गूगल की विलो चिप (Willow Chip) और क्वांटम कंप्यूटिंग

पाठ्यक्रम: GS3/क्वांटम कम्प्यूटिंग

सन्दर्भ

  • गूगल ने विलो नामक एक अत्याधुनिक क्वांटम कंप्यूटिंग चिप विकसित की है।

क्वांटम चिप

  • क्वांटम चिप एक विशेष प्रकार की कंप्यूटर चिप है जिसे क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो परमाणुओं जैसे बहुत छोटे कणों का विज्ञान है।
  • जहाँ नियमित चिप्स सूचना को संसाधित करने के लिए ‘बिट्स’ (0 या 1) का उपयोग करते हैं, वहीं क्वांटम चिप्स ‘क्यूबिट्स’ का उपयोग करते हैं, जो एक ही समय में 0 या 1 या दोनों हो सकते हैं।
    • यह अद्वितीय क्षमता क्वांटम चिप्स को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में जटिल गणनाओं को अधिक तेजी से करने में सक्षम बनाती है।

विलो (Willow) का परिचय

  • विलो सुपरकंडक्टिंग ट्रांसमोन क्यूबिट्स का उपयोग करके कार्य करता है – जो अत्यंत कम तापमान पर क्वांटम व्यवहार प्रदर्शित करने वाले छोटे विद्युत सर्किट होते हैं।
    • इन सर्किटों को क्वांटम अवस्था में कृत्रिम परमाणुओं की तरह कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • इन नाजुक क्वांटम अवस्थाओं को बनाए रखने के लिए, क्यूबिट को परम शून्य से थोड़ा ऊपर के तापमान तक ठंडा किया जाता है।
    • इससे कंपन एवं अन्य कमियाँ कम हो जाती हैं जो क्यूबिट को बाधित कर सकती हैं और गणना में त्रुटियाँ उत्पन्न कर सकती हैं।
  • उपलब्धियाँ:
    • इसने एक जटिल गणना को 5 मिनट से भी कम समय में हल कर दिया, जिसे पूरा करने में एक सुपर कंप्यूटर को लगभग 10 सेप्टिलियन (10^25) वर्ष लगते।
    • जैसे-जैसे हम अधिक क्यूबिट का उपयोग करते हैं, विलो त्रुटियों को तेजी से कम कर सकता है। इससे क्वांटम त्रुटि सुधार में एक महत्त्वपूर्ण  चुनौती का समाधान हो गया है, जिस पर इस क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों से कार्य चल रहा है।
  • महत्त्व: गूगल विलो को औषधि खोज, संलयन ऊर्जा और बैटरी डिजाइन जैसे क्षेत्रों में अनुप्रयोगों के साथ एक उपयोगी क्वांटम कंप्यूटर बनाने की अपनी यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखता है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी

  • क्वांटम प्रौद्योगिकी एक तेजी से आगे बढ़ने वाला क्षेत्र है जो अभूतपूर्व क्षमताओं वाली नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का लाभ उठाता है।
    • क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी की वह शाखा है जो क्वांटम स्तर पर कणों के व्यवहार का अध्ययन करती है, जहाँ शास्त्रीय भौतिकी अब लागू नहीं होती।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम प्रणालियों के अद्वितीय गुणों, जैसे सुपरपोजिशन और एन्टेंगलमेंट का उपयोग करके ऐसे कार्य करती है जिन्हें पहले असंभव माना जाता था या वर्तमान क्षमताओं को महत्त्व पूर्ण रूप से बढ़ाती है।

क्वांटम कंप्यूटिंग और प्रमुख अवधारणाएँ:

  • यह एक प्रकार की कंप्यूटिंग है जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके ऐसे तरीकों से गणनाएँ करती है जो पारंपरिक कंप्यूटर नहीं कर सकते।
  • सुपरपोजिशन: क्यूबिट एक साथ कई अवस्थाओं में उपस्थित हो सकते हैं, जबकि पारंपरिक बिट्स 0 या 1 होते हैं। इससे क्वांटम कंप्यूटरों को एक साथ अनेक संभावनाओं पर काम करने में सहायता मिलती है।
  • इनटेंगलमेंट (Entanglement): जब क्यूबिट इनटेंगल हो जाते हैं, तो एक क्यूबिट की स्थिति सीधे दूसरे क्यूबिट की स्थिति से जुड़ जाती है, चाहे उनके बीच कितनी भी दूरी क्यों न हो।
    • इससे तीव्र और अधिक जटिल सूचना प्रसंस्करण संभव हो जाता है, क्योंकि सिस्टम की स्थिति आपस में इस प्रकार जुड़ी होती है, जिसे पारंपरिक प्रणालियाँ दोहरा नहीं सकतीं।
  • क्वांटम हस्तक्षेप: क्वांटम एल्गोरिदम हस्तक्षेप का उपयोग करके सही पथों को बढ़ाते हैं और गलत पथों को रद्द करते हैं, जिससे समस्याओं को अधिक कुशलता से हल करने में सहायता मिलती है।
  • क्वांटम टनलिंग: क्वांटम प्रणालियाँ टनलिंग के माध्यम से अवस्थाओं के बीच संक्रमण कर सकती हैं, तथा उन बाधाओं को पार कर सकती हैं जिन्हें शास्त्रीय भौतिकी में पार करना असंभव होगा। इससे कुछ क्वांटम एल्गोरिदम को शास्त्रीय तरीकों की तुलना में तेजी से समाधान खोजने की अनुमति मिलती है।

महत्त्व 

  • क्वांटम कंप्यूटिंग में क्रिप्टोग्राफी, औषधि खोज, पदार्थ विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अनुकूलन समस्याओं जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है, क्योंकि यह ऐसी गणनाएँ कर सकती है जिन्हें पूरा करने में पारंपरिक कंप्यूटरों को हजारों वर्ष लग जाते हैं।

चुनौतियाँ:

  • त्रुटि सुधार: क्यूबिट बहुत नाजुक होते हैं और पर्यावरण (जैसे तापमान और विकिरण) के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण त्रुटियों से ग्रस्त होते हैं।
  • मापनीयता: बड़े पैमाने पर क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए ऐसी तकनीक विकसित करने की आवश्यकता होती है जो एक साथ कई क्यूबिट की स्थिरता बनाए रख सके।

अनुप्रयोग

  • क्रिप्टोग्राफी: उदाहरण के लिए, शोर का एल्गोरिथ्म सैद्धांतिक रूप से वर्तमान क्रिप्टोग्राफिक प्रणालियों को तोड़ सकता है जो बड़ी संख्याओं के गुणनखंडन की कठिनाई पर निर्भर करते हैं।
  • अनुकूलन: क्वांटम एल्गोरिदम जटिल अनुकूलन समस्याओं को हल करने में सहायता कर सकते हैं, जो रसद, वित्त और विनिर्माण में उपयोगी हैं।
  • औषधि खोज: क्वांटम सिमुलेशन आणविक संरचनाओं और रासायनिक प्रतिक्रियाओं का अभूतपूर्व स्तर पर मॉडल तैयार कर सकता है, जिससे नई औषधियों के विकास में तेजी आएगी।

Source: IE