भारत-नेपाल संबंध एवं चुनौतियाँ

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भारत-नेपाल संबंध
भारत-नेपाल संबंध

भारत-नेपाल मजबूत मित्रता और सहयोगात्मक संबंध वालें पड़ोसी देश है। भारत और नेपाल एक खुली सीमा साझा करते हैं तथा दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध हैं। 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि, भारत-नेपाल संबंधों का आधार निर्मित करती है। इस संधि के तहत नेपाली नागरिकों को भारतीय नागरिकों के समान ही सुविधाएँ और अवसर प्रदान किये गए हैं। लगभग 80 लाख नेपाली नागरिक भारत में निवास और कार्य करते हैं।

भारत-नेपाल के नेताओं के बीच प्राय: उच्च स्तरीय दौर की वार्ता होती रहती है। द्विपक्षीय चर्चाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत-नेपाल ने भारत-नेपाल संयुक्त आयोग सहित कई संवाद तंत्र स्थापित किये हैं। दोनों देशों के बीच संसदीय आदान-प्रदान भी हुआ है।

कुल मिलाकर, भारत-नेपाल आपसी सहयोग और मित्रता पर आधारित घनिष्ठ और बहुआयामी संबंध साझा करते हैं।

भारत-नेपाल के बीच विशेष संबंध

रक्षा सहयोग

  • भारत, नेपाल सेना को उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करके नेपाली सेना को आधुनिकीकरण करने में सहायता कर रहा है।
  • दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और अन्य रक्षा-संबंधी गतिविधियों में भी संलग्न हैं।
  • भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में नेपाल से सैनिकों की भर्ती की जाती है, वर्तमान में नेपाल से लगभग 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में सेवारत हैं।

आपदा प्रबंधन

  • जब 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया, तो भारत द्वारा बचाव दल, राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता भेजकर त्वरित सहायता पहुँचायी गई।
  • भारत द्वारा कुल राहत सहायता 67 मिलियन डॉलर से अधिक की गई।
  • भारत ने नेपाल में भूकंप के बाद पुनर्निर्माण पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अनुदान और रियायती ऋण सहित 1 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की।

बुनियादी ढांचे का विकास

  • भारत ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, जल संसाधन, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्रदान करके नेपाल के विकास में सक्रिय रूप से भूमिका निभायी है।
  • भारत ने सड़कों और रेल लिंक सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर नेपाल का सहयोग किया है।
  • नेपाल में भारतीय निवेश महत्त्वपूर्ण है, भारतीय कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख निवेशक हैं।

जल संसाधन सहयोग

  • जल संसाधन, ऊर्जा और व्यापार में सहयोग भी द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत कर रहा है।
  • भारत-नेपाल के मध्य विद्युत-विनिमय और संचरण के लिए समझौते हैं। भारत वर्तमान में नेपाल को लगभग 600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करता है।
  • भारत-नेपाल ने जल संसाधन और जलविद्युत सहयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रणाली-तंत्र स्थापित किये हैं।

शिक्षा

नेपाल के मानव संसाधन विकास में भारत का योगदान उल्लेखनीय है, भारत में नेपाल के विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए नेपाली नागरिकों को प्रतिवर्ष हजारों छात्रवृत्तियाँ एवं सीटें प्रदान की जाती हैं।

सांस्कृतिक विनियमन

सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के मध्य संपर्क को बढ़ावा देने की पहल द्विपक्षीय संबंधों का अभिन्न अंग हैं। भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और मीडिया संगठनों ने मध्य कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

भारत-नेपाल संबंधों में चुनौतियाँ

  • शांति और मैत्री संधि के मुद्दे: भारत और नेपाल के बीच 1950 की शांति और मैत्री संधि ने नेपाली नागरिकों को सीमा-पार मुक्त आवाजाही और भारत में रोजगार के अवसरों की गारंटी दी गयी थी। हालाँकि, कुछ लोग इस संधि को विभेदमूलक और भारत द्वारा थोपी गयी संधि मानते हैं।
  • क्षेत्रीय विवाद: भारत-नेपाल सीमा पर कालापानी जैसे कुछ क्षेत्र अनसुलझे हैं। नेपाल इन क्षेत्रों पर अपना दावा करता है, जबकि ये क्षेत्र ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के समय से ही भारत का हिस्सा हैं।
  • चीनी हस्तक्षेप: हाल के वर्षों में, नेपाल भारत के प्रभाव से दूर जा रहा है और चीनी निवेश, सहायता और ऋण के बोझ में दबता जा रहा है। बेल्ट और रोड पहल के माध्यम से नेपाल की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में चीन की भागीदारी भारत और चीन के बीच एक बफर राज्य के रूप में नेपाल की भूमिका के लिये संदेह उत्पन्न कर रही है।
  • सुरक्षा खतरा: भारत और नेपाल के बीच सीमा का आतंकवादी समूहों के द्वारा हथियारों, गोला-बारूद, प्रशिक्षित सदस्यों और नकली मुद्रा की तस्करी के लिए प्रयोग किया जा रहा है, जोकि भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।
  • विश्वास की कमी: भारत की परियोजनाओं के देरी से कार्यान्वयन के कारण समय के साथ भारत और नेपाल के बीच विश्वास कमजोर हुआ है। कुछ नेपाली जातीय समूहों को ऐसा प्रतीत होता है कि भारत, नेपाल की राजनीति में बहुत अधिक हस्तक्षेप करता है और उनकी राजनीतिक स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है, जिससे नेपाल में भारत के प्रति नाराजगी फ़ैल रही है।

आगे की राह

  • जल मुद्दों का समाधान: सीमा-पार जल विवादों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून इन मुद्दे के समाधान के लिए राजनयिक वार्ता का मार्गदर्शन कर सकते है।
  • निवेश: भारत को नेपाल में अपना निवेश बढ़ाना चाहिए। परियोजनाओं को और तीव्र गति से पूर्ण करने पर फोकस करना चाहिए। स्थानीय लोगों को लाभान्वित करने वाली परियोजनाएं भारत की सकारात्मक छवि बनाने में सहायता करेंगी।
  • चीन का मुकाबला: चीन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार को आर्थिक सहयोग में बाधा पहुँचाने वाली चुनौतियों का तुरंत समाधान करना चाहिए और दोनों देशों के विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
  • सीमा-विवाद निवारण: दोनों देशों को यथार्थवादी समाधान खोजना चाहिए। भारत और बांग्लादेश के बीच सफल सीमा विवाद समाधान आगे बढ़ने के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकता है।

निष्कर्ष

भारत-नेपाल के बीच सांस्कृतिक संबंधों का एक विस्तृत इतिहास है। नेपाल भारत के आर्थिक और सामरिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। एक मैत्रीपूर्ण सहयोगी नेपाल, भारत और आक्रामक चीन के बीच एक बफर के रूप में कार्य कर सकता हैं।

भारत सरकार को नेपाल में नए नेतृत्व के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ना चाहिए और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। इससे भारत के दीर्घकालिक हितों को लाभ होगा।

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