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कला एवं संस्कृति 

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना: भारत की शासन व्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत बनाना

Last updated on January 19th, 2024 Posted on January 15, 2024 by  1946
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना, भारत सरकार की एक प्रस्तावित योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के प्रशासनिक केंद्र, लुटियंस दिल्ली में स्थित सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स का कायाकल्प करना है। संक्षेप में, इस योजना का उद्देश्य लुटियंस दिल्ली की रूपरेखा को परिवर्तित करना है, जिसे अंग्रेजों के शासन काल में एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था।

सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स के विषय में

सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स आम तौर पर दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले 3.2 किलोमीटर के क्षेत्र को संदर्भित करता है। इस क्षेत्र में देश के कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक संस्थान जैसे प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद आदि शामिल है। इन प्रशासनिक संस्थानों से हमारे देश की प्रमुख कार्यविधियों का संचालन किया जाता है।

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू, सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स का एक हिस्सा है और इसमें राजपथ (अब कर्तव्य पथ के रूप में नाम दिया गया है) और इंडिया गेट लॉन शामिल हैं। वार्षिक गणतंत्र दिवस परेड स्थल के रूप में, यह दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक है।

सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स के विकास का इतिहास

1911 में, किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की। इसके बाद, अंग्रेजों द्वारा भारत में प्रशासन के केंद्र के रूप में सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स की परिकल्पना की गई थी। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इसे इस तरह से डिजाइन किया था कि ब्रिटिश सरकार के कुशल कामकाज के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं को इसमें शामिल किया जा सके।

1931 में उद्घाटन के समय, मूल सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स में राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक, संसद भवन, रिकॉर्ड कार्यालय ( वर्तमान में राष्ट्रीय अभिलेखागार ) के साथ-साथ इंडिया गेट स्मारक और राजपथ के दोनों ओर नागरिक उद्यान शामिल थे। स्वतंत्रता के पश्चात् , केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों के लिए कार्यालय स्थानों की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में कुछ और सरकारी भवनों का निर्माण किया गया।

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना – एक संक्षिप्त परिचय

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का उद्देश्य सेंट्रल विस्टा परिसर के पुनर्विकास का कार्य करना है। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों के लिए नई सुविधाओं का निर्माण करके प्रशासनिक अवसंरचना को मजबूत करना है।

परियोजना के विषय में कुछ बुनियादी तथ्य

  • संचालन मंत्रालय (Piloting Ministry): आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
  • अनुमानित लागत (Estimated Cost): लगभग ₹20,000 करोड़
  • प्रारंभिक वर्ष(Launch Year): 2019
  • अनुमानित समापन वर्ष(Estimated Year of Completion): 2026

परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित प्रमुख विकासात्मक / पुनर्विकास कार्य

  • एक नए संसद भवन का निर्माण।
  • माननीय उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए नए आवास और कार्यालय
  • एक केंद्रीय सचिवालय,
  • एक केंद्रीय सम्मेलन केंद्र आदि।
  • सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का नवीनीकरण।
  • लगभग 90 एकड़ में फैली झोपड़ियों का नवनिर्मित स्थानों पर स्थानांतरण
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, राष्ट्रीय संग्रहालय, विज्ञान भवन आदि जैसी कुछ मौजूदा संरचनाओं को ध्वस्त करना 
  • कुछ पुराने ढांचों को संग्रहालयों में बदलना।
नया संसद भवन योजना

नया संसद भवन

  • सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना (Central Vista Redevelopment Project) के अंतर्गत निर्माण किए गये नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई, 2023 को किया गया था।
  • सांसदों (MPs) की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, नए संसद भवन का लक्ष्य भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
    • नए लोक सभा कक्ष की बैठने की क्षमता 888 है, जबकि नए राज्य सभा कक्ष की क्षमता 384 है।
    • पुराने संसद भवन के विपरीत, नई संसद में केंद्रीय हॉल नहीं है। बल्कि, नया लोक सभा कक्ष संयुक्त सत्र के दौरान 1,272 सांसदों को समायोजित (Accommodate) करने की क्षमता रखता है।
  • गोलाकार पुराने संसद भवन के विपरीत, नया संसद भवन त्रिकोणीय है।
    • यह त्रिकोणीय आकार विभिन्न धर्मों में पवित्र त्रिकोणीय ज्यामिति के प्रतीकात्मक महत्त्व को प्रतिबिंबित करने के साथ-साथ जगह के इष्टतम (Space utilization) उपयोग सुनिश्चित करता है।
  • हालाँकि दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र 4 के अंतर्गत आता है, लेकिन नया संसद भवन भूकंपीय क्षेत्र 5 के अनुरूप भूकंपरोधी के रुप में डिज़ाइन किया गया है।
  • हरित निर्माण तकनीकों का उपयोग करके नयें संसद भवन को पूरी तरह से हरित भवन बनाया गया है।
    • इससे पुराने संसद भवन की तुलना में बिजली की खपत 30 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। 
    • साथ ही परिसर में वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण प्रणाली को भी स्थापित किया गया है।
  • बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसकी दीवारों को विस्फोट प्रतिरोधी बनाया गया है।
  • नये संसद भवन में समकालीन भारत (Contemporary India) की जीवंतता और विविधता को स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करने के लिए क्षेत्रीय कला, शिल्प और सांस्कृतिक विशेषताओं को भी शामिल किया गया है।

केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के उद्देश्य

  •  मूल समरूपता को बनाए रखना (Restoring the Original Symmetry of the Central Vista): स्वतंत्रता के पश्चात् से ही  नए निर्माण के साथ सेंट्रल विस्टा कॉम्प्लेक्स की मूल ज्यामितीय समरूपता को बनाए रखना, चुनौतीपूर्ण था। पुनर्विकास परियोजना का उद्देश्य पुरानी इमारतों की विरासत की रक्षा करते हुए मूल समरूपता को बनाए रखना भी था।
  • विधायिका के कामकाज को मजबूत बनाना ( Strengthening the Functioning of the Legislature) : नवीनतम प्रौद्योगिकियों से लैस और विस्तारित स्थान की आवश्यकता को पूरा करने वाला एक नया अत्याधुनिक संसद भवन का निर्माण विधायिका के कामकाज को मजबूत करने में मदद करेगा।
  • कार्यकारी कार्यालयों के लिए पर्याप्त और सुरक्षित स्थानों का निर्माण (Construction of Adequate and Secure Spaces for Executive Offices): परियोजना के अंतर्गत पीएमओ, कैबिनेट सचिवालय आदि के कार्यालयों के लिए आधुनिक और सुरक्षित इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।
  • प्रशासन की उत्पादकता और दक्षता में सुधार ( Improving Productivity and Efficiency of Administration): परियोजना के अंतर्गत, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए नए कार्यालय स्थानों की योजना बनाई जा रही है ताकि समन्वय, सहयोग और तालमेल को बढ़ाया जा सके। इससे सरकार की समग्र उत्पादकता और दक्षता में सुधार होगा।
  • सांस्कृतिक और विरासत सुविधाओं का कायाकल्प ( Rejuvenation of Cultural and Heritage Facilities): परियोजना में IGNCA के लिए एक नए भवन के निर्माण की योजना है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने के लिए उत्तरी और दक्षिणी ब्लॉक के नवीनीकरण की परिकल्पना की गई है।
  • पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना और सार्वजनिक स्थान का विस्तार (Ensuring Environmental Sustainability and Expanding Public Space): नए भवनों के निर्माण के लिए हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है, इसके साथ ही परियोजना के अंतर्गत नयें भारत उद्यान, राष्ट्रीय जैव विविधता वृक्षारोपण आदि जैसे कुछ हरित स्थान बनाने की भी योजना है। यह सार्वजनिक स्थानों के विस्तार के साथ ही सतत विकास को भी  सुनिश्चित करेगी।
  • पारगमन-उन्मुख विकास को बढ़ावा देना(Promoting Transit-Oriented Development): केंद्रीय सचिवालय के नए भवनों की योजना इस तरह बनाई गई है कि वे एक दूसरे से जुड़े होंगे और साथ ही एक सुरक्षित भूमिगत सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से एक-दूसरे के साथ-साथ दिल्ली मेट्रो नेटवर्क और शहर की बस नेटवर्क से भी जुड़े रहेंगे। इससे साझा सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं का उपयोग बढ़ेगा, जिससे दिल्ली में समग्र उत्सर्जन और वायु प्रदूषण कम होगा।
सेंट्रल विस्टा

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के लाभ

  • शासन संबंधी लाभ:
    • सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों का निर्माण एक ही परिसर में होने से उनके मध्य समन्वय बेहतर होगा। कर्मचारियों, दस्तावेजों और सामानों के आवागमन में भी आसानी होगी। इससे प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ेगी।
    • उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास एवं  कार्यालय नई संसद भवन तथा  केंद्रीय सचिवालय के परिसर में बनाए जा रहे हैं। इससे गणमान्य व्यक्तियों की आवाजाही के लिए सुरक्षा और लॉजिस्टिक व्यवस्थाओं को संभालने में सहायता  मिलेगी, साथ ही नियमित यातायात में कोई बाधा नहीं आएगी।
  • पर्यावरण संबंधी लाभ:
    • पारगमन-उन्मुख विकास (Transit-oriented Development) का विकल्प चुनकर, परियोजना सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देगी। इससे निजी वाहनों के उपयोग में कमी आएगी तथा इससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी होगी।
    • परियोजना के अंतर्गत विकसित किए जा रहे हरित स्थानों से दिल्ली के समग्र हरित आवरण में वृद्धि होगी।
  • सांस्कृतिक लाभ:
    • देश के कुछ महत्त्वपूर्ण विरासत भवन वर्तमान में काफी जर्जर अवस्था में हैं। परियोजना इन भवनों को नवीनीकरण के माध्यम से पुन: सरंक्षण की योजना बना रही है।
    • वास्तुशिल्प को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय विस्टा परियोजना भवनों के निर्माण में इस तरह के सुधार करना चाहती है ताकि पुराने भवन की  मूल ज्यामितीय समरूपता और स्थापत्य चरित्र बना रहें ।
    • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के लिए एक नए भवन के निर्माण और कुछ पुरानी इमारतों को संग्रहालयों में परिवर्तित करने की योजना से विरासत और सांस्कृतिक कलाकृतियों के संरक्षण में सहायता मिलेगी।

वर्तमान समय में जब हमारा देश “अमृत काल” के दौरान न्यू इंडिया के विजन 2047 को साकार करने की ओर बढ़ रहा है, तो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना समय की माँग है। यह परियोजना प्रशासनिक दक्षता में सुधार के साथ-साथ कुछ स्थापत्य प्रतिमानों को बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस परियोजना को भारत के जीवंत लोकतंत्र और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के रूप में संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

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