पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन व्यवस्था
सन्दर्भ
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकारी कर्तव्य निर्वहन के दौरान धन शोधन के आरोप में आरोपी लोक सेवकों के विरुद्ध मुकदमा चलाने से पहले पूर्व अनुमति ली जाएगी।
पृष्ठभूमि
- उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका को खारिज कर दिया, जिसने दो IAS अधिकारियों के खिलाफ एजेंसी की शिकायत पर संज्ञान आदेश को रद्द करने वाले उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी थी।
- इस निर्णय ने PMLA मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 (1) के आवेदन को मजबूत किया। धारा 197 (1) के अनुसार सक्षम प्राधिकारी से पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना किसी लोक सेवक के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
- यह प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के अनुरूप है।
धन शोधन क्या है? – धन शोधन एक अवैध प्रक्रिया है जिसमें आपराधिक गतिविधियों जैसे कि ड्रग तस्करी या आतंकवादी वित्तपोषण से उत्पन्न बड़ी मात्रा में धन को वैध स्रोत से आया हुआ दिखाया जाता है। 1. आतंकवाद के वित्तपोषण में धन का उपयोग हथियार तथा गोला-बारूद खरीदने और हिंसक चरमपंथी संगठन के कैडरों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है। – आपराधिक गतिविधि से प्राप्त धन को गंदा माना जाता है और इस प्रक्रिया में इसे साफ-सुथरा दिखाने के लिए इसका “शोधन” किया जाता है। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 – इसे भारत की संसद द्वारा 2002 में संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत धन शोधन को रोकने और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए अधिनियमित किया गया था। – PMLAऔर इसके तहत अधिसूचित नियम 2005 से प्रभावी हुए और 2009 एवं 2012 में इसमें संशोधन किया गया। प्रावधान: 1. PMLA की धारा 3 में धन शोधन के अपराध को अपराध की आय से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया है और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश प्रसतुत गया है। 2. निर्धारित दायित्व: PMLA बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यस्थों के लिए अपने सभी ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्ड के सत्यापन और रखरखाव के लिए दायित्व निर्धारित करता है। 3. अधिकारियों का सशक्तिकरण: PMLA प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन के अपराध से जुड़े मामलों में जांच करने और धन शोधन में शामिल संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है। 4. विशेष न्यायालय: इसमें PMLA के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए एक या एक से अधिक सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करने की परिकल्पना की गई है। 5. केंद्र सरकार के लिए समझौता: यह केंद्र सरकार को PMLA के प्रावधानों को लागू करने के लिए भारत के बाहर किसी भी देश की सरकार के साथ समझौता करने की अनुमति देता है। |
निष्कर्ष
- PMLA अभियोजनों पर धारा 197(1) लागू करके, न्यायालय ने लोक सेवकों के मनमाने या राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियोजनों के विरुद्ध एक जांच बनाई।
- इसने PMLA की धारा 65 पर बल दिया, जो PMLA प्रक्रियाओं पर CrPC को लागू करता है, जब तक कि PMLA के प्रावधानों के साथ असंगत न हो।
Source: IE
Previous article
पश्चिमी घाट में पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESA)
Next article
संक्षिप्त समाचार 07-11-2024