पाठ्यक्रम: GS2/ अंतरराष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने पदभार ग्रहण करने के पश्चात् अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से भेंट की।
बैठक के मुख्य परिणाम
- सामरिक और रक्षा सहयोग: श्रीलंका ने भारत को आश्वासन दिया कि उसके भू-क्षेत्र का उपयोग भारत के हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित होगी।
- यह आश्वासन क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बीच श्रीलंका के संतुलन को दर्शाता है।
- क्षमता निर्माण: भारत अगले पाँच वर्षों में 1,500 श्रीलंकाई सिविल सेवकों को केन्द्रित प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- भारत के आधार(Aadhaar), PM गति शक्ति और डिजीलॉकर जैसे ज्ञान-साझाकरण प्लेटफार्मों के माध्यम से क्षमता निर्माण पर सहयोग किया जाएगा।
- ऊर्जा विकास: नेताओं ने सामपुर में सौर ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।
- सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए भारत से श्रीलंका तक बहु-उत्पाद पाइपलाइन को कार्यान्वित करने के लिए भारत, श्रीलंका एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच सहयोग।
- जन-केंद्रित डिजिटलीकरण: भारत के आधार(Aadhaar) के अनुरूप श्रीलंका विशिष्ट डिजिटल पहचान (SLUDI) परियोजना के कार्यान्वयन को तीव्र करने के लिए समझौता।
- सरकारी सेवा वितरण और डिजिटल लेनदेन में सुधार के लिए श्रीलंका में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) प्रारंभ करने के लिए सहयोग।
भारत और श्रीलंका संबंध
- व्यापार संबंध: वर्ष 2000 में भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (ISFTA) ने दोनों देशों के बीच व्यापार के विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- भारत पारंपरिक रूप से श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है और श्रीलंका सार्क में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक बना हुआ है।
- भारत, श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है।
- सांस्कृतिक संबंध: 1977 में हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग समझौता दोनों देशों के मध्य आवधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों का आधार बनता है।
- पर्यटन: भारत पारंपरिक रूप से श्रीलंका का शीर्ष आवक पर्यटन बाजार रहा है, जिसके पश्चात् चीन का स्थान आता है।
- श्रीलंका पर्यटन विकास प्राधिकरण के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा स्रोत होगा।
- समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग: 2011 में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की स्थापना का निर्णय लिया गया जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को प्रोत्साहन देना है।
- भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’, त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘दोस्ती’ और नौसेना अभ्यास ‘स्लीनेक्स’ का आयोजन कर रहे हैं।
- कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: हाल ही में, दोनों पक्षों ने समुद्री, ऊर्जा और लोगों के मध्य संपर्क बढ़ाने के लिए एक विज़न दस्तावेज़ को अपनाया।
- क्षेत्रीय रसद और शिपिंग को मजबूत करने के लिए कोलंबो, त्रिंकोमाली और कांकेसंथुराई में बंदरगाहों एवं रसद बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की योजना है।
- भारत को त्रिंकोमाली और कोलंबो बंदरगाहों तक भूमि पहुँच प्रदान करने के लिए एक भूमि पुल विकसित करने की योजना है।
- बहुपक्षीय मंच सहयोग: भारत और श्रीलंका दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम, दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ एवं बिम्सटेक के सदस्य देश हैं, जो सांस्कृतिक तथा वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं।
चिंता के क्षेत्र
- मछुआरों का मुद्दा: भारतीय जलक्षेत्र से श्रीलंका की निकटता के कारण मछली पकड़ने के लिए दोनों पक्षों के मछुआरों के लिए प्रायः सीमा रेखा धुँधली हो जाती है।
- हिंद महासागर भू-राजनीति: हाल के वर्षों में, हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिका, चीन और भारत के बीच सूक्ष्म भू-राजनीतिक एवं रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को श्रीलंका ने इस क्षेत्र में अपने सुरक्षा हितों के लिए संभावित खतरे के रूप में पहचाना है।
- चीन का उदय: हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण समुद्री बंदरगाहों में चीन का बढ़ता रणनीतिक निवेश चिंता का विषय रहा है।
- श्रीलंकाई लोगों के बीच श्रीलंका के भूभाग पर भारतीय प्रभुत्व का भय, उसकी स्वतंत्रता के पश्चात् से ही एक वास्तविकता रही है।
आगे की राह
- श्रीलंका के साथ भारत की सक्रिय भागीदारी क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में इसकी भूमिका को प्रकट करती है।
- भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए श्रीलंका द्वारा दिया गया आश्वासन, हिंद महासागर क्षेत्र में बाहरी प्रभावों का सामना करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
Source: TH
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