भुगतान बैंक भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी विचार के रूप में उभरे हैं। ये सुलभ, किफायती, और सुरक्षित बैंकिंग सेवाएं प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। इस लेख का उद्देश्य भुगतान बैंकों की अवधारणा, अर्थ, विशेषताएँ, कार्य, महत्व, और अन्य संबंधित पहलुओं का विस्तृत अध्ययन करना है।
भुगतान बैंक क्या हैं?
- भुगतान बैंक गैर-पूर्ण सेवा वाले बैंक हैं जिनका मुख्य उद्देश्य वित्तीय समावेशन को तेजी से बढ़ावा देना है।
- भुगतान बैंक एक विभेदित बैंक लाइसेंस के तहत आते हैं क्योंकि वे सभी सेवाएं प्रदान नहीं कर सकते जो एक वाणिज्यिक बैंक प्रदान करता है।
- ये भारत में विभेदित बैंकों के एक प्रकार हैं।
विभेदित बैंक क्या हैं? – भारतीय बैंकिंग प्रणाली के तहत विभेदित बैंक वे बैंक हैं जो ग्राहकों के एक विशेष वर्ग को सेवाएं प्रदान करते हैं। – विभेदित बैंकों की अवधारणा को भारत में 2013 में RBI द्वारा पेश किया गया था। – इन्हें नचिकेत मोर समिति की सिफारिशों के आधार पर पेश किया गया था, ताकि विशेष सेवाएं या अनोखे उत्पाद प्रदान किए जा सकें, जो किसी विशेष क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप हों। |
भुगतान बैंकों के उद्देश्य
- भुगतान बैंकों का प्राथमिक उद्देश्य छोटे व्यवसायों, प्रवासी श्रमिक कार्यबल, कम आय वाले परिवारों, अन्य असंगठित क्षेत्र की संस्थाओं और अन्य उपयोगकर्ताओं को भुगतान/प्रेषण सेवाएं और छोटे बचत खाते प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है।
- सरकार ने स्वयं भारतीय पोस्ट भुगतान बैंकों की स्थापना करने का निर्णय लिया।
पेमेंट बैंकों की विशेषताएँ
- वे ग्राहकों को ऋण नहीं देते, बल्कि अपने फंड को बैंक जमा और सरकारी प्रतिभूतियो में प्रयोग करते हैं।
- वे डिमांड डिपाजिट स्वीकार कर सकते हैं, एटीएम/डेबिट कार्ड जारी कर सकते हैं, लेकिन क्रेडिट कार्ड नहीं दे सकते।
- वे मुख्य रूप से हस्तांतरण सेवाओं में काम करते हैं और ₹1 लाख रूपये तक की जमा स्वीकार कर सकते हैं।
- वे ऋण नहीं दे सकते; वे केवल सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में जमाकर्ताओं के रुपयों का निवेश कर सकते हैं।
- भुगतान बैंक के प्रवर्तकों के लिए प्रारंभिक पूंजी का न्यूनतम योगदान पहले पांच वर्षों के लिए कम से कम 40% होना चाहिए।
- हालाँकि, उन्हें म्यूचुअल फंड, बीमा और पेंशन उत्पाद बेचने, उपयोगिता बिल भुगतान स्वीकार करने आदि की अनुमति है, ताकि शाखा संचालन लाभदायक रह सके।
भुगतान बैंकों के लक्षित ग्राहक
भुगतान बैंकों का मुख्य उद्देश्य उन गरीब, प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सेवा प्रदान करना है, जो अपने घरों में पैसे भेजना चाहते हैं।
भुगतान बैंकों के लिए निर्धारित शर्तें
- प्रति ग्राहक अधिकतम बैलेंस: ₹1 लाख
- न्यूनतम उत्तोलन अनुपात 3%, यानी देनदारियां उसकी निवल संपत्ति से 33 गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- उन्हें ग्राहकों की जमा राशि से प्राप्त धन को केवल सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति हैं।
- वे एनआरआई (नॉन-रेजिडेंट इंडियन) जमा स्वीकार नहीं कर सकते।
- उन्हें नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर ) बनाए रखना होगा।
- उन्हें अपनी “डिमांड डिपॉजिट बैलेंस” का न्यूनतम 75% सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) के लिए योग्य सरकारी प्रतिभूतियों या एक वर्ष से कम अवधि के ट्रेजरी बिल्स में निवेश करना होगा।
- वे अपने फंड का अधिकतम 25% अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के साथ चालू और सावधि /स्थायी जमा के रूप में संचालन और तरलता प्रबंधन के लिए रख सकते हैं।
भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक के बीच मुख्य अंतर
पहलू | भुगतान बैंक | लघु वित्त बैंक |
