वन डे वन जीनोम पहल(One Day One Genome Initiative)

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) ने ‘वन डे वन जीनोम’ पहल की शुरुआत की।

परिचय

  • इस पहल का उद्देश्य भारत में पाई जाने वाली अद्वितीय जीवाणु प्रजातियों के पूर्ण रूप से एनोटेट जीनोम को जारी करना है, जिससे डेटा सार्वजनिक रूप से सुलभ हो सके। 
  • इसमें सूक्ष्मजीवों के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी देने के लिए विस्तृत ग्राफ़िकल सारांश, जीनोम असेंबली विवरण एवं इन्फोग्राफ़िक्स शामिल होंगे।

पारिस्थितिकी तंत्र में सूक्ष्मजीवों की भूमिका

  • पर्यावरणीय प्रभाव: यह जैव-रासायनिक चक्रों, मृदा निर्माण और प्रदूषकों के क्षरण में भाग लेता है।
    • यह मीथेन उत्पादन और वैश्विक होमियोस्टेसिस में योगदान देता है।
  • कृषि: यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण, पोषक चक्रण और कीट नियंत्रण की सुविधा प्रदान करता है।
  • मानव स्वास्थ्य: शरीर में सहजीवी सूक्ष्मजीव मानव कोशिकाओं की तुलना में अधिक संख्या में होते हैं और रोगजनकों से बचाव करते हैं।
    • वे पाचन, प्रतिरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य का भी समर्थन करते हैं।

जीनोम अनुक्रमण(Genome Sequencing)

  • यह किसी जीव के जीनोम के संपूर्ण DNA अनुक्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है, जिसमें उसके सभी जीन और गैर-कोडिंग क्षेत्र शामिल हैं। 
  • इसमें DNA बनाने वाले चार न्यूक्लियोटाइड बेस (एडेनिन, साइटोसिन, गुआनिन और थाइमिन) के सटीक क्रम की पहचान करना शामिल है।

जीनोम अनुक्रमण का महत्व

  • वैज्ञानिक उन्नति: सतत नवाचारों के लिए मूल्यवान सूक्ष्मजीव लक्षणों की पहचान करने में सक्षम बनाती है।
  • सार्वजनिक जागरूकता: सूक्ष्मजीव विविधता और इसके अनुप्रयोगों की बेहतर समझ को प्रोत्साहित करती है।
  • औद्योगिक क्षमता: एंजाइम विकास, रोग नियंत्रण और जैवसक्रिय यौगिक खोज में अनुसंधान का समर्थन करती है।

आगे की राह

  • वन डे वन जीनोम पहल भारत में सूक्ष्मजीव अनुसंधान को आगे बढ़ाने में योगदान देगी, जिससे जैव प्रौद्योगिकी और सतत विकास में वैज्ञानिक सफलताओं का मार्ग प्रशस्त होगा। 
  • सूक्ष्मजीवों की छिपी हुई क्षमता को प्रकट करके, यह पहल सामाजिक लाभ के लिए जैव विविधता का लाभ उठाने के वैश्विक प्रयासों के साथ जुड़ती है।

Source: PIB