पाठ्यक्रम: GS 3/अर्थशास्त्र
सुर्ख़ियों में
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिए केनेस सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
परिचय
- इस इकाई की स्थापना 3,300 करोड़ रुपये के निवेश से की जाएगी।
- इसकी प्रतिदिन 60 लाख चिप्स उत्पादन की क्षमता होगी।
- उत्पादित चिप्स औद्योगिक, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और मोबाइल फोन सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम आएँगी।
- जून 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में पहली सेमीकंडक्टर इकाई को स्वीकृति प्रदान की।
- फरवरी 2024 में तीन अतिरिक्त सेमीकंडक्टर इकाइयों को स्वीकृति प्रदान की गई।
अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र
- स्मार्टफोन से लेकर चिकित्सा उपकरणों और वाहनों तक, विभिन्न आधुनिक प्रौद्योगिकियों में अर्धचालक आवश्यक घटक हैं।
- व्यापक रूप से 5G अपनाने, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में वृद्धि और सरकारी डिजिटलीकरण प्रयासों के कारण सेमीकंडक्टर की माँग में वृद्धि।
- वर्तमान में, विश्व का लगभग 70% सेमीकंडक्टर विनिर्माण दक्षिण कोरिया, ताइवान, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में केंद्रित है।
- भू-राजनीतिक दबावों और आपूर्ति शृंखला की कमजोरियों के कारण चीन के प्रभुत्व से वैश्विक स्तर पर दूरी बढ़ रही है।
भारत में स्थिति
- घरेलू निर्माण सुविधाओं की कमी के कारण भारत अपनी अर्धचालक उपकरण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर करता है।
- 2022 में, भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 26.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2032 तक 26.3% की सीएजीआर से बढ़कर 271.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करना प्रारंभ कर रहा है और भविष्य में सेमीकंडक्टर विनिर्माण का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
- अर्धचालक डिजाइन और बौद्धिक श्रम में भारत को महत्त्वपूर्ण बढ़त हासिल है।
- कई वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन इंजीनियर भारतीय मूल के हैं, तथा इंटेल और एनवीडिया जैसी कंपनियों की भारत में बड़ी सुविधाएँ हैं।
- भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है, टाटा समूह जैसी कंपनियों का अनुमान है कि उनके गुजरात और असम संयंत्रों से वाणिज्यिक उत्पादन 2026 तक प्रारंभ हो जाएगा।
- यह निर्णय कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर हुई चिप की कमी के मद्देनजर लिया गया है, जो आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर विनिर्माण के रणनीतिक महत्त्व को रेखांकित करता है।
चुनौतियाँ
- भूमि, विद्युत् और श्रम की उच्च लागत के कारण भारत को सेमीकंडक्टर महाशक्ति बनने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पहले निवेशक हतोत्साहित हुए हैं।
- प्रशिक्षित श्रमिकों की अनुपलब्धता
- एक अन्य प्रमुख चुनौती सहायक उद्योगों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
- भारत में इकाइयाँ स्थापित करने की इच्छुक कंपनियों के लिए सहायक उद्योगों की कमी एक बाधा बन जाती है।
सरकारी पहल:
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): यह डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के अंतर्गत एक विशेषीकृत एवं स्वतंत्र व्यापार प्रभाग है।
- इसका उद्देश्य एक जीवंत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, ताकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके।
- ‘मेक इन इंडिया’ पहल (2014) का उद्देश्य विनिर्माण को बढ़ावा देना और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करती है।
- इसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देना तथा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना है।
- अतिरिक्त योजनाएँ: डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI): अर्धचालक डिज़ाइन प्रयासों का समर्थन करता है।
- चिप्स टू स्टार्टअप (C2S): सेमीकंडक्टर स्टार्टअप को बढ़ावा देता है।
- इलेक्ट्रॉनिक घटकों और अर्धचालकों को बढ़ावा देने की योजना (SPECS): इलेक्ट्रॉनिक घटकों और अर्धचालक विनिर्माण को समर्थन देती है।
- सरकार अपनी चिप विनिर्माण प्रोत्साहन नीति के दूसरे चरण के लिए वित्तपोषण परिव्यय को पहले चरण के लिए प्रतिबद्ध 10 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 15 बिलियन डॉलर करने की योजना बना रही है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल को यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) के ढाँचे के अंतर्गत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम, इसकी आपूर्ति शृंखला और नवाचार पर कार्य व्यवस्था पर भारत गणराज्य सरकार और यूरोपीय आयोग के बीच 2023 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) से अवगत कराया गया।
निष्कर्ष एवं आगे की राह
- रणनीतिक पहलों और साझेदारियों के कारण भारत सेमीकंडक्टर उद्योग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार है।
- प्रमुख अभिकर्ता बनने के लिए भारत को परमाणु स्तर पर परिशुद्धता विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा तथा ताइवान, कोरिया और जापान जैसे अभिकर्ताओं से सीखना होगा।
- जैसा कि प्रधान मंत्री ने बल दिया, “भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर और संबंधित उत्पादों का व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ कर देगा और इस क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बन जाएगा,” जो कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के महत्त्वाकांक्षी अभियान का संकेत देता है।
- निरंतर प्रयासों और सक्रिय रुख के साथ, भारत एक अग्रणी सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की ओर अग्रसर है, जो तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास में प्रमुख योगदान देगा।
Source:PIB
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