पाठ्यक्रम :GS 1/सामाजिक मुद्दे
समाचार में
- उच्चतम न्यायालय विवाह में सहमति के बिना यौन क्रियाकलापों को बलात्कार के रूप में अपराध घोषित करने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
- न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने प्रश्न उठाया कि गलत तरीके से बंधक बनाना, डराना-धमकाना और हमला करना अपराध क्यों है, लेकिन पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना बलात्कार क्यों नहीं माना जाता।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- वैवाहिक बलात्कार अपवाद (MRE) औपनिवेशिक अंग्रेजी कानून, विशेष रूप से “कवरचर के सिद्धांत(doctrine of coverture)” से उत्पन्न हुआ है, जिसने विवाहित महिलाओं की कानूनी स्वायत्तता छीन ली।
- MRE ऐतिहासिक विचारों से प्रभावित था, विशेष रूप से 18वीं शताब्दी में विधिवेत्ता मैथ्यू हेल से, जिन्होंने इस बात पर बल दिया था कि विवाह अपरिवर्तनीय सहमति के बराबर है।
- इंग्लैंड ने 1991 में MRE को समाप्त कर दिया, लेकिन भारत ने इसे बरकरार रखा।
वैवाहिक हिंसा पर आंकड़े:
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-2021) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में लगभग एक तिहाई विवाहित महिलाओं को अपने पतियों से शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है।
- इसके अतिरिक्त, वैश्विक आंकड़े बताते हैं कि लगभग तीन-चौथाई यौन हमले अंतरंग सेटिंग में होते हैं, जो प्रायः पीड़ित के किसी परिचित द्वारा किए जाते हैं।
वर्तमान विधिक ढांचा:
- आईपीसी की धारा 375 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 63, पति द्वारा बिना सहमति के यौन संबंध बनाने को बलात्कार की परिभाषा से बाहर रखती है, अगर पत्नी की उम्र क्रमशः 15 या 18 वर्ष से अधिक है।
- ये धाराएँ पतियों को अपनी पत्नियों के साथ बिना सहमति के यौन संबंध बनाने के मामले में कानूनी छूट प्रदान करती हैं।
- एक विवाहित महिला घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम जैसे अन्य कानूनों के तहत राहत मांग सकती है, लेकिन ये सीमित हैं।
मुद्दे और चिंताएँ
- याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वर्तमान कानून महिलाओं के शारीरिक अखंडता, स्वायत्तता और गरिमा के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
- अपवाद को असंवैधानिक माना जाता है, जो निम्न का उल्लंघन करता है:
- अनुच्छेद 14 (कानून के तहत समान सुरक्षा)।
- अनुच्छेद 15(1) (भेदभाव न करने का अधिकार)।
- अनुच्छेद 21 (गोपनीयता और शारीरिक अखंडता का अधिकार)।
- अपवाद को असंवैधानिक माना जाता है, जो निम्न का उल्लंघन करता है:
- बलात्कार से महिलाओं को होने वाली हानि, चाहे अपराधी का उनसे कोई भी रिश्ता क्यों न हो, मूल रूप से एक जैसा ही है।
- यह तर्क दिया जाता है कि विवाहित महिला के सेक्स से इनकार करने के अधिकार को मान्यता देने से विवाह कमज़ोर नहीं होगा; यह यौन स्वायत्तता की पुष्टि करता है।
- यह तर्क दिया जाता है कि सहमति एक स्पष्ट और स्वैच्छिक समझौता होना चाहिए, जो विवाहित महिलाओं पर भी लागू हो।
सरकार का दृष्टिकोण:
- केंद्र सरकार MRE को रद्द करने के विरुद्ध तर्क देती है, उसका दावा है कि इससे विवाह कमजोर हो सकता है, झूठे आरोप लग सकते हैं, तथा इसे कानूनी मुद्दे के बजाय सामाजिक मुद्दा माना जाना चाहिए।
न्यायिक टिप्पणियां:
- मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कानून में असंगतता पर ध्यान दिया, जहां कुछ कृत्यों को बलात्कार के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि वे किसी अजनबी द्वारा किए गए हों, लेकिन पति द्वारा नहीं।
- उच्चतम न्यायलय ने पहले भी माना है कि अंतरंग साथी हिंसा बलात्कार की श्रेणी में आ सकती है।
- कर्नाटक उच्च न्यायालय के 2022 के निर्णय ने वैवाहिक बलात्कार के लिए पतियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
भविष्य का दृष्टिकोण
- न्यायालय को यह मूल्यांकन करने का अधिकार है कि क्या MRE मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, और यदि ऐसा है तो उसे रद्द कर सकता है।
- न्यायलय इस बात पर विचार कर रही है कि क्या कोई नया अपराध बनाया जाए या वर्तमान कानूनों को संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप बनाया जाए।
Source: TH
Previous article
समुद्री/मरीन हीट वेव
Next article
2024 वैश्विक बहुआयामी निर्धनता/गरीबी सूचकांक