भारत-इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-29

पाठ्यक्रम: GS2/अंतरराष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके इटैलियन समकक्ष ने जी-20 शिखर सम्मेलन में मुलाकात के दौरान संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-29 का अनावरण किया।

योजना की मुख्य विशेषताएं

  • यह एक पांच वर्षीय रणनीतिक कार्य योजना है, जिसमें कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के लिए उनके दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया है।
  •  रक्षा:
    • वार्षिक आधार पर संयुक्त रक्षा परामर्श बैठकें, संयुक्त स्टाफ वार्ता आयोजित करना।
    • भारत-प्रशांत क्षेत्र में इटली की बढ़ती रुचि के ढांचे में बातचीत, जिसका उद्देश्य अंतर-संचालन और सहयोग को बढ़ाना है।
    • प्रौद्योगिकी सहयोग पर सार्वजनिक और निजी हितधारकों के बीच बढ़ी हुई भागीदारी।
    • दोनों देशों के बीच रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर बातचीत करना।
  • आर्थिक:
    • द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग के लिए संयुक्त आयोग और खाद्य प्रसंस्करण पर इटली-भारत संयुक्त कार्य समूह के कार्य का लाभ उठाना।
    • ऑटोमोटिव, सेमीकंडक्टर, बुनियादी ढांचे और उन्नत विनिर्माण में भी औद्योगिक साझेदारी, तकनीकी केंद्रों और आपसी निवेश को बढ़ावा देना।
  • कनेक्टिविटी: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के ढांचे में समुद्री और भूमि अवसंरचना में सहयोग बढ़ाना।
  • विज्ञान और नवाचार: महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग का विस्तार करना, दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं सेवाओं के डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों में प्रौद्योगिकी मूल्य श्रृंखला साझेदारी बनाना।
  • अंतरिक्ष: इटैलियन अंतरिक्ष एजेंसी और इसरो के बीच सहयोग का विस्तार करना, जिसमें चंद्र विज्ञान पर बल देने के साथ पृथ्वी अवलोकन, हेलियोफिजिक्स एवं अंतरिक्ष अन्वेषण में सामान्य हित की परियोजनाएं शामिल हैं।
  • ऊर्जा संक्रमण: वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को मजबूत करना।
  • प्रवासन और गतिशीलता:
    • कानूनी प्रवासन चैनलों को बढ़ावा देना, साथ ही निष्पक्ष और पारदर्शी श्रम प्रशिक्षण एवं भर्ती प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना।
    • पायलट में भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण और उसके बाद इटली में उनके रोजगार को शामिल किया जाएगा।

भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी

  • राजनयिक संबंध और रणनीतिक: समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाली प्राचीन सभ्यताओं भारत और इटली ने 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
    • भारत और इटली ने 2023 में अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित कर दिया है। 
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र: फ्रांस, जर्मनी और नीदरलैंड के बाद इटली यूरोप का अगला देश है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जुड़ाव में गहरी रूचि ले रहा है।
    • भारत के साथ अपने संबंधों में धीरे-धीरे हो रही बढ़ोतरी इसके हालिया इंडो-पैसिफिक धुरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 
    • 2021 में, ‘भारत-इटली-जापान’ त्रिपक्षीय बैठक शुरू की गई, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा, स्थिरता, समृद्धि और बहुपक्षवाद की दिशा में कार्य करना था। 
    • यह ‘भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया’ त्रिपक्षीय बैठक के बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की दूसरी त्रिपक्षीय बैठक है, जिसमें कोई यूरोपीय देश शामिल है। 
  • वैश्विक मंच: इटली G20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई दोनों महत्वपूर्ण पहलों, ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ और ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा’ में शामिल हुआ।
    • इटली 2021 में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (ISA) में भी शामिल हुआ है, जो G20 की इटैलियन  अध्यक्षता और COP26 की सह-अध्यक्षता का वर्ष था। 
  • आर्थिक: इटली यूरोपीय संघ में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 14.253 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जिसमें भारतीय निर्यात में 8.691 बिलियन डॉलर शामिल हैं।
    • अप्रैल 2000 और मार्च 2023 के बीच भारत में FDI प्रवाह के मामले में इटली 17वें स्थान पर है। 
    • FDI आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल (29.8%), ट्रेडिंग (17.1%), औद्योगिक मशीनरी (5.6%), सेवाएँ (5.1%) और विद्युत उपकरण (4.6%) शामिल हैं। दोनों देश समुद्री क्षेत्र में समान चिंताओं के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष में सहयोग को मजबूत करने की संभावना कर रहे हैं। 
  • चीन के साथ संबंध: व्यापक यूरोपीय और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बारे में इटली की चिंता बढ़ रही है। इटली ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल से भी स्वयं को अलग कर लिया है, जो एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव को दर्शाता है।
    • भू-राजनीतिक आवश्यकताओं के परिणामस्वरूप इटैलियन नीति निर्माता एशिया में अपने संबंधों को आकार दे रहे हैं और उन्हें नया रूप दे रहे हैं। 
  • भविष्य का दृष्टिकोण: हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि दोनों पक्षों की ओर से संबंधों में नई रूचि उत्पन्न हुई है।
    • भारत और इटली क्रमशः हिंद महासागर एवं भूमध्य सागर में अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठा सकते हैं, ताकि दोनों समुद्री भूगोल में कनेक्टिविटी, स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया जा सके और इसलिए व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।

Source: PIB

 

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