अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, 2024

पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS3/ अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को मनाया जाता है।

परिचय

  • उत्पत्ति: इस विचार की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। यह वियना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग से उपजा(stems) है, जिसे 1982 में वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग द्वारा अपनाया गया था।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा का प्रस्ताव: 1990 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 45/106 के माध्यम से औपचारिक रूप से 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में स्थापित किया।
  • उद्देश्य: वृद्ध जनसँख्या के साथ अवसरों तथा चुनौतियों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और वृद्ध लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों का समाधान करने के लिए परिवारों, सामुदायिक समूहों और हितधारकों को संगठित करना। 
  • 2024 का थीम: ‘सम्मान के साथ वृद्धावस्था: विश्व भर में वृद्ध व्यक्तियों के लिए देखभाल और सहायता प्रणालियों को मजबूत करने का महत्व’।

भारत की वर्तमान जनसांख्यिकी

  • 2021 तक, भारत में लगभग 138 मिलियन बुज़ुर्ग व्यक्ति (60 वर्ष और उससे अधिक आयु के) थे, जो कुल जनसँख्या का लगभग 10% है।
  •  अनुमानों के अनुसार, 2050 तक भारत में बुज़ुर्गों की जनसँख्या लगभग 319 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है, जो कुल जनसँख्या का लगभग 19.5% है।

वृद्ध जनसंख्या वृद्धि के कारण

  • बढ़ती जीवन प्रत्याशा: बेहतर स्वास्थ्य सेवा और जीवन स्थितियों के कारण भारत में जीवन प्रत्याशा 1970 में लगभग 50 वर्ष से बढ़कर 2023 में लगभग 70 वर्ष हो गई है। 
  • घटती प्रजनन दर: भारत की प्रजनन दर में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है, जिसके कारण युवा जनसँख्या कम हो रही है और वृद्ध व्यक्तियों के अनुपात में वृद्धि हो रही है।

बुजुर्ग जनसँख्या के समक्ष चुनौतियाँ

  • स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे: भारत में वृद्ध व्यक्तियों को सामान्यतः  मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं और गठिया जैसी गैर-संचारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  • आर्थिक निर्भरता: भारत में कई बुजुर्ग व्यक्ति सीमित पेंशन कवरेज और बचत के कारण अपने बच्चों या परिवारों पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं
    • केवल 30% बुजुर्ग किसी न किसी तरह की पेंशन योजना के अंतर्गत आते हैं।
  • बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार, विशेष रूप से भावनात्मक और वित्तीय उपेक्षा, विभिन्न परिवारों में एक मुद्दा है।
  • सामाजिक अलगाव: परिवार की परिवर्तित संरचना, जिसमें एकल परिवार अधिक सामान्य होते जा रहे हैं, के परिणामस्वरूप बुजुर्गों के लिए सामाजिक अलगाव बढ़ गया है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।

सरकारी पहल

  • वरिष्ठ नागरिकों को निजी क्षेत्र में रोजगार प्रदाताओं से जोड़ने के लिए वरिष्ठ सक्षम नागरिकों को सम्मानपूर्वक पुनः रोजगार (SACRED) पोर्टल।
  • वरिष्ठ देखभाल उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ देखभाल एजिंग ग्रोथ इंजन (SAGE)।
  • वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (NPOP): इसे वरिष्ठ नागरिकों की कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियों और कार्यक्रमों के विकास का मार्गदर्शन करने के लिए 1999 में तैयार किया गया था।
  • राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): BPL श्रेणियों से संबंधित और आयु-संबंधी विकलांगताओं से पीड़ित वृद्ध व्यक्तियों को शारीरिक सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करता है।
  • अटल वयो अभ्युदय योजना: इसमें अंतर-पीढ़ीगत संबंध को मजबूत करने के लिए स्कूल/कॉलेज के छात्रों के साथ जागरूकता सृजन/संवेदनशीलता कार्यक्रम शामिल हैं।
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS): यह सरकार द्वारा समर्थित बचत योजना है जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
  • आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) पहल स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रही है।
    • यह आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH) जैसी कई पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों का उपयोग करके निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक तथा पुनर्वास देखभाल पर ध्यान केंद्रित करता है।

क्या हैं अवसर?

  • सिल्वर इकोनॉमी: यह बढ़ती हुई बुजुर्ग जनसँख्या के लिए डिज़ाइन की गई आर्थिक गतिविधियों, वस्तुओं और सेवाओं को संदर्भित करता है।
    • यह जनसांख्यिकी, विशेष रूप से 45-64 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे धनी माना जाता है, जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने वाले उत्पादों और सेवाओं के लिए एक आकर्षक बाजार बनाता है।
  • स्वास्थ्य और कल्याण उद्योग का विकास: वृद्ध वयस्कों द्वारा खपत का एक तिहाई हिस्सा स्वास्थ्य सेवा के लिए होता है और वरिष्ठ देखभाल, स्वास्थ्य सेवाओं तथा कल्याण क्षेत्रों में व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
  • बुजुर्ग देखभाल सेवाएँ: बढ़ती हुई बुजुर्ग जनसँख्या घरेलू देखभाल सहायता, नर्सिंग होम, सेवानिवृत्ति समुदायों और सहायक रहने की सुविधाओं जैसी बुजुर्ग देखभाल सेवाओं की मांग को बढ़ाएगी।
  • वरिष्ठ-अनुकूल पर्यटन: अधिक प्रयोज्य आय और समय के साथ, बुजुर्ग जनसँख्या वरिष्ठ-अनुकूल यात्रा तथा पर्यटन की मांग को बढ़ा सकती है।

निष्कर्ष

  • जैसे-जैसे भारत की वृद्ध जनसँख्या बढ़ रही है, स्वस्थ वृद्धावस्था, वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने वाले समाधानों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। 
  • स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और वरिष्ठ देखभाल सेवाओं में प्रगति का लाभ उठाते हुए, सिल्वर इकोनॉमी वृद्धावस्था को आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण दोनों के लिए एक गतिशील अवसर में बदल सकती है।

Source: PIB