---|---|---|
पंजीकरण और लाइसेंसिंग | कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस प्राप्त | कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस प्राप्त |
पात्रता | प्रीपेड पेमेंट उपकरण (पीपीआई) प्रदाता, निवासी व्यक्ति; एनबीएफसी; दूरसंचार कंपनियां, सुपर-मार्केट श्रृंखलाएं, सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं आदि। | निवासी भारतीय, निजी कम्पनियाँ, सोसायटी, एनबीएफसी, एमएफआई, स्थानीय क्षेत्र बैंक |
न्यूनतम पूंजी आवश्यकताएँ | ₹100 करोड़ | ₹100 करोड़. (5 वर्षों के भीतर इसे बढ़ाकर ₹200 करोड़ किया जाएगा) |
एफडीआई की अनुमति | हाँ, 74% तक | हाँ, 74% तक |
जमा स्वीकार | केवल डिमांड डिपॉजिट। कोई फिक्स्ड डिपॉजिट और एनआरआई डिपॉजिट नहीं | हाँ |
जमा पर प्रतिबंध | 1 लाख रूपये तक | कोई प्रतिबन्ध नहीं |
जमा बीमा उपलब्ध है? | हाँ | हाँ |
ऋण दे सकते हैं | नहीं | हां। इसके ऋण पोर्टफोलियो का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा 25 लाख रुपये तक के ऋण और अग्रिमों का होना चाहिए। |
डेबिट/क्रेडिट कार्ड जारी करना | केवल डेबिट कार्ड. कोई क्रेडिट कार्ड नहीं | दोनों जारी किये जा सकते हैं |
स्थापना की सिफारिश का आधार | नचिकेत मोर समिति | नचिकेत मोर समिति |
लाइसेंस के लिए आवेदनों का मूल्यांकन करने हेतु समिति | नचिकेत मोर समिति | उषा थोरात समिति |
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) | सीआरआर लागू; एसएलआर: शुद्ध मांग और सावधि देयताओं (एनडीटीएल) का 75% | सीआरआर और एसएलआर लागू |
बेसल मानदंड लागू | हाँ। जोखिम भारित परिसंपत्तियों (आरडब्ल्यूए) का 15% | हाँ। जोखिम भारित परिसंपत्तियों (आरडब्ल्यूए) का 15% |
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) मानदंड | नहीं, ऋण नहीं दे सकते | हाँ. लक्ष्य: 75%. |
उदाहरण | एयरटेल, इंडिया पोस्ट्स पेमेंट बैंक, पेटीएम, फिनो आदि। | उज्वलवन, उत्कर्ष, जन, औ आदि। |
भारत में विभेदित बैंकों की भूमिका
- वित्तीय समावेशन: ये बैंक विशिष्ट ग्राहक वर्गों और क्षेत्रों को लक्षित करके बड़ी आबादी को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- आर्थिक विकास: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSEs) को ऋण सुविधाएँ प्रदान करके ये बैंक निचले स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार और संपत्ति का सृजन होता है।
- बैंकिंग आदतों को बढ़ावा देना: जमा और बुनियादी वित्तीय उत्पादों तक बेहतर पहुँच से बचत और निवेश की संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाता है।
- वित्तीय नवाचार: ये बैंक अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुसार नए और विशेष बैंकिंग और वित्तीय समाधान पेश कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिए, भुगतान बैंकों ने मोबाइल तकनीक का उपयोग करके सरल और सुरक्षित लेनदेन की सुविधा दी है, जिससे भारत में डिजिटल बैंकिंग का विस्तार हो रहा है।
- स्वस्थ प्रतिस्पर्धा: विभेदित बैंकों की उपस्थिति बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है, जिससे सभी ग्राहकों को बेहतर दरों और सेवाओं का लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में भुगतान बैंक एक नयी और महत्वपूर्ण अवधारणा हैं, जो बिना बैंकिंग सुविधा वाले और कम बैंकिंग सुविधा वाले समाज के वर्गों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनकी सेवाओं के माध्यम से वंचित वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करके उन्होंने आर्थिक विकास और प्रगति में योगदान दिया है। जैसे-जैसे यह क्षेत्र परिपक्व होता जाएगा, यह समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को सशक्त बनाने में और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सामान्य अध्ययन-3