पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS2/शासन
संदर्भ
- अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए भारत में प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है।
परिचय
- यह दिवस 18 दिसंबर, 1992 को राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा को अपनाए जाने की स्मृति में मनाया जाता है।
- भारत ने आधिकारिक तौर पर 2013 में इस दिन को मान्यता देना प्रारंभ किया।
भारत में अल्पसंख्यक
- धार्मिक अल्पसंख्यक: किसी समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक के रूप में नामित करने का मूल आधार उस समुदाय की संख्यात्मक शक्ति है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2, खंड (c) छह समुदायों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करता है। वे हैं: मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी।
- भाषाई अल्पसंख्यक: लोगों का वह वर्ग या समूह जिनकी मातृभाषा या बोली बहुसंख्यक समूहों से भिन्न है, भाषाई अल्पसंख्यक कहलाते हैं।
अल्पसंख्यकों के समक्ष चुनौतियाँ
- सामाजिक भेदभाव: अल्पसंख्यकों को दैनिक जीवन, रोजगार के अवसरों और आवास में पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक बहिष्कार होता है।
- आर्थिक असमानताएँ: निम्न साक्षरता दर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुँच और असमान रोजगार के अवसर आर्थिक पिछड़ेपन में योगदान करते हैं।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी: अल्पसंख्यकों की प्रायः नीति-निर्माण और शासन में सीमित भागीदारी होती है, जिससे निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं पर उनका प्रभाव कम हो जाता है।
- घृणा अपराध: लक्षित हिंसा और सांप्रदायिक अशांति की घटनाएँ सामाजिक सद्भाव को बाधित करती हैं, अल्पसंख्यक समुदायों में भय एवं असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं।
संवैधानिक एवं विधिक सुरक्षा उपाय
- मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 एवं 21 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देते हैं, धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकते हैं और सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करते हैं।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार: अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यकों के अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित करने तथा अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं प्रशासन करने के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
- विशेष प्रावधान: अनुच्छेद 350A भाषाई अल्पसंख्यक समूहों से संबंधित बच्चों के लिए अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM): इसकी स्थापना 1992 में हुई थी और यह अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है, उनकी शिकायतों का समाधान करता है, उनके कल्याण को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने में सहायता करता है।
- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की स्थापना 2006 में की गई थी, जिसे अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग किया गया था।
अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी पहल
- प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम: अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से, यह कार्यक्रम अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार एवं आवास तक बेहतर पहुँच पर ध्यान केंद्रित करता है।
- मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (MANF): इस योजना ने एम.फिल और पी.एच.डी. करने वाले शोध विद्वानों को पाँच वर्ष के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।
- नया सवेरा: तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए विज्ञान विषयों के साथ कक्षा 11-12 के अल्पसंख्यक छात्रों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करना।
- जियो पारसी योजना: 2013-14 में प्रारंभ की गई इस योजना का उद्देश्य लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से भारत में घटती पारसी जनसंख्या को रोकना है।
आगे की राह
- विविधता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता देश भर में उपस्थित जीवंत संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं में परिलक्षित होती है।
- अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में स्कूलों, कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों तक बेहतर पहुँच प्रदान करने से भौगोलिक एवं सामाजिक-आर्थिक बाधाओं को दूर करने में सहायता मिल सकती है।
अल्पसंख्यकों से संबंधित न्यायिक निर्णय – T.M.A पाई फाउंडेशन (2002) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘अल्पसंख्यक’ का निर्धारण संबंधित राज्य की जनसांख्यिकी के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि राष्ट्रीय जनसंख्या के आधार पर। – अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मामले (2024) में, न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि अनुच्छेद 30 समानता एवं गैर-भेदभाव का एक पहलू है, जो यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को स्वायत्तता प्राप्त हो और वे अनुचित राज्य हस्तक्षेप के अधीन न हों। – केशवानंद भारती केस (1973): इस ऐतिहासिक मामले ने स्थापित किया कि अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अधिकार भारतीय संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं। |
Source: TH
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