राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस (29 जून) वह दिन है जब भारत सामाजिक-आर्थिक नियोजन और नीति निर्माण में सांख्यिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को उत्सव के रूप में मनाता है। “निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग” की थीम के साथ, राष्ट्र 29 जून 2024 को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2024 मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जैसा कि भारत इस विशेष दिन पर हमारे सांख्यिकीविद् समुदाय का सम्मान करता है, NEXT IAS का यह लेख राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जिसमें इसके इतिहास, महत्त्व और संबंधित तथ्य शामिल है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2024
- भारत में, राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस प्रत्येक वर्ष 29 जून को मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रोफेसर प्रचंड चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- यह दिवस सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में प्रोफेसर महालनोबिस के अपार योगदान को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
- यह दिवस रोजमर्रा की जिंदगी में सांख्यिकी के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्र के विकास को आकार देने में सांख्यिकीविदों और डेटा पेशेवरों के योगदान को मान्यता देने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के बारे में मुख्य तथ्य
तिथि | 29 जून |
उत्पत्ति | प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस के सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन में योगदान को सम्मानित करने के लिए 2007 में शुरू किया गया। |
उद्देश्य | राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक योजना और नीति-निर्माण में सांख्यिकी के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना। |
विषय (Theme) | विषय प्रत्येक वर्ष बदलता है और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तय किया जाता है। |
थीम 2024 | “निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग (Use of Data for Decision Making)” |
प्रोफेसर महालनोबिस कौन थे?
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस, जिन्हें भारतीय सांख्यिकी का जनक भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ और सांख्यिकीविद् थे। उनका जन्म 29 जून 1893 को कोलकाता में हुआ था।
उनकी शिक्षा और करियर
- उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता से गणित में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
- 1917 में, वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए।
- उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से गणित में एम.ए. और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
- 1921 में, वे भारत लौट आए और प्रेसीडेंसी कॉलेज में गणित के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हुए।
- 1931 में, उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) की स्थापना की।
- वे 1950 से 1962 तक आईएसआई के निदेशक रहे।
उनका योगदान
- उन्होंने बहुआयामी विश्लेषण, नमूना सर्वेक्षण, और राष्ट्रीय आय के अनुमान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- उन्होंने महालनोबिस दूरी विकसित की, जो सांख्यिकी में एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है।
- उन्होंने भारत में सांख्यिकी के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके सम्मान
- उन्हें 1949 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
- 1966 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
- 1972 में उन्हें रॉयल सोसाइटी के सदस्य चुना गया था।
उनका निधन
प्रोफेसर महालनोबिस का निधन 28 जून 1972 को कोलकाता में हुआ था। प्रोफेसर महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी के जनक के रूप में याद किया जाता है। उनके योगदान ने भारत और दुनिया भर में सांख्यिकी के क्षेत्र को आकार देने में मदद की।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस बनाम विश्व सांख्यिकी दिवस
भारत में मनाए जाने वाला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस को 29 जून को मनाया जाता है, जबकि वैश्विक स्तर पर विश्व सांख्यिकी दिवस को प्रत्येक वर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। दोनों दिवसों में निम्नलिखित समानताएं एवं अंतर हैं:
समानताएँ
- उद्देश्य: दोनों दिवसों का उद्देश्य सांख्यिकी के महत्त्व और समाज में इसके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
- कार्यक्रम: दोनों दिवसों पर विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है, जिनमें सांख्यिकी और डेटा विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित व्याख्यान, कार्यशालाएं और प्रदर्शनियां शामिल हैं।
- पुरस्कार और सम्मान: दोनों दिवसों पर सांख्यिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए जाते हैं।
अंतर
मापदंड | राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस | विश्व सांख्यिकी दिवस |
तिथि | 29 जून | 20 अक्टूबर |
मनाया जाता है | भारत में | विश्वभर में |
महत्त्व | भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती। | सांख्यिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना। |
