भारत में ई-कॉमर्स का नवप्रवर्तन

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में महामारी के बाद से उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और यह इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, स्मार्टफोन के उपयोग और मध्यम वर्ग के विस्तार से प्रेरित है।
    • यद्यपि ये तकनीकी प्रगति चपलता, पैमाने और लागत लाभ प्रदान करती हैं, लेकिन वे कंपनियों को महत्वपूर्ण जोखिमों तथा चुनौतियों का भी सामना करने के लिए प्रेरित करती हैं।

भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र का अवलोकन

  • भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार 2025 तक 150 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2022 में लगभग 75 बिलियन डॉलर था। 
  • यह क्षेत्र 27% की CAGR से बढ़ रहा है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाज़ारों में से एक बन गया है। 
  • 2023 में भारत में 900 मिलियन से ज़्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे, जिनमें 650 मिलियन से ज़्यादा स्मार्टफ़ोन उपयोगकर्ता होंगे, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ई-कॉमर्स की पहुँच बढ़ेगी। 
  • 2022 में भारत में कुल खुदरा बिक्री में ई-कॉमर्स का भाग लगभग 7-8% था, जिसके 2025 तक बढ़कर 11% होने की उम्मीद है।

भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र के लाभ

आर्थिक विकास:

  • रोजगार सृजन: ई-कॉमर्स क्षेत्र में 2025 तक लॉजिस्टिक्स, आईटी, डिजिटल मार्केटिंग और ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में 1.5-2 मिलियन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
  • MSME सशक्तिकरण: 1.2 मिलियन से अधिक MSMEs विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से उत्पाद बेच रहे हैं, जो उनके विकास में योगदान दे रहे हैं और उन्हें नए बाजारों तक पहुंच प्रदान कर रहे हैं। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने MSMEs के लिए सार्वजनिक खरीद को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • निर्यात को बढ़ावा: अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने भारतीय विक्रेताओं को वैश्विक बाजारों तक पहुँचने में सक्षम बनाया है। अमेज़ॅन की “ग्लोबल सेलिंग” पहल ने 2023 तक संचयी निर्यात में $8 बिलियन को पार कर लिया है।

उपभोक्ता लाभ:

  • सुविधा: ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करता है, जिससे वे 24/7 खरीदारी कर सकते हैं और उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुँच सकते हैं। एम-कॉमर्स (मोबाइल कॉमर्स) विशेष रूप से विकास को गति दे रहा है, जिसमें 60% से अधिक ई-कॉमर्स लेनदेन मोबाइल उपकरणों के माध्यम से होते हैं। 
  • छूट और ऑफ़र: ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण, छूट और सौदे देने के लिए जाने जाते हैं। फ्लिपकार्ट के बिग बिलियन डेज़ और अमेज़न के ग्रेट इंडियन फेस्टिवल जैसी फेस्टिव सेल में वार्षिक अरबों की बिक्री होती है (2022 में, फेस्टिव सेल 5.7 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई)।
  •  विस्तृत उत्पाद रेंज: उपभोक्ता किराने के सामान से लेकर हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स तक कई तरह के उत्पादों तक पहुँच सकते हैं, JioMart, Amazon, BigBasket और Flipkart जैसे प्लेटफ़ॉर्म विविध क्षेत्रों को समायोजित करते हैं।

प्रौद्योगिकी प्रगति:

  • AI और बिग डेटा: ई-कॉमर्स कंपनियाँ व्यक्तिगत खरीदारी अनुभव प्रदान करने के लिए AI  और ML में निवेश कर रही हैं। AI -संचालित अनुशंसाओं ने उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाया है, जिससे ग्राहक प्रतिधारण बढ़ा है। 
  • क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर: कंपनियों ने क्लाउड सेवाओं का उपयोग करके अपने संचालन को बढ़ाया है, जिससे साइट का प्रदर्शन और ग्राहक संतुष्टि में सुधार हुआ है। क्लाउड अपनाने से पीक शॉपिंग अवधि (जैसे, दिवाली की बिक्री) के दौरान त्वरित स्केलिंग की अनुमति मिलती है। 
  • आपूर्ति श्रृंखला में IoT: वास्तविक समय इन्वेंट्री प्रबंधन और स्मार्ट वेयरहाउसिंग आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलित करने के लिए महत्वपूर्ण बन रहे हैं। IoT डिवाइस स्टॉक के स्तर की निगरानी करने, रसद और वितरण दक्षता में सुधार करने में सहायता करते हैं।

ग्रामीण एवं छोटे शहरों में प्रवेश:

