सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज(UHC)

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य

सन्दर्भ

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “भारत की स्वास्थ्य प्रणाली सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करने के लिए “संपूर्ण सरकार” और “संपूर्ण समाज” के दृष्टिकोण को अपनाती है।”

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज क्या है?

  • इसका अर्थं है कि सभी लोगों को वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी श्रृंखला तक पहुँच प्राप्त हो।
  • UHC के प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
    • देखभाल तक पहुँच: हर किसी को ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए।
    • गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ: प्रदान की जाने वाली देखभाल प्रभावी, सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता वाली होनी चाहिए।
    • वित्तीय सुरक्षा: व्यक्तियों को चिकित्सा व्यय के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना नहीं करना चाहिए।
  • UHC को प्राप्त करना उन लक्ष्यों में से एक है जिसे विश्व के देशों ने 2015 में 2030 सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को अपनाते समय निर्धारित किया था।

भारत में UHC

  • संवैधानिक प्रावधान: संविधान के भाग IV में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत स्वास्थ्य के अधिकार के लिए आधार प्रदान करते हैं।
    • अनुच्छेद 39 (e) राज्य को श्रमिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का निर्देश देता है; अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय स्थितियों और मातृत्व राहत पर बल देता है; और 
    • अनुच्छेद 47 राज्य पर पोषण स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का कर्तव्य डालता है।
  •  संविधान अनुच्छेद 243G के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए पंचायतों और नगर पालिकाओं को भी अधिकार देता है। भारत की 1983 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ने “सभी के लिए स्वास्थ्य” के लक्ष्य को मान्यता दी और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा एवं स्वास्थ्य सेवा संसाधनों के समान वितरण के महत्व पर बल दिया। 
  • वर्तमान में, भारत का लक्ष्य केंद्र सरकार की प्रमुख सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा (PFHI) योजना आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के विस्तार के माध्यम से UHC प्राप्त करना है।

भारत में UHC की आवश्यकता

  • जेब से खर्च: भारत में स्वास्थ्य सेवा व्यय का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जेब से वहन किया जाता है, जो विश्व भर में सबसे अधिक दरों में से एक है।
    • परिणामस्वरूप, ये लागत प्रत्येक वर्ष 60 मिलियन से अधिक भारतीयों को गरीब बनती है।
    • कोविड-19 महामारी ने मजबूत और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया है।
  • समन्वय की कमी: हालाँकि राष्ट्रीय और राज्यों में विभिन्न सामाजिक स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ उपस्थित हैं, लेकिन उनका समन्वय अपर्याप्त है, जिसके कारण आंशिक ओवरलैप होता है और उनकी पूरी क्षमता का कम उपयोग होता है।
  • निवारक स्वास्थ्य सेवाएँ: UHC निवारक स्वास्थ्य सेवाओं पर बल देता है, जिससे बीमारियों का जल्द पता लगाने और प्रबंधन करने में सहायता मिल सकती है, जिससे अंततः पुरानी बीमारियों का भार कम हो सकता है और जनसंख्या स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) 2005 में शुरू किया गया, यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम था।
    • कार्यक्रम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण और संचारी रोगों पर केंद्रित था। 
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017): इस नीति का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, निवारक उपायों और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर बल देते हुए सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके UHC प्राप्त करना है। 
  • आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY): 2018 में, भारत ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें दो घटक शामिल हैं – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWC) और PM-JAY।
    • PM-JAY विश्व की सबसे बड़ी सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो 500 मिलियन से अधिक कमजोर व्यक्तियों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।

भारत में UHC अपनाने में चुनौतियाँ

  • संसाधन की कमी: भारत को स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण वित्तीय सीमाओं का सामना करना पड़ता है, कई अन्य देशों की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय कम है। यह व्यापक सेवाएँ प्रदान करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: कई क्षेत्रों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, अस्पतालों, क्लीनिकों और प्रशिक्षित कर्मियों सहित पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे की कमी है, जिससे देखभाल तक पहुँच मुश्किल हो जाती है।
  • स्वास्थ्य सेवा कार्यबल की कमी: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की कमी है, जिससे देखभाल की पहुँच और गुणवत्ता में असमानताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • विखंडित स्वास्थ्य प्रणाली: भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सार्वजनिक और निजी प्रदाताओं का मिश्रण है, जिससे गुणवत्ता और पहुँच में असंगतियाँ उत्पन्न होती हैं।

निष्कर्ष

  • भारत ने स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार लाने की दिशा में विभिन्न नीतियाँ अपनाई हैं और UHC को प्राप्त करने के लिए कई वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों पर उत्साही हस्ताक्षरकर्ता रहा है। 
  • हालाँकि, इन नीतिगत प्रतिबद्धताओं के बावजूद, इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सीमित सफलता मिली है।
  •  स्वस्थ जनसँख्या एक सशक्त जनसँख्या होती है। बीमारी का भर जितना हल्का होगा, देश की वित्तीय सेहत उतनी ही बेहतर होगी। 
  • स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश करने और UHC  को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, पर्याप्त निवेश एवं एक स्पष्ट, दीर्घकालिक दृष्टि की आवश्यकता होती है। 
  • राष्ट्रीय UHC नीति को राज्यों में लगातार लागू करने के लिए एक सुसंगत नीति मार्ग की स्थापना इसकी सफलता के लिए अनिवार्य है।

Source: AIR