पाठ्यक्रम :GS 3/सूचान प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर
समाचार में
- 6वें अमेरिकी सर्किट अपील न्यायालय ने फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) के नेट न्यूट्रैलिटी लागू करने के दूसरे प्रयास के विरुद्ध निर्णय सुनाया।
परिचय
- नेटफ्लिक्स जैसी अमेरिकी प्रौद्योगिकी कम्पनियों ने दूरसंचार कम्पनियों और ISPs द्वारा अतिरिक्त बैंडविड्थ के लिए उनसे शुल्क लेने का विरोध किया, क्योंकि उन्हें भय था कि इससे इंटरनेट ट्रैफिक के लिए “फास्ट लेन” और “स्लो लेन” का निर्माण हो जाएगा।
- अमेरिका ने नेट न्यूट्रैलिटी नीति में परिवर्तनों का एक चक्र देखा, जिसमें ओबामा युग के नियमों को राष्ट्रपति ट्रम्प के अधीन वापस ले लिया गया और बाद में राष्ट्रपति बिडेन के अधीन पुनः लागू कर दिया गया।
नेट न्यूट्रैलिटी क्या है?
- नेट न्यूट्रैलिटी वह सिद्धाँत है जिसके अनुसार इंटरनेट प्रदाताओं को सभी वेब ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार करना चाहिए, तथा उन्हें वेबसाइटों या सामग्री तक पहुँच को अवरुद्ध या धीमा करने से रोकना चाहिए।
महत्त्व
- उपभोक्ता अधिकार: यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ता बिना किसी प्रतिबंध या ISPs से अतिरिक्त शुल्क के स्वतंत्र रूप से सामग्री तक पहुँच सकें।
- नवाचार और प्रतिस्पर्धा: यह स्टार्टअप्स को बड़ी कंपनियों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देकर नवाचार को बढ़ावा देता है।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: ISPs को सामग्री को सेंसर करने या सूचना प्रवाह को नियंत्रित करने से रोककर मुक्त भाषण की रक्षा करता है।
परिचर्चा
- समर्थक: उनका तर्क है कि मुक्त और खुले इंटरनेट के लिए नेट न्यूट्रैलिटी आवश्यक है, जो ISPs को लाभ के लिए पहुँच को नियंत्रित करने या सामग्री को प्राथमिकता देने से रोकती है।
- विरोधी: ISPs और कुछ नीति निर्माता तर्क देते हैं कि विनियमन निवेश और नवाचार को सीमित करता है, तथा सुझाव देते हैं कि गुणवत्तापूर्ण सेवा के लिए प्राथमिकता आवश्यक हो सकती है।
भारत का दृष्टिकोण
- पिछले दशक में नेट न्यूट्रैलिटी के प्रति भारत का दृष्टिकोण अलग तरह से विकसित हुआ है, जिसमें दूरसंचार कंपनियाँ बड़े तकनीकी प्लेटफार्मों से भुगतान प्राप्त करने के तरीके खोज रही हैं।
- भारत में, नेट न्यूट्रैलिटी पर परिचर्चा 2014 में भारती एयरटेल द्वारा इंटरनेट कॉल्स (जैसे, वाइबर) पर उच्च टैरिफ लगाने के प्रयास के साथ शुरू हुई, जिससे भेदभावपूर्ण डेटा मूल्य निर्धारण के विरुद्ध व्यापक विरोध हुआ।
- 2016 में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में निर्णय दिया, जिससे सभी इंटरनेट ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित हुआ। इस निर्णय से सार्वजनिक परिचर्चा समाप्त हो गई, जिसके अंतर्गत फेसबुक के फ्री बेसिक्स जैसे कार्यक्रमों तथा दूरसंचार ऑपरेटरों की वाइबर जैसे एप्स का उपयोग करके डेटा कॉल के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की योजना पर रोक लगा दी गई।
- 2018 में, दूरसंचार विभाग ने नेट न्यूट्रैलिटी को एकीकृत लाइसेंस में सम्मिलित करके इसे और अधिक सुदृढ़ कर दिया, जिससे यह सभी दूरसंचार ऑपरेटरों और इंटरनेट प्रदाताओं के लिए एक बाध्यकारी शर्त बन गई।
- भारत में दूरसंचार कंपनियों की नई माँग: भारतीय दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में नेटवर्क उपयोग शुल्क की माँग की है, और माँग की है कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ दूरसंचार नेटवर्क पर उनके द्वारा उत्पन्न ट्रैफिक के लिए भुगतान करें, इस माँग ने नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थकों के मध्य चिंता उत्पन्न कर दी है।
निष्कर्ष और आगे की राह
- नेट न्यूट्रैलिटी खुले इंटरनेट को संरक्षित करने, उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा करने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- आगे बढ़ने के लिए विनियमन और स्वतंत्रता के मध्य संतुलन बनाना महत्त्वपूर्ण होगा।
Source :TH
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