  • ग्रामीण विस्तार: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गए हैं, जिसमें टियर-2 और टियर-3 शहरों का योगदान कुल ई-कॉमर्स बिक्री में 57% है। मीशो जैसी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे विक्रेताओं को सशक्त बना रही हैं। 
  • समावेशिता: कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) जैसे सरकारी कार्यक्रम ग्रामीण जनसँख्या को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तक पहुंचने की अनुमति देते हैं, जिससे डिजिटल समावेशिता बढ़ती है।

संबद्ध उद्योगों को बढ़ावा:

  • लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग: ई-कॉमर्स ने लॉजिस्टिक्स उद्योग में तेज़ी से विकास किया है, लॉजिस्टिक्स बाज़ार के 2025 तक 380 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। डेल्हीवरी, ईकॉम एक्सप्रेस और ब्लू डार्ट जैसी कंपनियाँ महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। 
  • डिजिटल भुगतान: ई-कॉमर्स के कारण डिजिटल भुगतान को अपनाने में काफ़ी वृद्धि हुई है। जुलाई 2023 में UPI लेनदेन रिकॉर्ड 180 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो ई-कॉमर्स और मोबाइल भुगतानों के कारण हुआ।

सरकारी राजस्व:

  • कर राजस्व में वृद्धि: ई-कॉमर्स के माध्यम से खुदरा क्षेत्र का औपचारिकीकरण उच्च GST संग्रह में योगदान देता है। वित्त वर्ष 2022-23 में, भारत के ई-कॉमर्स GST संग्रह में 16% की वृद्धि हुई, जो सरकारी राजस्व पर इस क्षेत्र के प्रभाव को दर्शाता है।
  • सार्वजनिक खरीद: सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने अपनी स्थापना के बाद से ₹3 लाख करोड़ से अधिक के लेन-देन की सुविधा प्रदान की है, जिससे सरकारी खरीद को सुव्यवस्थित करने और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायता मिली है।

पर्यावरण एवं संधारणीय प्रथाएं:

  • संधारणीय पैकेजिंग: ई-कॉमर्स कंपनियाँ पर्यावरण संधारणीयता में योगदान देते हुए संधारणीय पैकेजिंग समाधानों को तेजी से अपना रही हैं। उदाहरण के लिए, फ्लिपकार्ट ने 2025 तक 100% रिसाइकिल करने योग्य पैकेजिंग अपनाने का संकल्प लिया है।
  •  अनुकूलित लॉजिस्टिक्स: कंपनियाँ डिलीवरी से संबंधित कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए AI और रूट ऑप्टिमाइज़ेशन तकनीकों का उपयोग कर रही हैं। इससे ईंधन की खपत कम करने में भी सहायता मिलती है, जिससे संचालन अधिक संधारणीय हो जाता है।

ई-कॉमर्स परिचालन में चुनौतियां और जोखिम

  • डेटा उल्लंघन और हैकिंग: उपयोगकर्ताओं और लेन-देन के भारी प्रवाह के साथ, ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म फ़िशिंग, मैलवेयर और हैकिंग सहित साइबर हमलों के लिए अत्यधिक असुरक्षित हैं। उदाहरण के लिए, 2020 में, बिगबास्केट को डेटा उल्लंघन का सामना करना पड़ा, जहाँ लगभग 20 मिलियन उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा से समझौता किया गया था।
  •  अंतिम माइल डिलीवरी: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिलीवरी करना महत्वपूर्ण रसद चुनौतियों का सामना करता है, जिसमें खराब सड़क बुनियादी ढाँचा और डिलीवरी नेटवर्क की कमी शामिल है। फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म ने अपने डिलीवरी नेटवर्क में महत्वपूर्ण निवेश किया है, लेकिन अभी भी दूरदराज के स्थानों तक पहुँचने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। 
  • डेटा गोपनीयता और अनुपालन: आगामी व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक और GDPR जैसे अन्य वैश्विक डेटा गोपनीयता मानकों का अनुपालन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, विशेष रूप से जिस तरह से वे डेटा एकत्र करते हैं, संग्रहीत करते हैं और संसाधित करते हैं। 
  • धोखाधड़ी वाले लेन-देन: सुरक्षित भुगतान गेटवे में प्रगति के बावजूद, भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म अभी भी वित्तीय धोखाधड़ी और चार्जबैक से संबंधित मुद्दों का सामना करते हैं। 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, 52% से अधिक भारतीय व्यवसायों ने भुगतान-संबंधी धोखाधड़ी के किसी न किसी रूप का अनुभव किया है।
  • नकली उत्पाद और नकली सामान: ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर नकली सामानों की बिक्री भारत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उदाहरण के लिए, Amazon नकली उत्पादों की पेशकश करने वाले विक्रेताओं का सामना कर रहा है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स और फैशन श्रेणियों में। 2021 में, एक सर्वेक्षण में 40% उपभोक्ताओं ने ई-कॉमर्स के माध्यम से नकली उत्पाद प्राप्त करने की सूचना दी।
  • AI/ML एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह का जोखिम: जबकि AI और ML एल्गोरिदम शक्तिशाली हैं, वे पक्षपातपूर्ण सिफारिशें या निर्णय दे सकते हैं। यह ई-कॉमर्स में प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए एक सामाजिक और नैतिक आयाम प्रस्तुत करता है। अनपेक्षित परिणामों को रोकने के लिए नियमित समीक्षा तथा नैतिक दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है।

