महिलाओं के लिए ई-कॉमर्स

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • हाल ही में, यह बात प्रकट हुई कि महिलाओं के लिए अनेक लाभों के बावजूद ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के उपयोग तथा पहुंच में लैंगिक अंतर है और ‘महिलाओं के लिए ई-कॉमर्स’ से जुड़े मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है।

महिलाओं के लिए ई-कॉमर्स

  • ई-कॉमर्स ने व्यवसायों के संचालन के तरीके में क्रांति ला दी है, जिससे विश्व भर के उद्यमियों को अभूतपूर्व अवसर मिले हैं।
  • विशेष रूप से महिलाओं के लिए, ई-कॉमर्स पारंपरिक बाधाओं को दूर करने और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक अद्वितीय मंच प्रस्तुत करता है।
  • ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म महिलाओं को एक व्यापक बाज़ार तक तुरंत पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे दक्षता और उत्पादकता बढ़ती है। ये प्लेटफ़ॉर्म मार्केटिंग टूल, भुगतान क्षमताओं और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को एकीकृत करते हैं, जिससे तेज़ी से व्यवसाय का विस्तार होता है और निवेश पर अधिक रिटर्न मिलता है।
  • इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स लचीलापन प्रदान करता है, जिससे महिलाओं को अपने उद्यमशील उपक्रमों को अन्य ज़िम्मेदारियों, जैसे कि देखभाल करने के साथ संतुलित करने की अनुमति मिलती है।

ई-कॉमर्स में महिलाओं की आर्थिक क्षमता

  • पहल इंडिया फाउंडेशन (PIF) की रिपोर्ट ‘भारत में रोजगार और उपभोक्ता कल्याण पर ई-कॉमर्स के शुद्ध प्रभाव का आकलन’ ने भारत में रोजगार पर ई-कॉमर्स के महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर किया है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन विक्रेताओं ने उल्लेखनीय 15.8 मिलियन रोजगार सृजित किए  हैं, जिनमें महिलाओं के लिए 3.5 मिलियन रोजगार शामिल हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के अनुसार, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर लैंगिक अंतर को कम करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का निवेश हो सकता है। उदाहरण के लिए, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में, ई-कॉमर्स में महिलाओं की समान भागीदारी 2030 तक बाजार मूल्य में लगभग 300 बिलियन डॉलर जोड़ सकती है।

चुनौतियाँ

  • डिजिटल साक्षरता: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपयोग और पहुंच में एक महत्वपूर्ण लैंगिक अंतर उपस्थित है, विशेषकर एशिया प्रशांत (APAC) क्षेत्र में।
    •  महिलाओं को प्रायः सीमित डिजिटल साक्षरता, वित्तपोषण तक पहुंच की कमी और सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी में बाधा डालती हैं।
  • फंडिंग और बाजार तक सीमित पहुंच: महिलाओं के नेतृत्व वाले ई-कॉमर्स स्टार्टअप प्रायः फंडिंग प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं। वेंचर कैपिटल फर्म पुरुषों के नेतृत्व वाले व्यवसायों में अधिक निवेश करती हैं, जिससे फंडिंग में महत्वपूर्ण अंतर उत्पन्न होता है।
  •  सीमित नेटवर्किंग अवसरों और ई-कॉमर्स स्पेस में स्थापित खिलाड़ियों के प्रभुत्व के कारण व्यापक बाजार तक पहुँचना मुश्किल हो सकता है।
  •  लैंगिक पूर्वाग्रह और भेदभाव: महिलाओं को प्रायः रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है जो उनके करियर की उन्नति और विकास के अवसरों को बाधित कर सकते हैं। इसमें निवेशकों और कार्यस्थल के भीतर पूर्वाग्रह शामिल हैं। 
  • संरचनात्मक बाधाएँ: नीतिगत पहल प्रायः सीमा पार व्यापार से जुड़ी संरचनात्मक बाधाओं जैसे सीमा पार भुगतान और वापसी-खेप से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहती हैं। औसतन, महिलाओं के स्वामित्व वाली फर्म पुरुषों की तुलना में छोटे और कम विविध नेटवर्क के साथ कार्य करती हैं और उनके पास सूचना तक कम पहुँच होती है।
  • लॉजिस्टिक और तकनीकी चुनौतियाँ: शिपिंग और इन्वेंट्री जैसे लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन करना उन महिलाओं के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है जिनके पास सीमित संसाधन और सहायता प्रणालियाँ हो सकती हैं।
    • तकनीकी कौशल की कमी और डिजिटल उपकरणों तक पहुँच की कमी भी ई-कॉमर्स क्षेत्र में महिला उद्यमियों के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती है।
  • कार्य-जीवन संतुलन: ई-कॉमर्स में कार्य की ज़िम्मेदारियों और पारिवारिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाना महिलाओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ क्षेत्रों में, सामाजिक मानदंड और लैंगिक पूर्वाग्रह महिलाओं की व्यावसायिक गतिविधियों में भागीदारी को प्रतिबंधित कर सकते हैं, जिससे उनके विकास के अवसर सीमित हो सकते हैं। 
  • विनियामक और अनुपालन भार: गैर-टैरिफ उपाय (NTMs) और अन्य विनियामक आवश्यकताएँ महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को असंगत रूप से प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उनकी परिचालन लागत और जटिलताएँ बढ़ सकती हैं।
  •  नेटवर्किंग और मेंटरशिप के अवसरों की कमी: महिलाओं के पास पेशेवर नेटवर्क और मेंटरशिप तक सीमित पहुँच हो सकती है, जो व्यवसाय के विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: ऑनलाइन सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दे एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय हो सकते हैं, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जिन्हें साइबर उत्पीड़न और धोखाधड़ी के उच्च जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

