हाल के केन्द्रीय बजट भाषण में यह संकेत दिया गया था कि लोहा, इस्पात तथा एल्युमीनियम जैसे प्रदूषणकारी उद्योगों को उत्सर्जन लक्ष्यों के अनुरूप होना होगा और इन उद्योगों को वर्तमान ‘प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार’ (PAT) प्रणाली से ‘भारतीय कार्बन बाजार’ प्रणाली में परिवर्तित करने के लिए उचित विनियमन लागू करने की आवश्यकता है।