पाठ्यक्रम: GS 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- भारत ने 24वीं बिम्सटेक के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में भाग लिया।
भारत की प्रतिबद्धता
- एक मजबूत, जीवंत और समृद्ध बिम्सटेक क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को दोहराया गया।
- निम्नलिखित के साथ प्रतिबद्धता:
- पड़ोसी पहले नीति (नेबर फर्स्ट पॉलिसी)
- विजन सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास)
- एक्ट ईस्ट नीति
- बैठक में मार्च 2023 से अब तक की प्रगति की समीक्षा की गई और सतत् विकास, कनेक्टिविटी, सुरक्षा एवं लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई। सहयोग योजनाओं, नए तंत्रों और बाहरी संस्थाओं के साथ साझेदारी पर कई दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया गया।
बिम्सटेक(BIMSTEC)
- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) की स्थापना 6 जून, 1997 को बैंकॉक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
- मूल रूप से इसका नाम BIST-EC (बांग्लादेश-भारत-श्रीलंका-थाईलैंड आर्थिक सहयोग) था, बाद में इसका नाम बदलकर बिम्सटेक(BIMSTEC) कर दिया गया।
- सदस्य: इसमें प्रारंभ में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड सम्मिलित थे, और बाद में दिसंबर 1997 में म्यांमार तथा 2004 में भूटान एवं नेपाल को सम्मिलित किया गया।
- फोकस: बिम्सटेक के फोकस में प्रारंभ में छह क्षेत्र सम्मिलित थे- व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन एवं मत्स्य पालन– और बाद में 2008 तक इसमें कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद-निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों के मध्य संपर्क और जलवायु परिवर्तन को सम्मिलित किया गया।
- समूह का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी की सीमा से लगे देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
BIMSTEC का महत्त्व
- क्षेत्रीय सहयोग: बंगाल की खाड़ी का क्षेत्र कभी अधिक एकीकृत था, लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात् क्षेत्रीय सहयोग में गिरावट आई।
- बिम्सटेक का उद्देश्य देशों के बीच संपर्क और साझा हितों को पुनर्जीवित करना है।
- क्षेत्र-संचालित सहयोग: बिम्सटेक सार्क या आसियान जैसे अन्य क्षेत्रीय संगठनों के विपरीत, क्षेत्र-संचालित प्रकार से कार्य करता है। सहयोग के क्षेत्र सदस्यों के बीच विभाजित हैं, जिसमें भारत परिवहन, पर्यटन और आतंकवाद-रोधी जैसे क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार है।
- भारत की नीति के साथ संरेखण: बिम्सटेक भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति और हिंद- प्रशांत क्षेत्र में इसके व्यापक उद्देश्यों के साथ संरेखित है।
- सार्क से बदलाव: 2016 के उरी हमले के पश्चात्, भारत ने सार्क से बिम्सटेक पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण सार्क की प्रगति रुक गई थी।
- क्षेत्रीय सहयोग के लिए बिम्सटेक एक वैकल्पिक मंच बन गया।
- स्थल और समुद्री व्यापार क्षमता: बिम्सटेक में स्थल एवं समुद्री व्यापार की बहुत संभावना है, लेकिन सदस्य देशों को सीमा पार व्यापार, समुद्री व्यापार और साझा तटीय शिपमेंट प्रणाली बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
चुनौतियाँ और असफलताएँ
- धीमी प्रगति: कार्यकुशलता की कमी और प्रगति की मंद गति एक प्रमुख चुनौती रही है।
- वित्तीय और परिचालन संबंधी मुद्दे: सचिवालय को वित्तीय और जनशक्ति संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- राजनीतिक मुद्दे: रोहिंग्या संकट, भारत-नेपाल सीमा विवाद और म्यांमार की राजनीतिक अस्थिरता जैसे आंतरिक संघर्षों ने प्रगति में बाधा उत्पन्न की है।
- समुद्री और मत्स्य पालन: बंगाल की खाड़ी लाखों लोगों के लिए एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है, लेकिन तटीय शिपमेंट और मत्स्यन के मुद्दों पर अपर्याप्त सहयोग रहा है।
निष्कर्ष और आगे की राह
- बिम्सटेक की यात्रा एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में क्षेत्रीय सहयोग की उभरती प्रकृति को प्रदर्शित करती है।
- हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन संगठन की संस्थागत परिपक्वता और क्षेत्र-संचालित दृष्टिकोण इसे बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करता है।
- निरंतर प्रतिबद्धता एवं सहयोग के साथ, बिम्सटेक सदस्य देशों और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अधिक समृद्ध तथा स्थिर भविष्य को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
Source: AIR
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