सेमीकंडक्टर विनिर्माण नीति के दूसरे चरण के लिए 15 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • भारत अमेरिका, ताइवान तथा दक्षिण कोरिया के पदचिन्हों पर चलते हुए वैश्विक चिप हब के रूप में उभरने के लिए 15 अरब डॉलर के प्रोत्साहन के साथ अपनी सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा रहा है।

परिचय

  • संशोधित ब्लूप्रिंट चिप निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल, गैसों और रसायनों के लिए पूंजी समर्थन पर केंद्रित है।
  • हालांकि, असेंबली और परीक्षण संयंत्रों के लिए पूंजीगत व्यय सब्सिडी, जिसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया था, को नई योजना के अंतर्गत कम किया जा सकता है।
  • मार्च 2024 में, सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ गुजरात और असम में तीन सेमीकंडक्टर इकाइयाँ स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी।
  • अब सरकार उन्नत निर्माण प्रौद्योगिकियों और माइक्रो-एलईडी डिस्प्ले पर विचार कर रही है, जो चिप पारिस्थितिकी तंत्र के अधिक जटिल तत्वों की ओर परिवर्तन का संकेत है।
अर्धचालक क्या है?
सेमीकंडक्टर जिन्हें ‘चिप्स’ भी कहा जाता है, डिजाइन और निर्माण के लिए अत्यधिक जटिल उत्पाद हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डेटा को संसाधित करने, संग्रहीत करने तथा संचारित करने के लिए आवश्यक कार्यक्षमता प्रदान करते हैं। चिप में ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर और प्रतिरोधकों के अंतर्संबंध सम्मिलित हैं, जो सिलिकॉन की वेफर शीट पर परतदार होते हैं।

पहले की नीति

  • 2021 में जारी की गई प्रोत्साहन नीति के पहले संस्करण में, केंद्र सरकार ने चिप पैकेजिंग और परीक्षण संयंत्रों के लिए 30% पूंजीगत व्यय सब्सिडी की प्रस्तुति की थी। हालांकि, 2022 में उसने ऐसे संयंत्रों के लिए सब्सिडी बढ़ाकर 50% कर दी थी।

चिप निर्माण में वैश्विक परिदृश्य

  • वर्तमान वैश्विक विनिर्माण क्षमता का लगभग 70% दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन तक सीमित है, जबकि बाकी का अधिकांश भाग अमेरिका तथा जापान के पास है।
  • ताइवान और दक्षिण कोरिया चिप्स के लिए वैश्विक फाउंड्री बेस का लगभग 80% भाग बनाते हैं।
  • नीदरलैंड स्थित ASML नामक एकमात्र कंपनी EUV (एक्सट्रीम अल्ट्रावॉयलेट लिथोग्राफी) डिवाइस बनाती है, जिसके बिना उन्नत चिप बनाना संभव नहीं है।

भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ

  • भारत के करीबी सहयोगी, जैसे अमेरिका तथा यूरोपीय संघ, भी सेमीकंडक्टर के अवसर को समझते हैं और उन्होंने भारत की तुलना में अधिक आकर्षक प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं।
  • प्रतिभा पूल: जबकि भारत सभी प्रमुख चिप कंपनियों के डिज़ाइन इंजीनियरों के लिए सबसे बड़ा बैक ऑफिस है, फिर भी कुशल प्रतिभाएँ जो फ़ैब्रिकेशन प्लांट के फ़ैक्टरी फ़्लोर पर कार्य कर सकती हैं, मिलना अभी भी मुश्किल है।
    • गुजरात के साणंद में माइक्रोन टेक्नोलॉजी का ATMP संयंत्र निर्धारित समय से 133 दिन पीछे चल रहा है, क्योंकि कंपनी पर्याप्त संख्या में निर्माण कर्मियों को नियुक्त करने में असमर्थ है।
  • अनुसंधान एवं विकास: भारत में वर्तमान में सेमीकंडक्टर डिजाइन में मौलिक अनुसंधान का अभाव है, जहां चिप का भविष्य तय होता है।
  • बिजली की आपूर्ति: बिजली की निर्बाध आपूर्ति इस प्रक्रिया के लिए केंद्रीय है, जिसमें कुछ सेकंड के उतार-चढ़ाव या स्पाइक्स से लाखों की हानि होती है।
  • पानी की अधिक खपत: चिप बनाने के लिए एक दिन में कई गैलन अल्ट्राप्योर पानी की आवश्यकता होती है।

परियोजना का महत्व

  • रोजगार सृजन: भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाएं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न रोजगार अवसर उत्पन्न करेंगी।
  •  आयात पर निर्भरता में कमी: भारत वर्तमान में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आयातित सेमीकंडक्टर चिप्स पर निर्भर है।
    • घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग की स्थापना से भू-राजनीतिक तनावों या वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधानों के समय देश की आत्मनिर्भरता और लचीलापन बढ़ेगा।
  • निर्यात के अवसर: प्रतिस्पर्धी सेमीकंडक्टर उद्योग के साथ, भारत अन्य देशों को चिप्स तथा संबंधित उत्पादों का निर्यात कर सकता है, जिससे राजस्व उत्पन्न होगा और इसके व्यापार संतुलन में सुधार होगा।
  • रणनीतिक महत्व: सेमीकंडक्टर चिप्स रक्षा, एयरोस्पेस और दूरसंचार जैसे विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण घटक हैं।
    • घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग होने से आपूर्ति श्रृंखला पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित होता है और व्यवधानों या बाहरी दबावों की आशंका कम हो जाती है।

सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अन्य पहल

  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन: इसे डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के अन्दर एक स्वतंत्र व्यवसाय प्रभाग के रूप में स्थापित किया गया है, जिसके पास सेमीकंडक्टर विकसित करने और विनिर्माण सुविधाओं तथा सेमीकंडक्टर डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदर्शित करने के लिए भारत की दीर्घकालिक रणनीतियों को तैयार करने एवं चलाने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता है। 
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना: सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं।
  •  क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहल: क्षमता का आकलन करना, कमजोरियों को इंगित करना तथा सेमीकंडक्टर और इसके महत्वपूर्ण घटकों के लिए आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा को बढ़ाना।

आगे की राह

  • सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करके भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी परिदृश्य में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है। 
  • भारत विदेशी निवेश को भी आकर्षित कर सकता है, नवाचार को प्रोत्साहन दे सकता है और इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर सकता है। एक सशक्त उद्योग भारत की GDP वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

Source: IE