पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था
सन्दर्भ
- उच्चतम न्यायालय ने माना कि राज्यों को न केवल मादक पेय पदार्थों पर, बल्कि ‘औद्योगिक’ अल्कोहल पर भी कर लगाने का अधिकार है।
परिचय
- औद्योगिक अल्कोहल मानव उपभोग के लिए नहीं है। न्यायालयके सामने मुख्य व्याख्यात्मक प्रश्न यह था कि क्या “मादक शराब” को “औद्योगिक अल्कोहल” के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।
- और क्या राज्य इसे विनियमित कर सकते हैं या क्या केंद्र का इस विषय पर विशेष नियंत्रण है।
विवाद
- यह विवाद संविधान की सातवीं अनुसूची में दो “अतिव्यापी” प्रविष्टियों से उत्पन्न होता है, जो केंद्र और राज्यों के बीच कानून बनाने की शक्तियों का विभाजन निर्धारित करती है।
- सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 8 राज्यों को “मादक शराब के उत्पादन, निर्माण, कब्जे, परिवहन, खरीद और बिक्री” को विनियमित करने की शक्ति देती है।
- सूची I (संघ सूची) की प्रविष्टि 52 केंद्र को उद्योगों को समग्र रूप से विनियमित करने की अनुमति देती है।
- केंद्र ने तर्क दिया कि औद्योगिक अल्कोहल के मामले में वह “क्षेत्र पर कब्जा” करता है, और राज्य इस विषय को विनियमित नहीं कर सकते। दूसरी ओर, राज्यों ने तर्क दिया कि औद्योगिक अल्कोहल का दुरुपयोग अवैध रूप से उपभोग योग्य शराब बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए उन्हें कानून बनाने की आवश्यकता है।
औद्योगिक अल्कोहल
- औद्योगिक अल्कोहल अशुद्ध अल्कोहल है जिसका उपयोग औद्योगिक विलायक के रूप में किया जाता है।
- अनाज, फल, गुड़ आदि को किण्वित करके बनाए जाने वाले इथेनॉल में बेंजीन, पाइरीडीन, गैसोलीन आदि जैसे रसायनों को मिलाने से – एक प्रक्रिया जिसे ‘विकृतीकरण’ कहा जाता है – यह औद्योगिक अल्कोहल में परिवर्तित हो जाता है।
- इससे अल्कोहल मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हो जाता है, और इसकी कीमत काफी कम हो जाती है।
- इसका उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, परफ्यूम, सौंदर्य प्रसाधन और सफाई तरल पदार्थों सहित कई उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है।
- कभी-कभी इसका उपयोग अवैध शराब, सस्ते और खतरनाक नशीले पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है, जिनके सेवन से अंधापन और मृत्यु सहित गंभीर जोखिम होते हैं।
उच्चतम न्यायलय का निर्णय
- उच्चतम न्यायलय ने कहा कि शराब पर लगाया जाने वाला कर राज्य के राजस्व का एक प्रमुख घटक है, राज्य सरकारें प्रायः आय बढ़ाने के लिए शराब की खपत पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क जोड़ती हैं।
- यह निर्णय उद्योगों पर नियंत्रण के मामले में केंद्र-राज्य संबंधों पर भी स्पष्टता प्रदान करता है।
- यह राज्य सूची के विषयों पर कानून पारित करने के लिए राज्यों की शक्ति की पुष्टि करता है, यहां तक कि समग्र रूप से ‘उद्योगों’ के नियंत्रण के संबंध में केंद्र को दी गई व्यापक शक्तियों के बावजूद भी।
- इस निर्णय ने सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में उच्चतम न्यायलय के 1990 के निर्णय को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि “मादक शराब” का तात्पर्य केवल पीने योग्य शराब है और इसलिए, राज्य औद्योगिक अल्कोहल पर कर नहीं लगा सकते। उच्चतम न्यायलय ने यह भी कहा कि “जब प्रविष्टियों की दो संभावित व्याख्याएँ हों, तो न्यायालय को वह चुनना चाहिए जो संघीय संतुलन बनाए रखे”।
सातवीं अनुसूची – भारतीय संविधान का अनुच्छेद 246 केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के वितरण को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। – यह अतिव्यापी या परस्पर विरोधी कानून को रोकता है। तीन सूचियाँ: – संघ सूची: इसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर केवल संसद ही कानून बना सकती है। उदाहरणों में रक्षा, विदेशी मामले और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं। – राज्य सूची: इसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर केवल राज्य विधानमंडल ही कानून बना सकते हैं। उदाहरणों में पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि शामिल हैं। – समवर्ती सूची: इसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों ही कानून बना सकते हैं। किसी विवाद की स्थिति में, संघ का कानून लागू होता है। उदाहरणों में शिक्षा, विवाह और दिवालियापन शामिल हैं। |
Source: TH
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