ब्रिटेन ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते में शामिल हुआ

पाठ्यक्रम: GS2/ अंतरराष्ट्रीय संबंध

समाचार में

  • ब्रिटेन CPTPP का 12वाँ सदस्य बन गया, जो ब्रेक्सिट (Brexit) के पश्चात् उसका सबसे महत्त्वपूर्ण  व्यापार समझौता है।
    • इस ट्रांस-पैसिफिक व्यापार समझौते में ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और आठ अन्य देशों के साथ शामिल हो गया है।

ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौता क्या है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ: इसकी शुरुआत ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) के रूप में हुई, जो एक अमेरिकी नेतृत्व वाला व्यापार समझौता था।
    • 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका के हटने के पश्चात् इसका नाम परिवर्तित करके CPTPP कर दिया गया।
    • इस समझौते में अब 12 सदस्य शामिल हैं और इसका उद्देश्य प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
    • ये देश थे – ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम।
  • उद्देश्य: इस समझौते के अंतर्गत देशों को टैरिफ समाप्त करने या अत्यधिक कम करने तथा सेवा एवं निवेश बाजार खोलने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त करने की आवश्यकता है।
    • इसमें प्रतिस्पर्धा, बौद्धिक संपदा अधिकार और विदेशी कंपनियों के लिए सुरक्षा से संबंधित नियम भी हैं।
    • यह समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15% का योगदान देता है तथा 500 मिलियन से अधिक लोगों के बाजार तक व्यापार पहुँच प्रदान करता है।

शामिल होने के निहितार्थ

  • विस्तारित बाजार पहुँच: CPTPP ब्रिटेन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़े और बढ़ते बाजार तक अधिमान्य पहुँच प्रदान करता है। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और ब्रिटिश व्यवसायों के लिए नये अवसर सृजित होंगे।
  • विविधीकरण: CPTPP में शामिल होने से ब्रिटेन को यूरोप से परे अपने व्यापार संबंधों में विविधता लाने में सहायता मिलेगी, जिससे पारंपरिक बाजारों पर उसकी निर्भरता कम होगी।
  • उत्पत्ति के नियम: यह समझौता उत्पत्ति के अधिक लचीले नियमों की पेशकश करता है, जिससे ब्रिटेन के व्यवसायों को CPTPP के अंदर अधिक व्यापक श्रेणी के देशों से घटकों का स्रोत प्राप्त करने की अनुमति मिलती है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आ सकती है।
  • सकल घरेलू उत्पाद पर सीमित प्रभाव: हालाँकि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के संदर्भ में अनुमानित आर्थिक लाभ अपेक्षाकृत कम है, लेकिन व्यापार पैटर्न और निवेश पर इस समझौते का दीर्घकालिक प्रभाव अधिक महत्त्वपूर्ण  हो सकता है।
  • हिंद-प्रशांत झुकाव: CPTPP में शामिल होना हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जो आर्थिक और सामरिक महत्त्व का एक प्रमुख क्षेत्र है, के साथ अधिक गहराई से जुड़ने की ब्रिटेन की प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
  • चीन का मुकाबला: CPTPP को क्षेत्र में चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का सामना करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। ब्रिटेन की सदस्यता से इस संगठन को मजबूती मिलेगी और व्यापार मानक निर्धारित करने की इसकी क्षमता बढ़ेगी।
  • सदस्यता पर प्रभाव: अब ब्रिटेन को यह निर्णय लेने का अधिकार है कि चीन और ताइवान सहित नए सदस्यों को शामिल किया जाए या नहीं, जिसके महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक निहितार्थ हैं।

चुनौतियाँ 

  • प्रतिस्पर्धा: ब्रिटेन के व्यवसायों को अन्य CPTPP सदस्यों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, विशेष रूप से कृषि जैसे क्षेत्रों में।
  • विनियामक संरेखण: यद्यपि CPTPP को यूरोपीय संघ की तरह पूर्ण विनियामक सामंजस्य की आवश्यकता नहीं है, फिर भी ब्रिटेन के व्यवसायों को समझौते के नियमों का अनुपालन करने के लिए कुछ समायोजन की आवश्यकता होगी।

चुनौतियाँ और विचार

  • प्रतिस्पर्धा: ब्रिटेन के व्यवसायों को अन्य CPTPP सदस्यों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, विशेष रूप से कृषि जैसे क्षेत्रों में।
  • विनियामक संरेखण: यद्यपि CPTPP को यूरोपीय संघ की तरह पूर्ण विनियामक सामंजस्य की आवश्यकता नहीं है, फिर भी ब्रिटेन के व्यवसायों को समझौते के नियमों का अनुपालन करने के लिए कुछ समायोजन की आवश्यकता होगी।
  • वर्तमान समझौतों पर प्रभाव: ब्रिटेन को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उसकी CPTPP सदस्यता अन्य देशों के साथ उसके वर्तमान व्यापार समझौतों का पूरक बने।

भारत के लिए आगे की राह

  • हाल ही में नीति आयोग के CEO बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने भी इस बात का समर्थन किया था  कि भारत को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी और ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते का हिस्सा होना चाहिए।
  • भारत को कम टैरिफ के साथ अधिक व्यापक बाजारों तक पहुँच मिल सकती है, जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है, विशेष रूप से इसके MSME क्षेत्र के लिए, जो रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण  है।
  • इन व्यापार ब्लॉकों में शामिल होने से भारत को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में अधिक गहराई से एकीकृत होने में सहायता मिलेगी, जिससे निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उत्पादकता लाभ में वृद्धि होगी।

Source: LM