2030 तक ‘शून्य भूख’ लक्ष्य की प्राप्ति ख़तरे में

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन

संदर्भ

  • युद्धों, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक संकटों के कारण 2030 तक विश्व से भूखमरी को समाप्त करने का संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है।

परिचय

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) का लक्ष्य 2, 2030 तक भूख से मुक्त विश्व बनाने के बारे में है।
  • विश्व के लिए 2024 का वैश्विक भूख सूचकांक स्कोर 18.3 है, जिसमें 42 देश अभी भी भयावह या गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं।
  • उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में भूख सबसे गंभीर है, जहाँ संकट मानवीय स्तर तक बढ़ गया है।
  • 2016 से भूख को कम करने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है, और 2030 की लक्ष्य तिथि तक भूख को शून्य करने की संभावनाएँ बहुत कम हैं।

भारत में खाद्य असुरक्षा

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2024 में भारत को 127 देशों में से 105वें स्थान पर रखा गया है, जो इसे भूख के स्तर के लिए “गंभीर(serious)” श्रेणी में रखता है। 
  • विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति 2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में भारत में लगभग 224 मिलियन लोगों को मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।

चुनौतियाँ 

  • युद्ध और संघर्ष: लाल सागर जैसे क्षेत्रों में चल रहे संघर्ष, आपूर्ति श्रृंखलाओं और भोजन तक पहुँच को बाधित करते हैं, जिससे गंभीर भूखमरी की स्थिति उत्पन्न होती है, विशेषकर उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे कमज़ोर क्षेत्रों में।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाएँ, सूखा, बाढ़ और कृषि पैटर्न में बदलाव खाद्य उत्पादन और उपलब्धता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में भूख सबसे गंभीर बनी हुई है, जहाँ स्थितियाँ मानवीय संकटों तक बढ़ गई हैं, जिससे इन क्षेत्रों में भूख को प्रभावी ढंग से संबोधित करना कठिन हो गया है।
  • कोविड-19 महामारी ने खाद्य असुरक्षा को बढ़ा दिया है, जिससे कई परिवार गरीबी में चले गए हैं और उनके लिए पर्याप्त भोजन तक पहुँच पाना कठिन हो गया है।

2030 तक भुखमरी को समाप्त करने के लिए भारत के प्रयास

  • मध्याह्न भोजन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी, स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करते हुए नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति को बढ़ावा देना है।
  • खाद्य सुदृढ़ीकरण: सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के हिस्से के रूप में फोर्टिफाइड चावल, गेहूं का आटा और खाद्य तेलों को बढ़ावा देती है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013: यह अधिनियम लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए ग्रामीण जनसँख्या के 75% और शहरी जनसँख्या के 50% तक कवरेज प्रदान करता है।
  • पोषण ट्रैकर: महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोषण ट्रैकर ICT एप्लिकेशन को एक प्रमुख शासन उपकरण के रूप में विकसित किया है।
    • यह बच्चों में ऊंचाई, वजन, लिंग और उम्र के आधार पर स्टंटिंग, वेस्टिंग, कम वजन और मोटापे का गतिशील रूप से आकलन करने के लिए दिन-आधारित जेड-स्कोर के साथ WHO की विस्तारित तालिकाओं का उपयोग करता है।
  • कोविड-19 प्रकोप के कारण होने वाले आर्थिक व्यवधानों के कारण गरीबों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई थी।
  • सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 में देश में कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए प्रत्यक्ष लक्षित हस्तक्षेप के रूप में पोषण अभियान, आंगनवाड़ी सेवाएं और किशोरियों के लिए योजना जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।

आगे की राह

  • मानवीय सहायता: संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता के लिए अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना ताकि खाद्य वितरण और पोषण संबंधी सहायता सुनिश्चित की जा सके।
  • संवहनीय कृषि: ऐसी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना जो जलवायु परिवर्तन के आघातों का सामना कर सकें।
  • लक्षित सहायता कार्यक्रम: संघर्षों से प्रभावित कमज़ोर जनसँख्या के लिए लक्षित खाद्य सहायता कार्यक्रम विकसित करना, जिसमें नकद हस्तांतरण और खाद्य वाउचर शामिल हैं।

Source: DTE