विश्व खाद्य दिवस

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विश्व खाद्य दिवस
विश्व खाद्य दिवस

संदर्भ

  • 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य विश्वभर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह लेख विश्व खाद्य दिवस और भारत की खाद्य सुरक्षा स्थिति के विषय में विवरण प्रदान करता है।

दिन की थीम

“जल ही जीवन है, जल ही भोजन है। किसी को भी पीछे ना छोड़ें।”

पृष्ठभूमि

  • यह दिन संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एफएओ की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को हुई थी।
  • विश्व खाद्य दिवस को वैश्विक अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त होने में 34 साल लग गए। यह मान्यता नवंबर 1979 में एफएओ के 20वें सम्मेलन में मिली।
  • संयुक्त राष्ट्र से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करने के पश्चात् 150 देशों ने इस दिन को मनाना शुरू किया।

अन्य जानकारी

  • 2014 से विश्व खाद्य दिवस को वैश्विक खाद्य सुरक्षा की वकालत करने और ग्रामीण देशों में निर्धनता को संबोधित करने के लिए समर्पित किया गया है।
  • हाल के दिनों में विश्व खाद्य दिवस ने अपने वार्षिक उत्सव का प्रयोग खाद्य सुरक्षा और कृषि के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के लिए किया है।
  • इनमें मछली पकड़ने वाले समुदाय, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता जैसे विषय सम्मिलित हैं।

विश्व खाद्य दिवस का उद्देश्य

विश्व खाद्य दिवस के लक्ष्य इस प्रकार हैं

  • कृषि खाद्य उत्पादन पर ध्यान आकर्षित करना और इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय, द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और गैर-सरकारी संगठनों के विभिन्न प्रयासों को बढ़ावा देना।
  • विकासशील देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और गतिविधियों में ग्रामीण समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समूहों की भागीदारी को बढ़ावा देना, जो उनकी जीवन स्थितियों को प्रभावित करते है।
  • वैश्विक स्तर पर भूख के मुद्दे के विषय में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना।
  • विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को सुगम बनाना।
  • खाद्य और कृषि विकास में उपलब्धियों को उजागर करते हुए भूख, कुपोषण और निर्धनता के विरुद्ध लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ाना।

विश्व खाद्य दिवस का महत्व

  • विश्व खाद्य दिवस 2023 का विषय है “जल ही जीवन है, जल ही भोजन है। किसी को भी पीछे न छोड़ें।” जल पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी की सतह के एक बड़े भाग को कवर करता है और हमारे शरीर का 50% से अधिक भाग का निर्माण करता है।
  • जल द्वारा खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है तथा इसके साथ ही जल आजीविका का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि हम यह पहचानें कि जल एक सीमित संसाधन है और इसे लापरवाही में नहीं लिया जाना चाहिए।
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने हमारे भोजन के विकल्पों और उत्पादन के तरीकों के जल पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित किया है।
  • हम साथ मिलकर भोजन के लिए जल बचाने के लिए कदम उठा सकते हैं और सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

जल का प्रबंधन समझदारी से करने की आवयश्कता है

  • सीमित जल संसाधनों के साथ अधिक भोजन और आवश्यक कृषि वस्तुओं के उत्पादन करने की चुनौती का समाधान करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम न्यायपूर्ण जल वितरण को प्राथमिकता दें। इसके साथ ही हमारी जलीय खाद्य प्रणालियों को संरक्षित करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी इन प्रयासों से बाहर न रहे।
  • इसे प्राप्त करने के लिए सरकारों को ऐसी नीतियां विकसित करनी चाहिए जो जल संसाधनों की प्रभावी ढंग से योजना बनाने और प्रबंधन करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में डेटा, नवाचार और सहयोग का लाभ उठाते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान और साक्ष्य पर आधारित हों।
  • इन नीतियों के साथ निवेश में वृद्धि, कानून और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाना भी सम्मिलित होना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त सरकारों को कृषि में सम्मिलित व्यक्तियों और संगठनों की क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए तथा इसके साथ ही किसानों और निजी क्षेत्र को एकीकृत समाधानों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जो कुशल जल के उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

