ब्राज़ील ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल न होने का निर्णय लिया

पाठ्यक्रम: GS2/अंतरराष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • ब्राजील ने हाल ही में चीन की अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल न होने का निर्णय लिया है।

परिचय

  • भारत द्वारा इस मेगा परियोजना का समर्थन करने से मना करने के बाद यह चीन के BRI के लिए एक बड़ा आघात है।
  • ब्राजील ब्रिक्स ब्लॉक में भारत के बाद समर्थन से मना करने वाला दूसरा देश बन गया है।
  • ब्राजील चीन के साथ संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाना चाहता है, बिना किसी परिग्रहण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
    • BRI में शामिल होने से ब्राजील को अल्पावधि में कोई ठोस लाभ नहीं मिल सकता है, लेकिन इससे अमेरिका के साथ संबंध अधिक मुश्किल हो सकते हैं।
ब्रिक्स
– ब्रिक्स एक संक्षिप्त नाम है जो पाँच प्रमुख उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के समूह को संदर्भित करता है: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। 
1. बाद में, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को सदस्य राज्यों के रूप में जोड़ा गया। 
– यह शब्द मूल रूप से अर्थशास्त्री जिम ओ’नील द्वारा 2001 में दिया गया था। 
शिखर सम्मेलन: ब्रिक्स राज्यों की सरकारें 2009 से प्रत्येक वर्ष औपचारिक शिखर सम्मेलनों में मिलती रही हैं। 
– ब्रिक्स देश तीन स्तंभों के तहत महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आते हैं: 
1. राजनीतिक और सुरक्षा, 
2. आर्थिक एवं वित्तीय ;और 
3. सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान। 
नया विकास बैंक: जिसे पहले ब्रिक्स विकास बैंक के रूप में जाना जाता था, ब्रिक्स राज्यों द्वारा स्थापित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है।

बेल्ट एंड रोड पहल (BRI)

  • चीन ने प्राचीन सिल्क रूट की पुनर्स्थापना करने के उद्देश्य से 2013 में BRI का प्रस्ताव रखा था।
    •  इस पहल का उद्देश्य भाग लेने वाले देशों में व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रेलवे, राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों तथा अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नेटवर्क के माध्यम से एशिया को यूरोप एवं अफ्रीका से जोड़ना है। 
  • चीन ने BRI को एक खुली व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें सभी देशों का भाग लेने का स्वागत है।
    • अब तक, चीन ने 150 से अधिक देशों और 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ BRI सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • BRI में दो मुख्य घटक शामिल हैं: सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वीं सदी का समुद्री सिल्क रोड।
    • सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट चीन और मध्य एशिया, यूरोप तथा पश्चिम एशिया के देशों के बीच संपर्क एवं सहयोग को बेहतर बनाने पर केंद्रित है, जबकि 21वीं सदी का समुद्री सिल्क रोड चीन एवं दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया तथा अफ्रीका के देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है। 
  • आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण का मुख्य भाग 2035 तक जारी रहने की उम्मीद है।
प्राचीन सिल्क रोड
– सिल्क रोड चीन और सुदूर पूर्व को मध्य पूर्व तथा यूरोप से जोड़ने वाले व्यापार मार्गों का एक नेटवर्क था।
– पूरे वर्ष सिल्क का परिवहन पूर्व से पश्चिम की ओर होता था, सिवाय कठोर सर्दियों के, जब बदले में सोने और चांदी के सिक्के तथा अन्य कीमती सामान वापस आते थे।
– इसकी स्थापना तब हुई जब चीन में हान राजवंश ने 130 ईसा पूर्व में आधिकारिक तौर पर पश्चिम के साथ व्यापार खोला, सिल्क रोड मार्ग 1453 ईस्वी तक उपयोग में रहे, जब तक कि ओटोमन साम्राज्य ने चीन के साथ व्यापार का बहिष्कार नहीं किया और उन्हें बंद नहीं कर दिया।
प्राचीन सिल्क रोड

भारत BRI को किस प्रकार देखता है?

  • संप्रभुता के मुद्दे: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है।
    • भारत इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानता है।
  •  हिंद महासागर में चीनी उपस्थिति: चीन के लिए हिंद महासागर का महत्व उसके बढ़ते व्यापार, ऊर्जा परिवहन और निवेश के कारण अत्यधिक बढ़ गया है।
    • इसने बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में विभिन्न बंदरगाहों में निवेश के माध्यम से भारत के पड़ोस में अपने पदचिह्नों का विस्तार करना शुरू कर दिया है। 
    • चूंकि वाणिज्यिक बंदरगाहों को आसानी से सैन्य उपयोग में बदला जा सकता है, इसलिए इन घटनाक्रमों ने भारतीय नीति निर्माताओं को परेशान किया है।
  •  तनावपूर्ण भारत-चीन संबंध: व्यापक भारत-चीन संबंधों (व्यापार घाटा, सीमा तनाव, आदि) में कई नकारात्मक घटनाक्रमों ने भी BRI के बारे में भारत की धारणाओं को प्रभावित किया है। 
  • ऋण कूटनीति: BRI संरचना में चीनी नव-उपनिवेशवाद के संकेत प्रतीत होते है। परियोजनाएँ छोटे देशों को ऋण चक्र में धकेल रही हैं, पारिस्थितिकी को नष्ट कर रही हैं और स्थानीय समुदायों को बाधित कर रही हैं।
    • ऋण जाल उनकी संप्रभुता को कमजोर कर रहे हैं और चीन पर निर्भरता उत्पन्न कर रहे हैं।

निष्कर्ष

  • भारत पहला देश था जिसने अपनी आपत्तियां व्यक्त कीं और BRI के विरोध में दृढ़ता से खड़ा रहा। 
  • भारत BRI परियोजनाओं की आलोचना करने में भी मुखर रहा है और कहता है कि उन्हें सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन एवं कानून के शासन पर आधारित होना चाहिए तथा खुलेपन, पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। 
  • BRI को चीन द्वारा अपने बुनियादी ढांचे, बौद्धिक और वित्तीय लाभ का उपयोग करके कुछ पूंजी आयात करने वाले देशों के साथ मजबूत राजनीतिक संबंध बनाने के रूप में भी देखा जा सकता है। 
  • भारत इन वास्तविकताओं से अवगत है और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने भू-राजनीतिक हितों को निर्धारित करने के लिए भी उत्सुक है।

Source: TH