पाठ्यक्रम: GS2/ अंतरराष्ट्रीय संगठन
समाचार में
- इंडोनेशिया आधिकारिक तौर पर जनवरी 2025 से 11वें सदस्य के रूप में ब्रिक्स में सम्मिलित हो गया है।
- इंडोनेशिया को इसमें शामिल करना उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच ब्रिक्स के प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में एक और कदम है।
BRICS का परिचय
- परिभाषा: ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी अनौपचारिक समूह है जिसका उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना और उनके वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।
- सदस्य: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन (ये संस्थापक सदस्य हैं); दक्षिण अफ्रीका 2010 में शामिल हुआ; ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब 2024 में इसमें सम्मिलित होंगे।
- पहले अर्जेंटीना के 2024 में इसमें शामिल होने की संभावना थी लेकिन बाद में उसने इससे बाहर निकलने का निर्णय किया।
- पृष्ठभूमि: पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
ब्रिक्स का महत्त्व
- आर्थिक प्रभाव: वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक बड़े भाग का प्रतिनिधित्व करता है:
- वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 35% भाग है।
- इसमें विश्व की 46% जनसंख्या सम्मिलित है, जो एक विशाल बाजार और कार्यबल उपलब्ध कराता है।
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मध्य व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करता है।
- पश्चिमी प्रभुत्व का प्रतिसंतुलन: यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं को G7 और अन्य पश्चिमी नेतृत्व वाली वित्तीय प्रणालियों को चुनौती देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- यह बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देता है, तथा अमेरिका एवं यूरोप जैसी प्रमुख शक्तियों पर निर्भरता को कम करता है।
- स्थानीय मुद्राओं और गैर-डॉलर लेनदेन पर ध्यान केंद्रित करना: इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना है।
- स्थानीय मुद्राओं को मजबूत करना, वैश्विक व्यापार प्रथाओं को नया स्वरूप देना तथा डॉलर आधारित प्रणालियों की कमजोरियों को कम करना।
- वैश्विक संस्थागत सुधारों का समर्थन: IMF और संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में अधिक समानता एवं समावेशिता के लिए प्रयास।
- वैश्विक निर्णय-निर्माण में विकासशील देशों के अधिक संतुलित प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया है।
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मध्य सहयोग: प्रौद्योगिकी, सतत् विकास और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञान साझा करने और संयुक्त प्रयासों को सुविधाजनक बनाना।
- ऊर्जा एवं संसाधन सुरक्षा: कई ब्रिक्स सदस्य ऊर्जा संसाधनों के प्रमुख उत्पादक या उपभोक्ता हैं, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता में रणनीतिक साझेदारी संभव हो पाती है।
- बहुपक्षवाद के लिए समर्थन: एकपक्षीय दृष्टिकोण की तुलना में सामूहिक समस्या समाधान पर जोर देकर बहुपक्षीय संस्थाओं को मजबूत बनाता है।
ब्रिक्स के समक्ष चुनौतियाँ
- विविध आर्थिक हित: ब्रिक्स में विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं वाले देश सम्मिलित हैं, जिनमें चीन एवं भारत जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से लेकर ब्राजील और रूस जैसे संसाधन संपन्न देश शामिल हैं।
- ये मतभेद प्रयः व्यापार नीतियों, आर्थिक सुधारों और विदेशी निवेश जैसे मुद्दों पर परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं को जन्म देते हैं, जिससे समूह के अंदर सामान्य सहमति बनाना जटिल हो सकता है।
- राजनीतिक मतभेद: यद्यपि ब्रिक्स के सदस्य समान लक्ष्य साझा करते हैं, फिर भी उनकी राजनीतिक विचारधाराएँ और गठबंधन व्यापक रूप से भिन्न हैं।
- सदस्य देशों के बीच तनाव (जैसे, चीन और भारत के बीच सीमा विवाद, रूस का पश्चिमी देशों के साथ भू-राजनीतिक तनाव) वैश्विक मुद्दों पर एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की समूह की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: चीन एवं भारत के मध्य तथा रूस और पश्चिमी देशों के बीच भू-राजनीतिक संघर्ष, ब्रिक्स के एकजुट होकर कार्य करने में चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
- ब्रिक्स से बाहर के देशों के साथ प्रतिस्पर्धी गठबंधन, जैसे कि भारत के अमेरिका के साथ संबंध और रूस का पश्चिम से अलग-थलग होना, समूह के सामूहिक प्रभाव को प्रभावित कर सकता है।
- वैश्विक बाजारों पर आर्थिक निर्भरता: कई ब्रिक्स देश अभी भी पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के प्रभुत्व वाले वैश्विक व्यापार नेटवर्क पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो अमेरिकी डॉलर से पूरी तरह से दूर जाने या स्वतंत्र वित्तीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की उनकी क्षमता को सीमित कर सकता है।
Source: IE
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