थीम | भारत में डेटा और सांख्यिकी के उपयोग से संबंधित एक विशिष्ट विषय पर फोकस किया जाता है। | थीम प्रत्येक 5 वर्ष में में परिवर्तित होता है, तथा इसके अंतर्गत सांख्यिकी के विभिन्न पहलुओं पर फोकस किया जाता है। |
उत्सव | प्रतिवर्ष मनाया जाता है। | प्रत्येक 5 वर्ष में मनाया जाता है। |
उत्पत्ति | भारत सरकार द्वारा 2007 में स्थापित; | संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2010 में स्थापित; |
भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का इतिहास
भारत में ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ का इतिहास वर्ष 2007 से प्रारम्भ हुआ था। भारत में इसकी उत्पत्ति और विकास का कालक्रम नीचे समझाया गया है:
- 5 जून 2007: प्रोफेसर महालनोबिस द्वारा किए गए अपार योगदान के सम्मान में, भारत सरकार ने 5 जून, 2007 को उनकी जयंती 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में नामित किया।
- 29 जून 2007: पहला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून, 2007 को मनाया गया।
- वर्तमान: 2007 में अपनी स्थापना के बाद से, भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस प्रत्येक वर्ष उसी दिन मनाया जाता है।
भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का उत्सव
यह दिवस सांख्यिकी के महत्त्व और भारत में इसके विकास का जश्न मनाने का एक अवसर है। यह दिवस सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों के योगदान को भी सम्मानित करता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस को विभिन्न कार्यक्रम द्वारा मनाया जाता है:
सरकारी कार्यक्रम
- भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों का आयोजन करती है, जिनमें सांख्यिकी और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा व्याख्यान, कार्यशालाएं और प्रदर्शनियां शामिल हैं।
- सांख्यिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए जाते हैं।
शैक्षणिक संस्थान
- स्कूलों और कॉलेजों में सांख्यिकी के महत्त्व पर जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- छात्रों के लिए सांख्यिकी प्रतियोगिताएं और क्विज़ आयोजित किए जाते हैं।
सार्वजनिक जागरूकता अभियान
- सांख्यिकी के महत्त्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए मीडिया में अभियान चलाए जाते हैं।
- सोशल मीडिया का उपयोग सांख्यिकी के बारे में जानकारी और संसाधनों को साझा करने के लिए किया जाता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस समारोह के उद्देश्य
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का उद्देश्य केवल एक दिवस का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई महत्त्वपूर्ण उद्देश्य भी छिपे हुए हैं। आइए इन उद्देश्यों को विस्तार से समझते हैं:
सांख्यिकी के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना
- यह दिवस सांख्यिकी के महत्त्व और समाज में इसके योगदान के बारे में लोगों को शिक्षित करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है।
- सांख्यिकी का उपयोग नीति निर्माण, योजना, अनुसंधान और विकास, और कई अन्य क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
- इस दिवस के माध्यम से, लोगों को सांख्यिकी की शक्ति और डेटा से प्राप्त अंतर्दृष्टि के महत्त्व को समझने में मदद की जाती है।
सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों के योगदान को सम्मानित करना
- यह दिवस उन सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों को सम्मानित करने का अवसर है जो डेटा का उपयोग करके हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
- उनके योगदान को स्वीकार करना और उन्हें प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है, ताकि वे डेटा विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में और अधिक योगदान दे सकें।
युवाओं को सांख्यिकी और डेटा विज्ञान में करियर के लिए प्रोत्साहित करना
- यह दिवस युवाओं को सांख्यिकी और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक अवसर है।
- यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इसमें कई अवसर उपलब्ध हैं।
- इस दिवस के माध्यम से, युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आवश्यक कौशल और शिक्षा के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
सांख्यिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- यह दिवस दुनिया भर के सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों को एक साथ लाने और सांख्यिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर है।
- विभिन्न देशों के बीच ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान डेटा विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति को गति देने में मदद कर सकता है।
सांख्यिकी के उपयोग में नैतिकता और गोपनीयता को बढ़ावा देना
- यह दिवस सांख्यिकी के उपयोग में नैतिकता और गोपनीयता के महत्त्व पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर है।
- डेटा का उपयोग जिम्मेदारी से और नैतिक रूप से करना महत्त्वपूर्ण है, ताकि व्यक्तियों की गोपनीयता का सम्मान किया जा सके और डेटा का दुरुपयोग न हो।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस समारोह का महत्त्व
