वन्यजीव आवास विकास योजना

पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण

सन्दर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग चक्र के लिए 2,602.98 करोड़ रुपये के समग्र परिव्यय के साथ वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास योजना को मंजूरी दे दी है।

वन्यजीव आवासों का एकीकृत विकास(IDWH)

  • IDWH एक चालू केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे पूर्ववर्ती योजना – “राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के विकास के लिए सहायता” में अधिक घटकों तथा गतिविधियों को जोड़कर चालू किया गया है। 
  • इस योजना के निम्नलिखित घटक हैं;
    • संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व) को सहायता संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीवों की सुरक्षा गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों तथा आवासों को बचाने के लिए पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम इस योजना में बाघ एवं वन्यजीव वाले जंगलों में विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में तकनीकी हस्तक्षेप को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है।

IDWH के तहत विभिन्न योजनाएं

  • प्रोजेक्ट टाइगर: इसे बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 1973 में केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।
    •  प्रोजेक्ट टाइगर वर्तमान में दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन प्रथाओं के लिए M-STrIPES (बाघों, गहन संरक्षण और पारिस्थितिकी स्थिति के लिए निगरानी प्रणाली) जैसी तकनीक का उपयोग करता है। 
  • प्रोजेक्ट एलीफेंट: प्रोजेक्ट एलीफेंट (PE) को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1992 में एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ लॉन्च किया गया था:
    • हाथियों, उनके आवास और गलियारों की रक्षा करना मानव-हाथी संघर्ष के मुद्दों का समाधान करना 
    • पालतू हाथियों का कल्याण वन्यजीव आवास का विकास: इसमें प्रोजेक्ट डॉल्फिन और प्रोजेक्ट लॉयन शामिल हैं। 
  • प्रोजेक्ट डॉल्फिन को डॉल्फ़िन की गणना के साथ-साथ उनके आवास के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROV) और निष्क्रिय ध्वनिक निगरानी उपकरणों के प्रावधान द्वारा समर्थित करने का प्रस्ताव है।

योजना का महत्व

  • इस योजना से प्रत्यक्ष भागीदारी के माध्यम से 50 लाख से अधिक मानव दिवसों का आजीविका सृजन होगा, साथ ही इको-पर्यटन और सहायक गतिविधियों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा।
  •  इसके तहत 55 बाघ अभयारण्य, 33 हाथी अभयारण्य तथा 718 संरक्षित क्षेत्र और उनके भाग लाभान्वित होंगे।
  •  इसके अतिरिक्त, इन भू-दृश्यों में रहने वाली प्रमुख प्रजातियों, विशेष रूप से बाघ, हाथी, चीता, हिम तेंदुआ और शेर, जो इन पारिस्थितिकी तंत्रों के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं, के हितों को बढ़ावा दिया जाएगा।

Source: PIB