भारत और उज्बेकिस्तान ने द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर हस्ताक्षर किए

पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध

समाचार में

  • भारत और उज़बेकिस्तान गणराज्य ने ताशकंद में द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए।

परिचय

  • BIT पर हस्ताक्षर दोनों देशों की आर्थिक सहयोग बढ़ाने और अधिक मजबूत तथा लचीला निवेश वातावरण बनाने की दिशा में साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • BIT से द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों में व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। 
  • यह मध्यस्थता के माध्यम से विवाद निपटान के लिए एक स्वतंत्र मंच प्रदान करते हुए, उपचार और गैर-भेदभाव के न्यूनतम मानक का आश्वासन देकर निवेशकों के सुविधा के स्तर को बढ़ाएगा और उनका विश्वास बढ़ाएगा।

द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT)

  • BIT दो देशों के बीच एक पारस्परिक समझौता है जो एक देश के नागरिकों और कंपनियों द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • इसका उद्देश्य हस्ताक्षरकर्ता देशों के बीच अनुकूल निवेश वातावरण बनाना और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। 
  • भारत का BIT ढांचा: भारत ने 2015 में एक नया मॉडल BIT अपनाया, जिसने 1993 के पुराने संस्करण का स्थान ग्रहण किया।
    • नया विषय भविष्य के BIT और मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) और आर्थिक भागीदारी समझौतों के निवेश अध्यायों पर बातचीत के लिए टेम्पलेट के रूप में कार्य करता है।

