संगठित अपराध पर कठोर कार्रवाई

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन

सन्दर्भ

  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) गैंगस्टरों, जेलों के पीछे से अपने गिरोह चलाने वाले अपराधियों और उनके सहयोगियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस शुरू करने जा रही है।

संगठित अपराध क्या हैं?

  • संगठित अपराध से तात्पर्य आपराधिक समूहों द्वारा संचालित संरचित, समन्वित अवैध गतिविधियों से है जो शासन, राजनीतिक स्थिरता और कानून के शासन को कमजोर करते हैं। 
  • इन गतिविधियों में आग्नेयास्त्रों, ड्रग्स, लुप्तप्राय प्रजातियों, सांस्कृतिक संपत्ति, नकली चिकित्सा उत्पादों, मानव तस्करी और प्रवासियों की तस्करी की अवैध तस्करी शामिल है।
    • इसके अतिरिक्त, संगठित अपराध में धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे वित्तीय अपराध भी सम्मिलित हैं।

संगठित अपराधों का खतरा

  • किसी देश में संगठित अपराध के स्तर को मापने के लिए एक उपकरण, ग्लोबल ऑर्गनाइज्ड क्राइम इंडेक्स के अनुसार, भारत 2023 में 193 देशों में 61वें स्थान पर है। 
  • अनुमान के अनुसार, भारत की छाया अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद का 20%-25% भाग है, जिसका अधिकांश भाग संगठित अपराध से जुड़ा हुआ है। 
  • FICCI (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों के विरुद्ध समिति) की रिपोर्ट के अनुसार, तस्करी और जालसाजी जैसी संगठित अपराध गतिविधियों से भारत की अर्थव्यवस्था को वार्षिक लगभग ₹1 लाख करोड़ की हानि होती है।

संगठित अपराध से जुड़ी चुनौतियाँ

  • राजनीतिक सम्बन्ध: भ्रष्ट अधिकारी और राजनीतिक संबंध सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे शासन व्यवस्था कमजोर होती है। 
  • अवैध तस्करी: प्रमुख मुद्दों में नशीली दवाओं, मानव और हथियारों की तस्करी शामिल है, जो भारत की प्रमुख तस्करी मार्गों से निकटता के कारण अधिक बढ़ गई है। 
  • साइबर अपराध: धोखाधड़ी, धन शोधन और साइबर-सक्षम अपराधों के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का बढ़ता उपयोग प्रवर्तन को जटिल बनाता है। 
  • आर्थिक प्रभाव: धन शोधन और नकली सामान अर्थव्यवस्था तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं।
  •  कमज़ोर कानून प्रवर्तन: सीमित संसाधन, समन्वय संबंधी समस्याएँ और पुरानी प्रणालियाँ अपराध-विरोधी प्रयासों में बाधा उत्पन्न करती हैं।

भारत में संगठित अपराध से निपटने वाली एजेंसियां

  • केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI): यह जटिल संगठित अपराध मामलों, भ्रष्टाचार, वित्तीय धोखाधड़ी और अंतरराष्ट्रीय अपराधों की जांच करता है।
  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA): यह आतंकवाद से संबंधित मामलों पर ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े संगठित अपराध को भी संभालती है।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED): यह संगठित अपराध से संबंधित धन शोधन और विदेशी मुद्रा उल्लंघन जैसे वित्तीय अपराधों की जांच करता है।
  • वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND): यह संगठित अपराध से जुड़े धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण का पता लगाने के लिए वित्तीय लेन-देन का विश्लेषण करती है।
  • सीमा सुरक्षा बल (BSF) और भारतीय तटरक्षक बल (ICG) सीमा पार तस्करी और मानव तस्करी की निगरानी और नियंत्रण करते हैं।

विश्व भर में संगठित अपराध से निपटने वाली एजेंसियां

  • INTERPOL(अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन): यह संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध और मानव तस्करी से लड़ने में अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
  • ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC): यह संगठित अपराध, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और धन शोधन समिमिलित है, को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य करता है।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF): यह धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और संगठित अपराध के वित्तीय नेटवर्क का सामना करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

आगे की राह 

  • डार्क वेब मॉनिटरिंग: अवैध व्यापार तथा तस्करी सहित डार्क वेब पर होने वाली संगठित अपराध गतिविधियों की निगरानी और उन्हें बंद करने के लिए प्रौद्योगिकियों में निवेश करें। 
  • समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करना: त्वरित प्रतिक्रिया और खुफिया जानकारी साझा करने की सुविधा के लिए स्थानीय, राज्य तथा केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार करें। 
  • अंतरराष्ट्रीय कार्य बल: अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट को समाप्त करने के लिए देशों में कार्य करने वाले अंतरराष्ट्रीय कार्य बल बनाएं। 
  • प्रत्यर्पण संधियाँ: अन्य देशों के साथ प्रत्यर्पण समझौतों को मजबूत करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संगठित अपराध के संदिग्ध सीमाओं के पार भागकर न्याय से बच न सकें।

Source: IE