पाठ्यक्रम: GS3/ आंतरिक सुरक्षा
सन्दर्भ
- केंद्र सरकार ने लगभग 31,000 करोड़ रुपये की लागत से भारत और म्यांमार के बीच सीमा पर बाड़ लगाने और सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी है।
भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा
- भारत की वर्तमान में 15000 किमी से अधिक स्थलीय सीमा और 7500 किमी से अधिक समुद्री सीमा है।
- यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार सहित सात देशों के साथ भूमि सीमा साझा करता है। इन देशों के साथ सीमाएँ इस प्रकार हैं;
- बांग्लादेश: पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के साथ 4096.70 किलोमीटर।
- पाकिस्तान: गुजरात, राजस्थान, पंजाब, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ 3323 किलोमीटर।
- चीन: अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ 3488 किलोमीटर।
- नेपाल: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ 1751 किलोमीटर।
- भूटान: सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश के साथ 699 किलोमीटर।
- म्यांमार: अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के साथ 1643 किलोमीटर।
- अफगानिस्तान: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ 106 किलोमीटर।
सीमाओं के प्रबंधन की आवश्यकता
- सीमाओं की छिद्रपूर्णता: भारत की सीमाओं के विभिन्न भाग छिद्रपूर्ण हैं, जिससे लोगों, सामानों और नशीली दवाओं तथा हथियारों जैसे प्रतिबंधित पदार्थों को अवैध रूप से पार किया जा सकता है।
- सीमा पार आतंकवाद: भारत को सीमा पार आतंकवाद का खतरा है, विशेषकर जम्मू और कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से।
- जातीय और जनजातीय गतिशीलता: भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध जातीय और जनजातीय समुदाय रहते हैं, जिनके सीमा पार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक संबंध हैं।
- इन समुदायों की आकांक्षाओं का प्रबंधन, उनकी शिकायतों का समाधान और बाहरी ताकतों द्वारा उनके शोषण को रोकने के लिए सीमा प्रबंधन के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
- सीमा विवाद: भारत के पड़ोसी देशों, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद अनसुलझे हैं।
- इन विवादों के कारण कभी-कभी तनाव और टकराव होता है, जिससे सीमाओं पर शांति तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए निरंतर सतर्कता और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता होती है।
- बुनियादी ढांचे का विकास: भारत के विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, संचार नेटवर्क और सीमा चौकियों जैसे बुनियादी ढांचे का अभाव है, जिससे सीमा प्रबंधन प्रयासों की प्रभावशीलता में बाधा आती है।
- मानवीय चिंताएं: भारत उन देशों के साथ सीमा साझा करता है जो राजनीतिक अस्थिरता, मानवीय संकट और शरणार्थियों के प्रवेश का सामना कर रहे हैं।
भारत का सीमा प्रबंधन
- सीमा अवसंरचना विकास: सीमा सड़क संगठन (BRO) ने 8,500 किलोमीटर से अधिक सड़कें और 400 से अधिक स्थायी पुलों का निर्माण किया है।
- अटल सुरंग, सेला सुरंग और शिकुन-ला सुरंग, जो विश्व की सबसे ऊंची सुरंग बनने जा रही है, सीमा क्षेत्र के विकास में माइलस्टोन सिद्ध होगी।
- ट्रांस-अरुणाचसीमा निगरानी: निरंतर निगरानी और खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए बाड़, फ्लडलाइट, सड़कें, सीमा चौकियाँ (बीओपी) और कंपनी संचालन बेस (सीओबी) का निर्माण। सुरक्षा उपाय: गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) शांति काल में सीमाओं की रक्षा करते हैं।ल राजमार्ग चीन द्वारा संभावित आक्रमण के विरुद्ध त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया को सक्षम करने के लिए एक रणनीतिक परियोजना है।
- सीमा निगरानी: निरंतर निगरानी और खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए बाड़, फ्लडलाइट, सड़कें, सीमा चौकियाँ (BOPs) और कंपनी संचालन बेस (COBs) का निर्माण।
- सुरक्षा उपाय: गृह मंत्रालय (MHA) के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) शांति काल में सीमाओं की रक्षा करते हैं।
- भारतीय सेना सक्रिय शत्रुता के दौरान बाहरी आक्रमण से बचाव के लिए सीमा सुरक्षा का प्रभार संभालती है।
- सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP): पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्यों- जम्मू और कश्मीर, पंजाब, गुजरात तथा राजस्थान में सीमावर्ती क्षेत्रों के संतुलित विकास के लिए 1986-87 में शुरू किया गया था, जिसे बाद में सभी भूमि सीमाओं तक विस्तारित किया गया।
- जीवंत गांव कार्यक्रम (VVP): अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख में चयनित सीमावर्ती गांवों के व्यापक विकास के लिए 2023 में स्वीकृत किया गया।
- सीमा पार व्यापार: एकीकृत चेकपोस्ट और व्यापार सुविधा केंद्रों के निर्माण ने सीमा शुल्क निकासी को सुव्यवस्थित किया है तथा व्यापार बाधाओं को कम किया है।
- हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में म्यांमार सीमा पर मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) को समाप्त कर दिया है, जिसके तहत स्थानीय निवासियों को बिना दस्तावेजों के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी की यात्रा करने की अनुमति थी।
आगे की राह
- सीमा प्रबंधन के लिए भारत का उभरता दृष्टिकोण सुरक्षा उपायों, बुनियादी ढांचे के विकास और अपने पड़ोसियों के साथ रणनीतिक सहयोग का मिश्रण है।
- सीमा क्षेत्रों का निरंतर विकास, बढ़ी हुई निगरानी और बेहतर व्यापार सुविधाएँ क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
Source: TH
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