भारत के मॉडल BIT (2015) की मुख्य विशेषताएं

  • राष्ट्रीय व्यवहार: विदेशी निवेशकों के साथ घरेलू निवेशकों के समान ही समान और निष्पक्ष व्यवहार किया जाना चाहिए, उन विशिष्ट क्षेत्रों को छोड़कर, जहाँ अपवादों का उल्लेख किया गया है।
  • अधिकार-हरण से सुरक्षा: सार्वजनिक उद्देश्यों को छोड़कर विदेशी निवेशों को गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से और पर्याप्त मुआवजे के साथ जब्त करने (अधिग्रहण करने) की मेजबान देश की क्षमता को सीमित करता है।
  • उचित और न्यायसंगत व्यवहार: विदेशी निवेशकों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित करता है, लेकिन पुरानी संधियों में पाए जाने वाले व्यापक अधिकारों की स्वचालित रूप से गारंटी नहीं देता है।
  • पूर्ण सुरक्षा और संरक्षण: विदेशी निवेशकों द्वारा किए गए निवेशों को मेजबान देश के कानूनों के अनुरूप पूर्ण सुरक्षा और संरक्षण दिया जाएगा।
  • विवाद निपटान: स्थानीय उपायों की समाप्ति: निवेशकों को पहले मेजबान देश के कानूनी ढांचे के अंदर विवादों को हल करने का प्रयास करना चाहिए, और सभी स्थानीय उपायों को समाप्त करने के बाद ही वे अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता शुरू कर सकते हैं।
  • गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार: भेदभाव से सुरक्षा सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से घरेलू निवेशकों के संबंध में, और सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) व्यवहार की गारंटी देता है।
भारत-उज्बेकिस्तान संबंध
ऐतिहासिक संबंध:
– भारत और उज्बेकिस्तान के बीच सदियों पुराने संबंध हैं, जो सिल्क रोड के समय से चले आ रहे हैं, जहाँ सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक आदान-प्रदानों के महत्त्व में वृद्धि हो रही है।
– दोनों देशों के बीच साझा विरासत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समानताओं में स्पष्ट है, जिसमें फ़ारसी तथा मुगल युगों के प्रभाव भी शामिल हैं। 
– 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद उज्बेकिस्तान की आज़ादी के बाद भारत के साथ उज्बेकिस्तान के सम्बन्ध मज़बूत हुए।राजनीतिक संबंध:
रणनीतिक साझेदारी: 2018 में उज्बेक राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव की भारत यात्रा के दौरान भारत और उज्बेकिस्तान ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया। 
नियमित उच्च-स्तरीय यात्राएँ: दोनों देश राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के लिए नियमित रूप से उच्च-स्तरीय यात्राओं में संलग्न रहते हैं। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मिर्जियोयेव ने कई मौकों पर मुलाकात की है, जो द्विपक्षीय साझेदारी के महत्व को रेखांकित करता है।
– बहुपक्षीय जुड़ाव: भारत और उज्बेकिस्तान संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और भारत-मध्य एशिया वार्ता सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करते हैं।
आर्थिक और व्यापारिक संबंध:
व्यापार: भारत-उज्बेकिस्तान व्यापार में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि देखी गई है, हालांकि इसकी क्षमता का अभी भी काफी हद तक दोहन नहीं हुआ है। भारत से मुख्य निर्यात में फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और वस्त्र शामिल हैं, जबकि उज्बेकिस्तान फल, उर्वरक और कच्चे माल जैसी वस्तुओं का निर्यात करता है।
 द्विपक्षीय व्यापार समझौता: दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) है, जो निवेश की सुरक्षा और संवर्धन करती है। वे व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए एक अधिमान्य व्यापार समझौते (PTA) को अंतिम रूप देने पर भी कार्य कर रहे हैं। 
फार्मास्यूटिकल्स: भारतीय दवा कंपनियों की उज्बेकिस्तान में महत्वपूर्ण उपस्थिति है, और इस साझेदारी को और बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भारत उज्बेकिस्तान की लगभग 25% दवा आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है। 
सूचना प्रौद्योगिकी: उज्बेकिस्तान सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल शासन में भारत की विशेषज्ञता की मांग तेजी से कर रहा है।
रक्षा सहयोग:
सैन्य अभ्यास: भारत और उज्बेकिस्तान नियमित रूप से डस्टलिक जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों में भाग लेते हैं, जिसका उद्देश्य आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाना है। 
रक्षा प्रशिक्षण: भारत अपने विभिन्न संस्थानों के माध्यम से उज्बेक सशस्त्र बलों को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे क्षमता निर्माण प्रयासों को बढ़ावा मिलता है।
– सुरक्षा सहयोग: दोनों देश आतंकवाद विरोधी, कट्टरपंथ विरोधी और खुफिया जानकारी साझा करने पर सहयोग करते हैं, विशेषकर अफगानिस्तान और मध्य एशिया में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में।
सांस्कृतिक संबंध:
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत और उज्बेकिस्तान के बीच कला, संगीत, नृत्य और योग पर केंद्रित जीवंत सांस्कृतिक आदान-प्रदान हैं। उज्बेकिस्तान में हिंदी भी व्यापक रूप से पढ़ाई जाती है और बॉलीवुड बेहद लोकप्रिय है। 
लोगों के बीच संबंध: आयुर्वेद और योग जैसी भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में उज्बेक जनसँख्या के बीच रुचि बढ़ रही है। उज्बेकिस्तान नियमित रूप से भारत में सांस्कृतिक उत्सवों में भाग लेता है और उज्बेकिस्तान भी भारत में सांस्कृतिक उत्सवों में भाग लेता है।
कनेक्टिविटी और परिवहन:
चाबहार बंदरगाह: भारत, उज्बेकिस्तान और ईरान पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने पर कार्य कर रहे हैं। इससे भारत और उज्बेकिस्तान के बीच व्यापार और आर्थिक जुड़ाव के अवसर खुलेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): उज्बेकिस्तान ने INSTC में रुचि दिखाई है, यह एक ऐसी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत और मध्य एशिया के बीच वस्तु परिवहन के समय और लागत को कम करना है।
ऊर्जा और नवीकरणीय संसाधन:
ऊर्जा सहयोग: उज्बेकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और भारत ने प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में ऊर्जा साझेदारी विकसित करने में रुचि व्यक्त की है। 
परमाणु सहयोग: दोनों देशों ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें परमाणु ऊर्जा में ज्ञान और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत की विकास सहायता:
ऋण सहायता: भारत ने सड़क निर्माण, जल उपचार संयंत्र और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में सहायता के लिए उज्बेकिस्तान को विभिन्न ऋण सहायता प्रदान की है। 
क्षमता निर्माण कार्यक्रम: भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से, भारत स्वास्थ्य, कृषि तथा आईटी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उज्बेक व्यावसायिकों को प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करता है।
चुनौतियाँ
भू-राजनीतिक चिंताएँ: अफ़गानिस्तान की अस्थिरता भारत और उज़्बेकिस्तान दोनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, विशेष तौर पर तालिबान के सत्ता में आने के बाद। दोनों देश साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कार्य कर रहे हैं।
व्यापार बाधाएँ: बढ़ते संबंधों के बावजूद, कनेक्टिविटी मुद्दों, विनियामक बाधाओं और प्रत्यक्ष परिवहन लिंक की कमी के कारण द्विपक्षीय व्यापार क्षमता से कम बना हुआ है।
हालिया घटनाक्रम
भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन: भारत ने जनवरी 2022 में भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जहाँ दोनों देशों ने विशेष रूप से व्यापार, सुरक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। 
अफ़गानिस्तान मुद्दा: भारत तथा उज़्बेकिस्तान ने अफ़गानिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद पर साझा चिंताएँ व्यक्त की हैं और यह सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया है कि अफ़गानिस्तान क्षेत्र का उपयोग आतंकवाद के लिए न किया जाए।

Source: TH