अभी हाल में ICMR के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 101 मिलियन लोग मधुमेह रोग से पीड़ित है। मधुमेह एक दीर्घकालिक बीमारी है जो किसी व्यक्ति को तब होती है, जब अग्न्याशय (Pancreas) में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है या जब शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। लेकिन जब इन्सुलिन के द्वारा रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित नहीं किया जाता, तो यह उच्च रक्त शर्करा का कारण बन जाता है, जो शरीर की विभिन्न प्रणालियों को समय के साथ नुकसान पहुँचाता है, विशेष रूप से धमनियों और रक्त वाहिकाओं को।
- मधुमेह रोग वाले लोगों को हृदयाघात का अधिक खतरा होता है।
- व्यक्तियों के पाँव में तंत्रिका क्षति के कारण पैर के अल्सर, संक्रमण और अंग-विच्छेदन का जोखिम बढ़ जाता है।
- यह रेटिना में रक्त वाहिकाओं के नुकसान के कारण अंधापन भी पैदा कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त, यह फेफड़ों की समस्याओं का भी एक प्रमुख कारण है।
भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या (आँकड़े और तथ्य)
- विश्व में, चीन के बाद भारत में मधुमेह रोगियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
- भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित 77 मिलियन लोग इस बीमारी (मधुमेह रोग़) से पीड़ित है।
- लगभग 25 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक से पीड़ित है, जिसका तात्पर्य है कि उन्हें शीघ्र ही इस बीमारी के विकसित होने का उच्च जोखिम है।
- भारत में इस बीमारी की व्यापकता 2009 में 7.1% से बढ़कर 2019 में 8.9% हो गयी है।
- यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 2030 तक 100 मिलियन तक पहुँच जाएगी।
भारत में मधुमेह रोग के पीड़ितों की संख्या अधिक होने के कारण
निम्नलिखित कारणों से भारत में मधुमेह रोग के पीड़ितों की संख्या अधिक है:
- इंसुलिन प्रतिरोध: भारतीयों में यूरोपीय लोगों की तुलना में इंसुलिन प्रतिरोध का स्तर अधिक होता है, जो भारतीय आबादी में टाइप 2 मधुमेह की अधिक व्यापकता में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
- आनुवंशिक प्रवृत्ति: टाइप 2 मधुमेह के विकास में आनुवंशिक संवेदनशीलता एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और भारतीयों में यूरोपीय लोगों की तुलना में कम उम्र में ही यह बीमारी विकसित हो जाती है।
- इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास: इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास भी जोखिम को बढ़ाता है, और मधुमेह से ग्रस्त दोनों माता-पिता से बच्चे को बीमारी के विकसित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
- पर्यावरणीय कारक: भारत में इस बीमारी का बढ़ना पर्यावरणीय कारकों से भी काफी प्रभावित है। भारत एक महामारीविज्ञानीय संक्रमण का अनुभव कर रहा है, जिसमें जनसंख्या वितरण पैटर्न, प्रजनन दर, जीवन प्रत्याशा और मृत्यु के प्रमुख कारणों में परिवर्तन शामिल हैं।
- शहरीकरण, गतिहीन जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर आहार और उच्च स्तर का तनाव, इंसुलिन प्रतिरोध और इस बीमारी में योगदान देता है।
भारत में मधुमेह के प्रसार को कम करने के लिए, इन जोखिम कारकों को कम करना और मधुमेह रोग़ के शीघ्र निदान एवं उपचार में सुधार करना महत्त्वपूर्ण है।
मधुमेह रोग़ से निपटने के लिए भारत सरकार की पहल
भारत सरकार ने मधुमेह रोग़ की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित पहलें शुरू की हैं:-
- राष्ट्रीय मधुमेह नीति, जो 2017 में शुरू की गयी थी, का उद्देश्य 2025 तक भारत में इस बीमारी की व्यापकता को 20% तक कम करना है।
- प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), जिसे आयुष्मान भारत के नाम से भी जाना जाता है, एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना है जो 500 मिलियन से अधिक लोगों को उपचार के लिए मुफ्त कवरेज प्रदान करती है।