महिलाओं को समर्थन देने वाली नीतिगत पहल

  • एशिया प्रशांत (APAC) क्षेत्र में कई सरकारों ने ई-कॉमर्स और प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं। 
  • बांग्लादेश में, जतिओ मोहिला संगठन के नेतृत्व में टोथो अपा परियोजना का उद्देश्य ICT के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है, जिससे वार्षिक लगभग 100,000 महिला उद्यमी तैयार होंगी, जिनमें से 15,000 2021 तक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘लालसोबुज’ पर पहले से ही शामिल हैं।
  •  एक अन्य उदाहरण फिलीपींस द्वारा शुरू की गई ‘महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ना’ पहल है, जिसे USAID द्वारा समर्थित किया गया है, जिसने 2021 तक 380 महिलाओं को ऑनलाइन स्टोर स्थापित करने में सहायता की है, जिससे महत्वपूर्ण बिक्री हुई है। 
  • एशिया तथा प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) और यूरोपीय निवेश कोष (EIF) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण के माध्यम से दक्षिण एशिया में महिला उद्यमियों के लिए ई-कॉमर्स पहुंच बढ़ाने के लिए भागीदारी की है।

सरकारी सहायता

  • महिला ई-हाट: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया यह मंच महिलाओं को अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्रदर्शित करने और बेचने की सुविधा देता है। 2016 तक, इसने 300,000 उद्यमियों को पंजीकृत किया था, जिससे 3.1 मिलियन डॉलर के लेनदेन की सुविधा मिली। 
  • निर्यात बंधु योजना: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत, यह योजना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्यात करने के लिए महिला उद्यमियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का समर्थन करती है। 
  • ई-कॉमर्स सुविधा मेला: तमिलनाडु राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जैसे राज्य मिशनों द्वारा आयोजित, ये कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ते हैं ताकि उनकी बाजार पहुंच का विस्तार हो सके।

संस्थागत समर्थन

  • अमेज़न सहेली: अमेज़न इंडिया द्वारा SEWA और अन्य गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से शुरू की गई इस पहल ने 1.7 बिलियन से अधिक महिला-स्वामित्व वाले व्यवसायों को सशक्त बनाया है और 80,000 महिला कारीगरों को प्रशिक्षण, विपणन सहायता और वित्तपोषण में सहायता की है।
  • उबंटू कंसोर्टियम: यह कंसोर्टियम 10 राज्यों की 45 महिला उद्यमी संघों को एक साथ लाता है, जो डिजिटल मार्केटिंग में 10,000 महिलाओं को कौशल विकास कार्यक्रम और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • डिजिटल2इक्वल पहल: यूरोपीय आयोग के साथ साझेदारी में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत जैसे उभरते बाजारों में महिलाओं के लिए अधिक अवसर सृजित करना है।

निष्कर्ष और आगे की राह

  • ई-कॉमर्स में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की अपार संभावनाएं हैं, जो उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिए उपकरण और अवसर प्रदान करता है। हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन चल रही पहल और सफलता की कहानियां महिलाओं के जीवन पर ई-कॉमर्स के परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रकट करती हैं।
  •  महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए, एशिया प्रशांत देशों को डिजिटल साक्षरता, ई-कॉमर्स प्रशिक्षण, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियां लागू करनी चाहिए। UNESCAP जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन प्रशिक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच बनाकर सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  •  भारत में, सरकार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत निर्यात बंधु योजना जैसे कुछ प्रावधानों तथा योजनाओं के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से निर्यात करने के लिए महिला उद्यमियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का समर्थन कर सकती है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत का सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक संदर्भ ई-कॉमर्स में लैंगिक अंतर को कैसे प्रभावित करता है, और इस क्षेत्र में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए कौन सी रणनीतियां लागू की जा सकती हैं? कुछ नीतिगत उपाय सुझाएँ।

Source: BL