यह दिवस सांख्यिकी के महत्त्व और भारत में इसके विकास का जश्न मनाने का एक अवसर है। यह दिवस सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों के योगदान को भी सम्मानित करता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस समारोह का महत्त्व निम्नलिखित है:
जागरूकता बढ़ाना
- यह दिवस सांख्यिकी के महत्त्व और समाज में इसके विभिन्न योगदानों के बारे में लोगों को शिक्षित करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
- सांख्यिकी का उपयोग नीति निर्माण, योजना, अनुसंधान, व्यवसाय और कई अन्य क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
- इस दिवस के माध्यम से, लोगों को डेटा से प्राप्त अंतर्दृष्टि और सांख्यिकीय विश्लेषण की शक्ति को समझने में मदद की जाती है।
सम्मान व्यक्त करना
- यह दिवस उन सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है जो डेटा का विश्लेषण करके और उसका उपयोग करके हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
- उनके योगदान को स्वीकार करना और उन्हें प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है, ताकि वे डेटा विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में और अधिक योगदान दे सकें।
प्रोत्साहन देना
- यह दिवस युवाओं को सांख्यिकी और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है।
- यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इसमें कई अवसर उपलब्ध हैं।
- इस दिवस के माध्यम से, युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आवश्यक कौशल और शिक्षा के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
सहयोग को बढ़ावा देना
- यह दिवस दुनिया भर के सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों को एक साथ लाने और सांख्यिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
- विभिन्न देशों के बीच ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान डेटा विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति को गति देने में मदद कर सकता है।
नैतिकता और गोपनीयता को बढ़ावा देना
- यह दिवस सांख्यिकी के उपयोग में नैतिकता और गोपनीयता के महत्त्व पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
- डेटा का उपयोग जिम्मेदारी से और नैतिक रूप से करना महत्त्वपूर्ण है, ताकि व्यक्तियों की गोपनीयता का सम्मान किया जा सके और डेटा का दुरुपयोग न हो।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस समारोह केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सांख्यिकी के महत्त्व और समाज में इसके योगदान को याद करने और मनाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। यह दिवस सांख्यिकीविदों और डेटा वैज्ञानिकों को सम्मानित करने, युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने, और सांख्यिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का भी अवसर है।
सिविल सेवा और शासन में सांख्यिकी का महत्त्व
सांख्यिकी सिविल सेवा और शासन के विभिन्न पहलुओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह नीति निर्माण, योजना, कार्यान्वयन और मूल्यांकन में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है:
नीति निर्माण
- सांख्यिकी नीति निर्माताओं को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय रुझानों को समझने में मदद करती है, जो प्रभावी नीतियां बनाने के लिए आवश्यक है।
- उदाहरण के लिए, गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसे मुद्दों पर डेटा का उपयोग नीतिगत हस्तक्षेप को लक्षित करने और उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है।
योजना
- सांख्यिकी योजनाकारों को संसाधनों का कुशलतापूर्वक आवंटन करने और विभिन्न कार्यक्रमों और परियोजनाओं के प्रभाव की भविष्यवाणी करने में मदद करती है।
- उदाहरण के लिए, जनसंख्या के आयु वितरण के बारे में डेटा का उपयोग शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
कार्यान्वयन
- सांख्यिकी नीतियां और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करने में मदद करती है।
- उदाहरण के लिए, शिक्षा कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए छात्रों के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण किया जा सकता है।
मूल्यांकन
- सांख्यिकी नीतियां और कार्यक्रमों के प्रभाव का मूल्यांकन करने में मदद करती है।
- यह नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद करता है कि क्या नीतियां सफल रही हैं और क्या उन्हें समायोजित करने की आवश्यकता है।
सिविल सेवा और शासन में सांख्यिकी का उपयोग करने के कुछ विशिष्ट उदाहरण
- जनगणना: जनगणना डेटा का उपयोग सरकारों द्वारा विभिन्न नीतियां और कार्यक्रम बनाने के लिए किया जाता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे।
- राष्ट्रीय आय और व्यय लेखा: राष्ट्रीय आय और व्यय लेखा (एनएआई) डेटा का उपयोग सरकारों द्वारा आर्थिक विकास की निगरानी और नीतिगत निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
- अपराध के आंकड़े: अपराध के आंकड़े का उपयोग पुलिस विभागों द्वारा अपराध के रुझानों को समझने और अपराध को रोकने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए किया जाता है।
- शिक्षा सर्वेक्षण: शिक्षा सर्वेक्षण डेटा का उपयोग शिक्षा मंत्रालयों द्वारा शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने और सुधार के लिए नीतियां बनाने के लिए किया जाता है।
महालनोबिस मॉडल क्या है?