वैश्विक भूख सूचकांक 2023 में भारत की स्थिति

  • भारत हाल ही में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2023 में 124 देशों में से 111वें स्थान पर है जबकि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान (102वें), बांग्लादेश (81वें), नेपाल (69वें) और श्रीलंका (60वें) ने सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन किया है। 
  • भारत की स्थिति 2022 में इसकी 107वीं रैंक की तुलना में चार स्थान गिरावट आई है।
  • GHI के अनुसार, भारत विश्व में सबसे अधिक बाल-अपक्षय दर (Highest child-wasting rate) वाला देश बन गया है। यह दर 18% है जो देश में कुपोषण की गंभीर समस्या का संकेत देती है। 
  • GHI एक वार्षिक रिपोर्ट है जिसे गैर-लाभकारी संगठनों कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेलथंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया जाता है।
  • बाल-अपक्षय दर जो GHI स्कोर की गणना के लिए प्रयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से एक है, उन पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अनुपात को संदर्भित करता है जिनका वजन उनकी ऊंचाई के लिए कम है।
  • GHI में प्रयोग किए जाने वाले संकेतक अर्थात् कुपोषण, बाल स्टंटिंग, बाल अपक्षय दर  और बाल मृत्यु दर, कैलोरी की मात्रा और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों दोनों में कमी को उजागर करते हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में बच्चों की कमज़ोरी की दर यमन (14% प्रतिशत) और सूडान (13% प्रतिशत) जैसे संघर्ष प्रभावित देशों से भी अधिक है, जो सूची में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

विश्व खाद्य दिवस

सरकारी पहल

राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम)

  • सरकार ने राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM) या पोषण अभियान शुरू किया है। एनएनएम का उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार करना है जिसमें बौनापन , कुपोषण, एनीमिया और कम वजन वाले शिशुओं जैसी समस्याओं का समाधान करना सम्मिलित है।
  • मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य के साथ-साथ पोषण से संबंधित हस्तक्षेपों के प्रभाव को मापने के लिए एनएनएम लाइव्स सेव्ड टूल (LiST) का उपयोग करता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)

  • अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ने आठ रणनीतियाँ लागू कीं:
  • कम उत्पादन और महत्वपूर्ण क्षमता वाले जिलों को प्राथमिकता देना।
  • फसल प्रणालियों के आधार पर नवाचार को बढावा प्रदान करना।
  • फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि-जलवायु क्षेत्र-वार योजना और क्लस्टर दृष्टिकोण को अपनाना।
  • वार्षिक फसल (दालें) उत्पादन और विविधीकरण पर ध्यान आकर्षित करना।
  • बीज, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (INM), एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM), इनपुट उपयोग क्षमता और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और इनको विस्तारित करना। इसके अतिरिक्त किसानों और विस्तार कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण पर जोर दिया गया है।
  • वित्त के प्रवाह की बारीकी से निगरानी कर समय पर लक्षित लाभार्थियों को वितरण सुनिश्चित करना
  • अनेक हस्तक्षेपों को संयोजित करना और जिले के लक्ष्यों को योजनाओं के साथ संरेखित करना ।
  • हस्तक्षेपों के प्रभाव का आँकलन करने और परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने के लिए एजेंसियों को लागू करना।

शून्य भूख कार्यक्रम (Zero Hunger Program)