- जागरूकता पैदा करना: सरकार ने इस बीमारी के बारे में लोगों को शिक्षित करने और इसे रोकने के तरीके के बारे में कई जागरूकता अभियान भी शुरू किये है। भारत सरकार ने समुदायों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न प्रकार के माध्यमों का उपयोग किया है।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) स्वस्थ भोजन (मधुमेह आहार) की आदतों को बढ़ावा देता है।
- युवा मामले और खेल मंत्रालय फिट इंडिया मूवमेंट का नेतृत्व करता है, तथा आयुष मंत्रालय द्वारा योग से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कराया जाता है।
- स्वास्थ्य विभाग द्वारा गैर-संचारीरोगों (एनसीडी) और उनके जोखिम कारकों के लिए पूरी आबादी की जांच करने के लिए एनसीडी नियंत्रण कार्यक्रम नामक एक नई पहल शुरू की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत गैर-संचारीरोगों से पीड़ित व्यक्ति, जिनकी आयु 30 वर्ष से अधिक हों, उनके लिए एक रजिस्ट्री तैयार करना, ताकि यह समझा जा सकें कि मधुमेह से कितने लोग प्रभावित हैं।
मधुमेह रोग़ से निपटने के लिए उठाए गये कदम
मधुमेह रोग़ से निपटने के उपाय:
- इंसुलिन प्रतिरोध को कम करना।
– शारीरिक गतिविधियों बढ़ाना चाहियें।
– वजन कम करने के लिए सख्त डाइट (मधुमेह आहार) का पालन करना चाहियें।
– मेटफॉर्मिन जैसी मधुमेह की दवाओं का उपयोग करना चाहियें।
- एक गतिहीन जीवन शैली से एक सक्रिय जीवन शैली में परिवर्तन करने से इंसुलिन स्राव, इंसुलिन क्रिया, वसा वितरण और मोटापे से संबंधित आनुवंशिक कारकों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- अस्वस्थ वसा, चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन को कम करना चाहियें।
- मधुमेह रोग़ के लिए जांच-केन्द्रों की संख्या को बढ़ाना चाहियें।
- वहनीय मधुमेह रोग़ उपचार तक पहुंच की सुविधा प्रदान करनी चाहियें।
- निवारक जागरूकता: लोगों को इस बीमारी और इसे कैसे रोका जाए, इसके बारे में शिक्षित करना चाहियें।
- मरीजों के लिए पहुँच और वहनीयता प्रदान करने के लिए भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार करना चाहियें।
- स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ ही स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के कौशल विकसित करने तथा स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ावा देना चाहियें और इसके साथ ही गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और प्रारंभिक निदान को प्रोत्साहित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने की आवश्यकता है।
- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 2025 तक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में जीडीपी का लगभग 2.5 प्रतिशत निवेश करने की आवश्यकता है। मधुमेह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसे प्रबंधित किया जा सकता है। यदि आपको मधुमेह है, तो अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहियें। इससे आपको मधुमेह की जटिलताओं से बचने में मदद मिलेगी और आप एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।
आगे की राह
मधुमेह रोग़ भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो तेजी से बढ़ रही है। भारत में इस बीमारी को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण महत्वपूर्ण है, लेकिन यह असंभव नहीं है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करने के लिए वयस्कों और बच्चों में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए और इसके अतिरिक्त मोटापा को कम करने के उपायों के साथ स्वस्थ शिशु और भ्रूण के विकास को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहियें।
मधुमेह रोग को समाप्त करने के लिए पारंपरिक, उच्च-फाइबर भोजन तथा तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान जैसी भारतीय प्रथाओं को पूरी तरह से अपनाना होगा।
सामान्य अध्ययन-3