महालनोबिस मॉडल, जिसे फेल्डमैन-महालनोबिस मॉडल भी कहा जाता है, एक आर्थिक विकास का गणितीय मॉडल है जिसे आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए भारी उद्योगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विकसित किया गया था।
इस मॉडल को दो अर्थशास्त्रियों ने स्वतंत्र रूप से विकसित किया था
- ग्रिगोरी फेल्डमैन, एक सोवियत अर्थशास्त्री, ने 1928 में इसे विकसित किया था।
- प्रशांत चंद्र महालनोबिस, एक भारतीय सांख्यिकीविद् और भारतीय सांख्यिकी संस्थान के संस्थापक, ने 1953 में इसे स्वतंत्र रूप से विकसित किया था।
महालनोबिस मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है
- आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन भारी उद्योग हैं।
- भारी उद्योग अन्य क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
- सरकारी हस्तक्षेप अर्थव्यवस्था में निवेश और विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
मॉडल में निम्नलिखित मुख्य घटक शामिल हैं
- दो क्षेत्र: पूंजीगत वस्तु क्षेत्र और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र।
- निवेश: पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में निवेश अर्थव्यवस्था में समग्र उत्पादन को बढ़ाता है।
- तकनीकी प्रगति: तकनीकी प्रगति उत्पादकता में वृद्धि और लागत में कमी को जन्म देती है।
- असमानता: आय असमानता बचत और निवेश को प्रभावित करती है।
महालनोबिस मॉडल का भारत में कार्यान्वयन
- भारत सरकार ने 1950 के दशक में दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान महालनोबिस मॉडल को अपनाया था।
- इस मॉडल के तहत, सरकार ने भारी उद्योगों, जैसे कि स्टील, सीमेंट और मशीनरी में बड़े पैमाने पर निवेश किया।
- सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार किया गया और इन उद्योगों को स्थापित करने और संचालित करने के लिए कई सरकारी उपक्रमों का निर्माण किया गया।
महालनोबिस मॉडल के प्रभाव
- इस मॉडल ने भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इसने देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद की।
- हालांकि, इस मॉडल की कुछ आलोचनाएं भी हुईं, जिनमें शामिल हैं:
- असंतुलित विकास: इसने भारी उद्योगों पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं और कृषि के विकास में कमी आई।
- उच्च लागत: सरकारी उपक्रम प्राय: अकुशल और अनिर्दिष्ट थे, जिसके परिणामस्वरूप उच्च लागत और कम उत्पादकता हुई।
- आय असमानता: इस मॉडल ने आय असमानता को बढ़ा दिया, क्योंकि भारी उद्योगों ने शहरी क्षेत्रों में कुछ लोगों को लाभान्वित किया, जबकि ग्रामीण क्षेत्र और गरीब पीछे रह गए।
प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस क्या है?
भारत में प्रतिवर्ष 29 जून को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, सांख्यिकी विज्ञान और आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में अग्रणी प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन नीतियों और राष्ट्रीय विकास को आकार देने में सांख्यिकी के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
भारत में सांख्यिकी के जनक कौन हैं?
प्रशांत चंद्र महालनोबिस, जिन्हें प्रो. महालनोबिस के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सांख्यिकी के जनक हैं।
विश्व सांख्यिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व सांख्यिकी दिवस प्रत्येक 5 वर्ष में 20 अक्टूबर को मनाया जाता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन कब हुआ था?
भारत का राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) एक स्वायत्त निकाय है जिसका गठन 12 जुलाई 2006 को हुआ था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन किसकी सिफारिश पर किया गया था?
भारत का राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) रंगराजन आयोग की सिफारिश के तहत गठित किया गया था।