  • जीरो हंगर प्रोग्राम को भारत में 2017 में कृषि, स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  •  इस कार्यक्रम की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, एम.एस. स्वामीनाथन अनुसंधान फाउंडेशन और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा की गई थी।
  • इसका मुख्य फोकस कृषि मशीनरी के विकास, खेती की प्रथाओं के पुनर्गठन, जैव सुदृढ़ पौधों के लिए आनुवंशिक उद्यान स्थापित करना और शून्य भूख प्रशिक्षण लागू करना है।
  • शून्य भूख कार्यक्रम का उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:
  • 2 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों में बौनेपन को कम करना।
  • सभी के लिए वर्ष भर भोजन की पहुंच सुनिश्चित करना।
  • स्थिर खाद्य प्रणालियाँ स्थापित करना।
  • छोटे किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि।
  • भोजन की बर्बादी कम करना।

ईट राइट इंडिया (Eat Right India) अभियान

  • ईट राइट इंडिया (Eat Right India) अभियान भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा शुरू किया गया था जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय जनता स्वस्थ और सुरक्षित भोजन प्राप्त कर सके। यह कार्यक्रम नियामक क्षमताओं को बढ़ाने, सहयोग को बढ़ावा देने और व्यक्तियों को सशक्त बनाने के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • संक्षेप में ईट राइट इंडिया (EAT RIGHT INDIA) आंदोलन का उद्देश्य समुदायों के अंतर्गत पौष्टिक, सुरक्षित और सतत भोजन की खपत को बढ़ावा देना है।
  • खराब आहार संबंधी आदतें सभी आयु समूहों के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती हैं जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • इस चिंता को दूर करने के लिए आंदोलन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए रेस्तरां, कृषि क्षेत्रों, खाद्य उत्पादकों, सरकारी मंत्रालयों और पेशेवर शेफ के साथ साझेदारी कर रहा है।

खाद्य सुदृढ़ीकरण

  • खराब गुणवत्ता वाला भोजन खाने से कुपोषण और एनीमिया हो सकता है जो भारतीय समुदाय में बच्चों और महिलाओं में प्रचलित हैं।
  • कुपोषण और एनीमिया की प्रचलन दर को कम करने के प्रयास में भारत 1950 के दशक से खाद्य सुदृढ़ीकरण का अभ्यास कर रहा है।
  • खाद्य सुदृढ़ीकरण में रासायनिक, जैविक या भौतिक माध्यम से खाद्य पदार्थों में आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करना सम्मिलित है। सुदृढ़ीकरण खाद्य पदार्थों में सामान्यत: चावल, गेहूं का आटा, खाद्य तेल, नमक और दूध आदि सम्मिलित हैं।
  • अफसोस की बात है कि सुदृढ़ीकरण भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लगभग 40% से 60% तक कम आय वाली महिलाओं और बच्चों द्वारा नहीं खाया जाता है। यह मुख्य रूप से कुछ राज्यों द्वारा सुदृढ़ीकरण भोजन खरीदने में विफल रहने, सुदृढ़ीकरण भोजन के विषय में जानकारी के संबंध में सार्वजनिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में पारदर्शिता की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण चैनलों की कमी के कारण है।

भारत में भूख से निपटने के लिए पांच पहलें शुरू की गई है जिनका उद्देश्य भूख से लड़ना है। हालांकि इनमें से कुछ पहलों ने अपने लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं लेकिन भूख के विरुद्ध लड़ाई अभी भी जारी है। दैनिक आहार में अधिक पोषक तत्व सम्मिलित कर कई व्यक्तियों को भूख और बीमारियों से बचाया जा सकता है। इस मुद्दे की गंभीरता को पहचानते हुए सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए पहलें शुरू की हैं।

इसके अतिरिक्त विश्व खाद्य दिवस एक महत्वपूर्ण दिवस है जो स्वादिष्ट भोजन की सराहना करने से कहीं अधिक है। इसका उद्देश्य उन लोगों पर फोकस करना है जिनकी  इस तरह के भोजन तक पहुंच नहीं हैं। इसमें विश्वभर के वे लोग सम्मिलित हैं जो भूख और भुखमरी का अनुभव करते हैं। भूख की समस्या कई देशों में प्रचलित है और हमारे लिए जागरूकता बढ़ाना और इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाना महत्वपूर्ण है।

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