ओडिशा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024

पाठ्यक्रम: GS2/शासन व्यवस्था

 सन्दर्भ

  • ओडिशा सरकार राज्य की सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी और अन्य विसंगतियों को रोकने के लिए कड़े आपराधिक प्रावधानों वाला एक नया कानून बनाने जा रही है।

परिचय

  • इस कानून को ओडिशा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 के रूप में जाना जाता है।
  • इस कानून का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी ढंग से एवं कानूनी रूप से रोकना होगा जो विभिन्न अनुचित तरीकों में लिप्त होते हैं और मौद्रिक या अनुचित लाभ के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • फिलहाल ओडिशा में परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है।

भारत में सार्वजनिक परीक्षाओं में विसंगतियों के नवीनतम मामले

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने प्रकटीकरण किया कि अकेले वर्ष 2018 में परीक्षा कदाचार के लगभग 2,000 मामले दर्ज किए गए हैं।
  • राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातक) के प्रश्न पत्र लीक करने के आरोप में बिहार राज्य में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।
  • उत्तर प्रदेश में समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी पद के लिए अर्हकारी परीक्षा पेपर लीक के आरोपों के बीच रद्द कर दी गई।
  • इन कदाचारों का छात्रों पर गंभीर वित्तीय और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, और संपूर्ण शिक्षा प्रणाली को इनसे निपटने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता है।

परीक्षा में कदाचार का प्रभाव:

  • शैक्षिक अखंडता को कमज़ोर करता है: जब धोखाधड़ी और कदाचार व्यापक हो जाते हैं, तो यह परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को समाप्त कर देता है।
  • योग्यताओं का अवमूल्यन: जब कदाचार परीक्षाओं की विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं, तो शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी गई योग्यताओं का मूल्य कम हो जाता है, जिससे सभी छात्रों की रोजगार क्षमता और भविष्य की संभावनाएं प्रभावित होती हैं।
  • प्रणाली में विश्वास की हानि: माता-पिता और जनता का शिक्षा प्रणाली में विश्वास कम हो जाता है।
  • छात्रों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव: कदाचार के प्रसार से छात्र निराश और हतोत्साहित महसूस करते हैं।
  • परीक्षाओं में देरी: सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के कारण देरी होती है और परीक्षाएं रद्द हो जाती हैं, जिससे लाखों युवाओं की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • अतिरिक्त लागत: परीक्षा पुनः आयोजित करने के लिए सरकार को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ता है।
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024
– अधिनियम मोटे तौर पर विभिन्न कदाचारों को शामिल करने के लिए “अनुचित साधनों” को परिभाषित करता है, जैसे:
1. प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी लीक होना,
2. परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की सहायता करना (अनधिकृत संचार, समाधान प्रदान करना),
3. कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़,
4. उम्मीदवारों का प्रतिरूपण करना,
5. फर्जी परीक्षाएं आयोजित करना या फर्जी दस्तावेज जारी करना,
6. योग्यता सूची या रैंक के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़।
दंड और सज़ाएँ:
1. एकल(indivisual):
1.1 अपराध की गंभीरता के आधार पर कारावास 3 से 10 वर्ष तक हो सकता है।
1.2 रुपये तक का जुर्माना संगठित अपराधों के लिए 1 करोड़ रु.
2. सेवा प्रदाता(Service providers):
1.1 कदाचार में संलिप्तता के लिए 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
1.2 4 वर्षों के लिए सार्वजनिक परीक्षाएँ आयोजित करने पर रोक।
1.3 इसमें शामिल निदेशकों/प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत दायित्व।
3. संगठित अपराध:
1.1 कठोर दंड, 5 से 10 वर्ष के बीच कारावास और न्यूनतम रु.  1 करोड़ का जुर्माना।संबंधित संस्था को संपत्ति कुर्की और जब्ती का सामना करना पड़ सकता है
जांच(Investigation): 
1. अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य हैं।
2. उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त रैंक से नीचे का अधिकारी अधिनियम के तहत अपराधों की जांच नहीं करेगा।
3. केंद्र सरकार जांच को किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर सकती है।

Source: IE