पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
सन्दर्भ
- नीति आयोग ने “S.A.F.E. आवास: विनिर्माण विकास के लिए श्रमिक आवास सुविधा” पर रिपोर्ट जारी की
परिचय
- रिपोर्ट में भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने में औद्योगिक श्रमिकों के लिए सुरक्षित, किफायती, लचीले एवं कुशल (S.A.F.E.) आवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका का पता लगाया गया है।
- इसमें प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है, कार्यान्वयन योग्य समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, तथा देश भर में ऐसी आवास सुविधाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला गया है।
- पृष्ठभूमि:
- केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री ने औद्योगिक श्रमिकों के लिए किराये के आवास के महत्त्व पर बल दिया।
- इस पहल को व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत क्रियान्वित किया जाएगा।
भारत का विनिर्माण क्षेत्र
- भारत 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद में अपने विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को वर्तमान 17% से बढ़ाकर 25% करने के लिए तैयार है।
- यह लक्ष्य देश के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के उद्देश्यों के अनुरूप है।
- भविष्य का दृष्टिकोण:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए 2030 तक वार्षिक 7.85 मिलियनरोजगार सृजन की आवश्यकता है।
- इसके लिए एक मज़बूत कार्यबल रणनीति की भी आवश्यकता है, जिसमें औद्योगिक श्रमिकों के लिए पर्याप्त, निकटवर्ती एवं किफायती आवास शामिल हों।
SAFE
- S.A.F.E. समायोजन पहल विनियामक और वित्तीय ढाँचे को संरेखित करके एक व्यापक ढाँचा प्रदान करती है।
- रिपोर्ट में S.A.F.E. के विभिन्न लाभों की पहचान की गई है:
- कार्यबल की उत्पादकता और प्रतिधारण में वृद्धि: निकटवर्ती एवं अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए आवास श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, आवागमन के समय को कम करते हैं, और समग्र उत्पादकता को बढ़ाते हैं।
- वैश्विक निवेश को आकर्षित करना: उच्च गुणवत्ता वाले आवास अंतर्राष्ट्रीय मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं, जिससे देश विनिर्माण निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन जाता है।
- वैश्विक श्रम मानकों के साथ सामंजस्य बिठाना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों का पालन वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिष्ठा और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि करता है।
श्रमिक आवास को बढ़ाने में चुनौतियाँ
- प्रतिबंधात्मक ज़ोनिंग कानून: औद्योगिक क्षेत्रों में प्रायः आवासीय विकास निषिद्ध होते हैं, जिससे श्रमिकों को अपने कार्यस्थलों से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
- रूढ़िवादी भवन उप-नियम: निम्न तल क्षेत्र अनुपात (FAR) और अन्य अकुशल भूमि-उपयोग नियम उपलब्ध भूमि पर उच्च क्षमता वाले आवास की संभावना को सीमित करते हैं।
- उच्च परिचालन लागत: औद्योगिक क्षेत्रों में छात्रावास आवास को वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे संपत्ति कर और उपयोगिता दरें अधिक हो जाती हैं।
- वित्तीय व्यवहार्यता: उच्च पूँजीगत लागत और कम रिटर्न बड़े पैमाने पर श्रमिक आवास परियोजनाओं को निजी डेवलपर्स के लिए अनाकर्षक बनाते हैं।
प्रस्तावित समाधान:
- श्रमिक आवासों को पुनः वर्गीकृत करें: S.A.F.E. आवासों को आवासीय आवास की एक अलग श्रेणी के रूप में नामित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि:
- आवासीय संपत्ति कर, बिजली और पानी के शुल्क लागू हों।
- निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले आवासों के लिए GST छूट।
- पर्यावरण मंजूरी को सुव्यवस्थित करना: औद्योगिक शेड, स्कूल, कॉलेज और छात्रावासों के लिए प्रदान की गई छूट के तहत S.A.F.E. आवासों को शामिल करें।
- लचीले ज़ोनिंग कानून: औद्योगिक केंद्रों के पास मिश्रित उपयोग के विकास की अनुमति देने के लिए ज़ोनिंग विनियमों में संशोधन करें, जिससे कार्यस्थलों के करीब श्रमिक आवास की सुविधा मिल सके।
- व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF):
- VGF सहायता के माध्यम से परियोजना लागत (भूमि को छोड़कर) का 30%-40% तक प्रदान करना।
- पात्र क्षेत्र के रूप में किफायती किराये के आवास को शामिल करने के लिए VGF योजना के अनुलग्नक 3 में संशोधन करना।
- प्रतिस्पर्धी निविदा: VGF समर्थन निर्धारित करने के लिए पारदर्शी निविदा प्रक्रियाओं को लागू करना, दक्षता और लागत प्रभावशीलता सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
- सुरक्षित आवास का प्रावधान न केवल एक कल्याणकारी पहल है, बल्कि भारत के आर्थिक विकास के लिए एक रणनीतिक अनिवार्यता है।
- यह कार्यबल प्रतिधारण, उत्पादकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करता है, साथ ही सतत् शहरी विकास को बढ़ावा देता है।
Source: PIB
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