राष्ट्रीय किसान दिवस

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि, अर्थव्यवस्था

समाचार में

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों के योगदान के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है

राष्ट्रीय किसान दिवस  

  • इतिहास और उत्पत्ति: इसकी स्थापना 2001 में हुई थी और यह भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जो किसानों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे।
    • उन्होंने 1979 से 1980 तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया और भूमि सुधार, कृषि उत्पादकता में सुधार एवं किसानों के अधिकारों को सुरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण  भूमिका निभाई।

महत्त्व

  • किसान भारत की समृद्धि का आधार हैं, जो खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय प्रगति में महत्त्वपूर्ण  योगदान देते हैं।
    • भारत का कृषि क्षेत्र लगभग आधी जनसंख्या को रोजगार देता है और सकल घरेलू उत्पाद (GVA) में 17.7% का योगदान देता है।
    • 2023-24 में, भारत ने 332.2 मिलियन टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन प्राप्त किया, जो किसानों के समर्पण को दर्शाता है।
  • राष्ट्रीय किसान दिवस किसानों के योगदान का सम्मान करता है और भारत की अर्थव्यवस्था में उनकी महत्त्वपूर्ण  भूमिका को प्रकट करता है।
  • यह उचित मूल्य निर्धारण, जलवायु परिवर्तन और आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता सहित किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।

किसानों के लिए सरकारी पहल

किसानों के लिए सरकारी पहल
  • कृषि के लिए बजट आवंटन में वृद्धि: सरकार ने कृषि के लिए बजट को वित्त वर्ष 2013-14 में 21,933.50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 1,22,528.77 करोड़ रुपये कर दिया है।
  • नमो ड्रोन दीदी: कीटनाशक अनुप्रयोग जैसी कृषि सेवाओं के लिए ड्रोन के साथ महिला SHGs को सशक्त बनाती है (2024-26 के लिए ₹1,261 करोड़)।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना और कुशल उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देना है (24.60 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए गए)।
  • स्वच्छ पौधा कार्यक्रम (CPP): रोग मुक्त रोपण सामग्री के साथ बागवानी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाता है (₹1,765.67 करोड़)।
  • डिजिटल कृषि मिशन: फसल संभावना सर्वेक्षण और बुनियादी ढाँचे सहित कृषि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल पहलों का समर्थन करता है (₹2,817 करोड़)।

चुनौतियाँ

  • जलवायु परिवर्तन: अप्रत्याशित मौसम, सूखा और बाढ़ से फसल की उपादकता कम होती है और वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न होती है।
  • ऋण तक पहुँच: विभिन्न किसान उच्च ब्याज दरों और जटिल प्रक्रियाओं के कारण किफायती ऋण प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं।
  • मूल्य में उतार-चढ़ाव: फसल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उच्च इनपुट लागत किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
  • प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच: उच्च लागत और बुनियादी ढाँचे की कमी किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करने से रोकती है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: सड़कों, भंडारण और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी से परिवहन और कटाई के पश्चात् हानि होती है।

निष्कर्ष

  • जैसे-जैसे भारत का विकास और शहरीकरण जारी है, यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण  है कि देश की प्रगति में किसान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, कृषि क्षेत्र की स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने के लिए चुनौतियों का समाधान करना महत्त्वपूर्ण  है। 
  • सरकारी योजनाएँ किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, उत्पादकता बढ़ाती हैं और सतत् विकास को बढ़ावा देती हैं। 
  • चल रही पहलों का उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना, बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और एक प्रतिरोधी कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मंच तैयार करना है, जो भारत के विकास एवं वृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण  है।

Source: PIB