पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
सन्दर्भ
- 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण सुविधाएं स्थापित करने की भारत की पहल सतत कृषि सुनिश्चित करने में इसके बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है।
परिचय
- परमाणु प्रौद्योगिकी कृषि और खाद्य उत्पादन में एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में उभरी है।
- हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने IAEA वैज्ञानिक फोरम ‘Atoms4Food’ का आयोजन किया।
- विभिन्न देशों के वक्ताओं ने बताया कि किस तरह से परमाणु प्रौद्योगिकियों का उपयोग कृषि और खाद्य उत्पादन में किया जा रहा है।
कृषि में परमाणु प्रौद्योगिकी
- माइक्रोबियल नियंत्रण: विकिरण प्रभावी रूप से उन सूक्ष्मजीवों को नष्ट करता है जो खाद्य पदार्थों को खराब करते हैं, जिससे कृषि उपज का शेल्फ जीवन बढ़ जाता है।
- वाशी और नासिक में भारत की विकिरण सुविधाएँ फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण हैं।
- विकिरण-प्रेरित उत्परिवर्तन: यह गुणसूत्र स्तर पर आनुवंशिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए विकिरण का उपयोग करता है, जिससे उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु अनुकूलन क्षमता वाली फसल किस्मों का विकास संभव होता है।
- फॉलआउट रेडियोन्यूक्लाइड (FRN) तकनीक: यह विधि मिट्टी के कटाव को मापती है और व्यापक मृदा पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन में सहायता करती है।
- कॉस्मिक-रे न्यूट्रॉन सेंसर (CRNS) तकनीक: CRNS बड़े पैमाने पर मिट्टी की नमी को मापने की अनुमति देता है, जो कुशल सिंचाई योजना के लिए महत्वपूर्ण है।
- रेडियोइम्यूनोसे (RIA) तकनीक: RIA पशुधन में प्रजनन हार्मोन की निगरानी, प्रजनन क्षमता में सुधार और कृत्रिम गर्भाधान के लिए इष्टतम समय की पहचान करने में सहायता करता है।
- स्टेराइल कीट तकनीक (SIT): SIT में कीटों की संख्या को कम करने के लिए कीटों को बाँझ बनाना और छोड़ना शामिल है।
- आइसोटोपिक ट्रेसिंग: नाइट्रोजन-15 ट्रेसिंग जैसी तकनीकें फसलों में नाइट्रोजन फिक्सेशन का आकलन करती हैं, उर्वरक के उपयोग को अनुकूलित करती हैं और टिकाऊ फसल पोषण और जल प्रबंधन सुनिश्चित करती हैं।
- खाद्य प्रामाणिकता के लिए परमाणु विधियाँ: ये विधियाँ खाद्य उत्पादों की भौगोलिक उत्पत्ति और प्रामाणिकता को सत्यापित करती हैं, जिससे वैश्विक खाद्य बाजार में गुणवत्ता और उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित होता है।
कृषि में परमाणु प्रौद्योगिकी की चुनौतियाँ
- उच्च आरंभिक लागत: विकिरण केंद्र या आइसोटोपिक ट्रेसिंग प्रयोगशालाओं जैसी सुविधाओं के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है, जिससे विकासशील देशों और छोटे किसानों के लिए यह कम सुलभ हो जाता है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: परमाणु सामग्री या रेडियोधर्मी अपशिष्ट का कुप्रबंधन पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न करता है।
- छोटे किसानों के लिए आर्थिक व्यवहार्यता: परमाणु प्रौद्योगिकी से जुड़ी लागत छोटे और सीमांत किसानों के लिए निषेधात्मक हो सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय निर्भरताएँ: कुछ परमाणु प्रौद्योगिकियों के लिए IAEA जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग या आयातित उपकरणों और आइसोटोप पर निर्भरता की आवश्यकता होती है, जिससे विकासशील देशों में कार्यान्वयन में देरी होती है।
- नैतिक मुद्दे: विकिरण-प्रेरित उत्परिवर्तन जैसी तकनीकों का उपयोग नैतिक चिंताओं को उत्पन्न करता है, विशेष रूप से आनुवंशिक संशोधनों के संबंध में।
आगे की राह
- परमाणु प्रौद्योगिकी खाद्य सुरक्षा, मृदा क्षरण और कीट नियंत्रण जैसी कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव समाधान प्रदान करती है।
- परमाणु समाधानों को पारंपरिक कृषि पद्धतियों के साथ एकीकृत करने से इस क्षेत्र में स्थिरता, उत्पादकता और लचीलापन सुनिश्चित करने की क्षमता है।
Source: BL
Previous article
कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे का मसौदा
Next article
वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता विफल