आगे की राह और निष्कर्ष

साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को मजबूत करें:

  • ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्राहक डेटा की सुरक्षा के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए, जिसमें एन्क्रिप्शन, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और AI -संचालित खतरे का पता लगाना शामिल है।
  • GDPR और आगामी व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक जैसे वैश्विक डेटा गोपनीयता मानकों का अनुपालन उपभोक्ता विश्वास बनाने के लिए आवश्यक है।

रसद और बुनियादी ढांचे में सुधार:

  • ड्रोन, इलेक्ट्रिक वाहन और AI -संचालित लॉजिस्टिक्स ऑप्टिमाइजेशन जैसी तकनीकों का लाभ उठाकर, विशेष रूप से ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में अंतिम मील डिलीवरी को मजबूत करना। 
  • स्मार्ट वेयरहाउसिंग और आपूर्ति श्रृंखला स्वचालन में निवेश से परिचालन को सुव्यवस्थित किया जा सकता है और डिलीवरी के समय को कम किया जा सकता है।

संधाराणीय प्रथाओं का विकास करें:

  • ई-कॉमर्स कंपनियों को संधाराणीय पैकेजिंग समाधान अपनाना चाहिए और इलेक्ट्रिक डिलीवरी वाहनों तथा पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री जैसी हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश करके अपने कार्बन पदचिह्न को कम करना चाहिए।
  •  बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए, विशेष रूप से रिटर्न लॉजिस्टिक्स में, सर्कुलर इकोनॉमी प्रथाओं को लागू करें।

उपभोक्ता संरक्षण और विश्वास बढ़ाना:

  • नकली सामान को बाज़ार में आने से रोकने के लिए मज़बूत गुणवत्ता जाँच शुरू करें और ग्राहक संतुष्टि में सुधार के लिए बिक्री के बाद की सेवाओं को बेहतर बनाएँ।
  •  साइबर धोखाधड़ी और फ़िशिंग हमलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उपभोक्ता शिक्षा अभियान शुरू करने से भी विश्वास बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।

टियर-2, टियर-3 शहरों और ग्रामीण बाजारों पर ध्यान केंद्रित:

  • डिजिटल साक्षरता में सुधार, स्थानीय बुनियादी ढांचे का निर्माण और स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए पेशकशों को अनुकूलित करके ग्रामीण भारत में ई-कॉमर्स की पहुंच का विस्तार करना।
  • कम सेवा वाले क्षेत्रों में डिजिटल वाणिज्य को और अधिक सुलभ बनाने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) और GeM जैसे सरकारी कार्यक्रमों के साथ सहयोग करें।

विनियामक समर्थन और नीति सुधार:

  • वैश्विक और घरेलू प्लेटफार्मों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए FDI, डेटा गोपनीयता और ई-कॉमर्स संचालन से संबंधित विनियमों को सुसंगत बनाना।
  • MSMEs और स्थानीय विक्रेताओं का समर्थन करने वाली नीतियों को बढ़ावा देना, जिससे उन्हें ऑनलाइन बाज़ार में कामयाब होने में सहायता मिले और साथ ही सभी प्रतिभागियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित हो।

नैतिक  AI और मशीन लर्निंग प्रथाओं को अपनाएं:

  • संभावित पूर्वाग्रहों को संबोधित करके और अनुशंसा प्रणालियों में पारदर्शिता में सुधार करके AI और ML एल्गोरिदम के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करें। निष्पक्षता बनाए रखने और भेदभावपूर्ण परिणामों को रोकने के लिए नियमित रूप से एल्गोरिदम का ऑडिट करें।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] महामारी के बाद भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र की वृद्धि उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित हुई है। हालाँकि, यह वृद्धि महत्वपूर्ण जोखिम भी प्रस्तुत करती है। आलोचनात्मक रूप से जाँच करें