भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • विश्व खाद्य भारत 2024 के तीसरे संस्करण में, प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को परिवर्तन के लिए “व्यापक” सुधार प्रस्तुत किए हैं।
विश्व खाद्य भारत
-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 2017 में विश्व खाद्य भारत का पहला संस्करण लॉन्च किया। 
-इसमें जिन प्रमुख क्षेत्रों को प्रदर्शित किया जा रहा है, उनमें ताजे फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ तथा मूल्य वर्धित उत्पाद, बासमती चावल, पशु उत्पाद, काजू, भौगोलिक संकेत (GI) उत्पाद, जैविक उत्पाद एवं मादक पेय शामिल हैं। 
– कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने लगभग 80 से अधिक देशों के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को आमंत्रित किया है। यह भारतीय निर्यातकों को खरीदारों, आयातकों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिनिधियों के साथ सीधे बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है।

खाद्य प्रसंस्करण क्या है?

  • खाद्य प्रसंस्करण को कृषि उत्पादों जैसे अनाज, मांस, सब्जियां, फल और दूध को खाद्य सामग्री या प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए उपकरण, ऊर्जा तथा औजारों से जुड़ी विधियों एवंतकनीकों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  •  इसमें विभिन्न तरह की गतिविधियाँ सम्मिलित हो सकती हैं, जैसे: तैयारी, खाना पकाना, संरक्षण, पैकेजिंग और फोर्टिफिकेशन।
  •  सुरक्षित भोजन देने के लिए फॉर्मूलेशन और प्रसंस्करण तकनीक वैज्ञानिक रूप से विकसित की जाती हैं, जिससे किसी भी हानिकारक रासायनिक संदूषक तथा सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति समाप्त हो जाती है जो खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग

  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का बाजार आकार 2022 में 866 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2027 में 1,274 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 
  • शहरीकरण और परिवर्तित उपभोग पैटर्न के कारण खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत 2025-26 तक 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। 
  • भारतीय खाद्य और पेय पैकेज्ड उद्योग में पर्याप्त वृद्धि हो रही है, जिसका बाजार आकार 2023 में 33.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2028 तक 46.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 
  • क्षेत्र के विकास के कारण: भारत दूध तथा मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है और फलों और सब्जियों, मुर्गी पालन एवं मांस के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।
    • भारत के पास विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच है जो इसे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान करते हैं। 
    • अपनी विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों के कारण, इसके पास खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उपयुक्त व्यापक और बड़ा कच्चा माल आधार है।

चुनौतियां 

  • कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स: पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी से खाद्य पदार्थों की काफी बर्बादी होती है, विशेषकर जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के लिए।
  • परिवहन: खराब सड़क और परिवहन बुनियादी ढांचे के कारण माल की आवाजाही में देरी होती है, जिससे ताज़गी और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • जटिल अनुपालन: FSSAI जैसी एजेंसियों द्वारा निर्धारित विभिन्न विनियमों और मानकों को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेषकर छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के लिए।
  • नौकरशाही में देरी: लाइसेंस और अनुमोदन प्राप्त करना समय लेने वाला हो सकता है, जिससे व्यावसायिक संचालन प्रभावित हो सकता है।
  • आधुनिक तकनीकों को सीमित रूप से अपनाना: विभिन्न छोटे प्रोसेसर के पास उन्नत प्रसंस्करण तकनीकों और मशीनरी तक पहुँच की कमी है, जो दक्षता और मापनीयता को सीमित करती है।
  • मूल्य संवेदनशीलता: उपभोक्ता प्रायः मूल्य के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो प्रोसेसर के मार्जिन पर दबाव डालता है।
  • असंगत आपूर्ति: मौसम की स्थिति के कारण कृषि उत्पादन में उतार-चढ़ाव आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करता है, जिससे कमी और मूल्य अस्थिरता होती है।
  • स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता: स्वस्थ और जैविक विकल्पों की बढ़ती माँग के लिए प्रोसेसर को अपनी पेशकशों को अनुकूलित करने की आवश्यकता होती है, जो संसाधन-गहन हो सकता है।
  • परिवर्तित रुचियाँ: उपभोक्ता वरीयताओं में तेज़ी से हो रहे परिवर्तनों के कारण निरंतर नवाचार और उत्पाद विकास की आवश्यकता होती है। 
  • अपशिष्ट प्रबंधन: खाद्य प्रसंस्करण कार्यों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए कुशल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की आवश्यकता है।

सरकारी पहल

  • निवेश आकर्षित करने की पहल: उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत लाइसेंसिंग के दायरे से सभी प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं को छूट दी गई है।
    • क्षेत्रीय विनियमनों के अधीन खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।
    •  भारत में निर्मित या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए, सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश।
    •  कच्चे और प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए कम GST; विभिन्न अध्याय शीर्षों/उप-शीर्षों के तहत 71.7% से अधिक खाद्य उत्पाद 0% और 5% के निचले कर स्लैब में आते हैं। 
    • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की स्थापना/उन्नयन के लिए तकनीकी, वित्तीय और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना- PM सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME) को भी लागू कर रहा है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वैश्विक खाद्य चैंपियन बनाने और विदेशों में भारतीय खाद्य ब्रांडों की दृश्यता में सुधार करने के लिए 2021-22 से 2026-27 की अवधि के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLIS) भी शुरू की है।
  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY): 2016 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण बुनियादी ढांचा तैयार करना और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास को बढ़ावा देना है।   
  • राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति: इस नीति का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाना और क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
  • बाजार पहुंच: ई-कॉमर्स और प्रत्यक्ष बिक्री सहित विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए बाजार पहुंच में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

  • भारत का खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र खाद्य खुदरा क्षेत्र में वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियों और आकर्षक राजकोषीय प्रोत्साहनों के साथ भारी निवेश के अवसर प्रदान करता है।
  •  खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) के माध्यम से, भारत सरकार भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।

Source: IE