भारत और UAE के बीच परमाणु सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सन्दर्भ

  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने असैन्य परमाणु सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

परिचय

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 की UAE यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने “सुरक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी” के क्षेत्रों सहित “परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग” में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी। 
  • यह समझौता परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की UAE की नीति का भाग है। 
  • LNG आपूर्ति: परमाणु सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन के अतिरिक्त, दोनों पक्षों ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच दीर्घकालिक LNG आपूर्ति के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

भारत का असैन्य परमाणु सहयोग

  • असैन्य परमाणु सहयोग में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग हेतु देशों या संगठनों के बीच सहयोग शामिल है।
    • इसमें विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं: ऊर्जा उत्पादन, नियामक और सुरक्षा मानक, परमाणु ईंधन आपूर्ति और अप्रसार प्रयास।
  • भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों, मुख्य रूप से बिजली उत्पादन और अन्य अनुप्रयोगों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करना है। 
  • भारत का फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान के साथ परमाणु सहयोग है।

संबंधित समझौते

  • भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (2005): यह समझौता वैश्विक परमाणु बाज़ारों तक भारत की पहुँच को बेहतर बनाने में सहायक रहा।
  •  अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौता (2008): इसने भारत को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी और ईंधन तक पहुँच प्रदान की।
    • इस समझौते के तहत भारत को अपनी असैन्य और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करना था, तथा असैन्य सुविधाएं अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के अधीन थीं।

प्रमुख रिएक्टर और परियोजनाएँ:

  • भारत में प्रमुख परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में तारापुर, कुडनकुलम और राजस्थान सम्मिलित हैं।
    • ये सुविधाएं भारत के परमाणु ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर: भारत फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (एफबीआर) जैसे उन्नत परमाणु रिएक्टर विकसित कर रहा है, जो प्लूटोनियम का उपयोग करके अपनी खपत से अधिक ईंधन उत्पन्न करते हैं। 
  • थोरियम-आधारित रिएक्टर: भारत का परमाणु रिएक्टरों में अपने प्रचुर थोरियम संसाधनों का उपयोग करने का दीर्घकालिक दृष्टिकोण है।
    • देश अपने त्रि-स्तरीय परमाणु कार्यक्रम के भाग के रूप में उन्नत भारी जल रिएक्टर (AHWR) सहित थोरियम आधारित रिएक्टरों पर कार्य कर रहा है।
भारत का परमाणु हथियार कार्यक्रम
स्माइलिंग बुद्धा: 1974 में, भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया, जिसका कोड नाम “स्माइलिंग बुद्धा” था, और तब से, इसने भूमि-आधारित, समुद्र-आधारित और वायु-आधारित वितरण प्रणालियों से युक्त एक परमाणु त्रय विकसित किया है।
ऑपरेशन शक्ति: 1998 में, भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की, जिसका कोड नाम “ऑपरेशन शक्ति” था।
1. इन परीक्षणों में विखंडन और संलयन दोनों प्रकार के उपकरण शामिल थे और इसके साथ ही भारत का परमाणु हथियार क्लब में औपचारिक प्रवेश हुआ।
अंतर्राष्ट्रीय आलोचना: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम की आलोचना की है, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों ने।
पहले प्रयोग न करना: भारत की “पहले प्रयोग न करने” की नीति है, जिसका अर्थ है कि वह संघर्ष में पहले परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करने की प्रतिज्ञा करता है, लेकिन परमाणु हथियारों से हमला होने पर प्रतिउत्तर कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

संयुक्त अरब अमीरात और भारत संबंधों का संक्षिप्त अवलोकन

  • राजनीतिक: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किए। 
  • बहुपक्षीय सहयोग: भारत और UAE वर्तमान में विभिन्न बहुपक्षीय प्लेटफार्मों जैसे I2U2 (भारत-इज़राइल-UAE-USA) और UFI(UAE-फ्रांस-भारत) त्रिपक्षीय आदि का भाग हैं। UAE को जी-20 शिखर सम्मेलन में अतिथि देश के रूप में भी आमंत्रित किया गया था। 
  • आर्थिक और वाणिज्यिक: भारत UAE व्यापार, जिसका मूल्य 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, आज 84.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिससे UAE, वर्ष 2021-22 के लिए चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
    • इसके अतिरिक्त , UAE वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 31.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य (अमेरिका के बाद) है। व्यापार संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में 2022 में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • रक्षा सहयोग: इसे मंत्रालय स्तर पर संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (JDCC) के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसके अंतर्गत 2003 में रक्षा सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो 2004 में प्रभावी हुआ। 
  • अंतरिक्ष सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और UAE अंतरिक्ष एजेंसी ने 2016 में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  •  भारतीय समुदाय: लगभग 3.5 मिलियन का भारतीय प्रवासी समुदाय UAE का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जो देश की जनसँख्या का लगभग 35 प्रतिशत है।

Source: TH