए जाते हैं।
- मीडिया जनमत सर्वेक्षण कराने के लिए भी स्वतंत्र है।
- हालाँकि, भारत के चुनाव आयोग ने यह निर्धारित किया है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में जनमत सर्वेक्षण के नतीजे मतदान प्रारम्भ होने से दो दिन पहले और मतदान बंद होने के दो दिन बाद तक प्रकाशित नहीं किए जा सकते हैं।
- इसी प्रकार, एग्जिट पोल के नतीजे मतदान के आखिरी दिन मतदान का समय समाप्त होने के आधे घंटे के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं।
वोटों की गिनती (Counting of Votes)
- मतदान समाप्त होने के पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में डाले गए वोटों की गिनती भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा नियुक्त रिटर्निंग अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की देखरेख में की जाती है।
- एक बार वोटों की गिनती समाप्त हो जाने के पश्चात् रिटर्निंग ऑफिसर (RO) उस उम्मीदवार के विजेता घोषित कर देते है, जिसे सबसे अधिक वोट मिले होते हैं।
- भारत का चुनाव आयोग (ECI) निर्वाचित सदस्यों की पूरी सूची संकलित करते हैं और सदन के गठन के लिए एक उचित अधिसूचना जारी करते हैं।
- इसके साथ ही चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और राष्ट्रपति, लोकसभा के मामले में, और संबंधित राज्यों के राज्यपाल, राज्य विधानसभाओं के मामले में, सत्र आयोजित करने के लिए सदन को आहूत कर सकते हैं।
नोट: 1. लोकसभा के चुनाव फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के माध्यम से सम्पन्न कराए जाते हैं। a. पूरे देश को अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, और मतदाता प्रत्येक उम्मीदवार को एक वोट दे सकते हैं। b. सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाता है। – इसी प्रकार, भारत में राज्य विधान सभाओं के चुनाव भी लोकसभा चुनावों के अनुरूप फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के माध्यम से सम्पन्न कराए जाते हैं। |
चुनाव याचिकाएँ (Election Petitions)
- कोई भी निर्वाचक या उम्मीदवार चुनाव याचिका दायर कर सकता है यदि उसे ऐसा लगता है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कदाचार हुआ है।
- चुनाव याचिका कोई सामान्य दीवानी मुकदमा नहीं है बल्कि इसे एक प्रतियोगिता (Contest) के रूप में माना जाता है जिसमें पूरा निर्वाचन क्षेत्र शामिल होता है।
- चुनाव याचिकाओं की सुनवाई संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है, और यदि सुनवाई के दौरान ये सिद्ध हो जाता है कि चुनावों में धाँधली हुई है, तो उस विशेष निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव को पुन: भी कराया जाता है।
निष्कर्ष
भारतीय चुनाव प्रक्रिया एक गतिशील और मजबूत प्रणाली को प्रदर्शित करती है, जिसके माध्यम से स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के मूल लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखा जाता है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की आधारशिला है। यह लोगों की इच्छाओं के सम्मान को बनाए रखता है और प्रतिनिधि शासन की नींव को मजबूत करता है। जैसे-जैसे भारत विकसित हो रहा है और प्रगति कर रहा है, चुनाव प्रणाली को देश की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया जाना चाहिए, साथ ही उन मूल सिद्धांतों को संरक्षित करना चाहिए जिन्होंने इसे विश्वभर के लोकतंत्रों के लिए एक मॉडल बनाया है।