पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित जीनोम इंडिया डेटा कॉन्क्लेव में जीनोम इंडिया परियोजना के पूर्ण होने की सराहना करते हुए इसे ‘अनुसंधान की विश्व में एक ऐतिहासिक कदम’ बताया।
जीनोम इंडिया परियोजना का परिचय
- इसे 2020 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा लॉन्च किया गया था और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु द्वारा समन्वित किया गया था।
- इसमें देश भर की 99 अलग-अलग जनसंख्या के व्यक्तियों के जीनोम का अनुक्रमण शामिल था। यह भारत के 4600 जनसंख्या समूहों का लगभग 2% है।
जीनोम की समझ(Understanding Genomes) – जीनोम किसी जीव में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) का पूरा समूह होता है, जिसमें उस जीव के विकास, कार्यप्रणाली और प्रजनन के लिए आवश्यक सभी आनुवंशिक जानकारी होती है। – जीवित जीवों में आनुवंशिक जानकारी DNA के लंबे अणुओं में संग्रहित होती है जिन्हें गुणसूत्र कहा जाता है। – मनुष्यों में, जीनोम DNA के लगभग 3.05 बिलियन बेस जोड़ों से बना होता है, जो गुणसूत्रों के 23 जोड़ों में संगठित होते हैं। जीनोम के प्रमुख घटक – DNA.: जीनोम DNA से बना होता है, जो एक दोहरे-रज्जुक वाला अणु है जिसमें चार प्रकार के क्षार होते हैं: एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G), और थाइमिन (T)। 1. ये क्षार (A, T के साथ तथा C, G के साथ) युग्म बनाकर DNA की सीढ़ी के पायदान बनाते हैं। – जीन: DNA के खंड जो प्रोटीन या कार्यात्मक RNA अणुओं के लिए कोड करते हैं। – जीन आनुवंशिकता की कार्यात्मक इकाइयाँ हैं और किसी जीव के लक्षणों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। – गैर-कोडिंग क्षेत्र: जीनोम के वे भाग जो प्रोटीन के लिए कोड नहीं करते हैं, लेकिन उनमें विनियामक कार्य होते हैं, जैसे जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करना। जीनोम अनुक्रमण – यह DNA अणु में आधार युग्मों के सटीक क्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है। – यह वैज्ञानिकों को किसी जीव के जीनोम में निहित आनुवंशिक जानकारी को डिकोड करने की अनुमति देता है। |
जीनोम इंडिया परियोजना की प्रमुख उपलब्धियाँ
- जीनोम अनुक्रमण का समापन: परियोजना ने 10,000 व्यक्तियों के जीनोम का सफलतापूर्वक अनुक्रमण किया है (भारतीय जैविक डेटा केंद्र पोर्टल पर संग्रहीत)।
- बायोबैंक का निर्माण: IISc के मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र में 20,000 रक्त नमूनों को रखने के लिए एक बायोबैंक की स्थापना की गई है।
- इस बायोबैंक का उद्देश्य भविष्य के अनुसंधान प्रयासों को समर्थन देना है।
- चरण 1 विश्लेषण: 5,750 नमूनों की विस्तृत गुणवत्ता जाँच और संयुक्त जीनोटाइपिंग से भारतीय जनसंख्या में पाई जाने वाली दुर्लभ आनुवंशिक विविधताओं का पता चला है।
- डेटा उपलब्धता: जीनोम डेटा अब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) में उपलब्ध है।
- विश्व भर के शोधकर्ता आगे की जाँच के लिए इस डेटा तक पहुँच सकते हैं।
जैव प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा पर प्रभाव
- वैश्विक अनुसंधान को सशक्त बनाना: IBDC पोर्टल और डेटा प्रोटोकॉल के आदान-प्रदान के लिए फ्रेमवर्क (FeED) का शुभारंभ मूल्यवान आनुवंशिक जानकारी तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करता है।
- यह भारत को जीनोमिक्स में अग्रणी स्थान दिलाने के लिए तैयार है, जिससे भारतीय जनसांख्यिकी के अनुरूप जीनोमिक चिप्स का विकास संभव हो सकेगा।
- ऐसी प्रगति से आनुवंशिक अध्ययनों की सटीकता बढ़ेगी और mRNA आधारित टीके, प्रोटीन निर्माण एवं आनुवंशिक विकार उपचार जैसे क्षेत्रों में नवाचारों में योगदान मिलेगा।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा: रोग की रोकथाम और उपचार के लिए आनुवंशिक आधार प्रदान करके, यह परियोजना सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में महत्त्वपूर्ण सुधार करेगी।
- नवाचार को बढ़ावा: यह डेटा भारतीय जनसांख्यिकी के अनुरूप जीनोमिक चिप्स के विकास में सहायक होगा, जिससे आनुवंशिक अध्ययनों की सटीकता बढ़ेगी।
- नीति निर्माण में सहायता: आनुवंशिक जानकारी नीति निर्माताओं को भारत की विविध जनसंख्या की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप स्वास्थ्य रणनीतियों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में सहायता करेगी।
- जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: भारत की जैव-अर्थव्यवस्था में प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है, जो 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है, तथा अनुमान है कि 2030 तक यह 300 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी।
- यह वृद्धि देश की बढ़ती क्षमताओं और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में योगदान का प्रमाण है।
मुख्य चिंताएँ
- आनुवंशिक संशोधन जोखिम: यदि जीनोमिक डेटा का उपयोग अधिक विवादास्पद उद्देश्यों, जैसे जीन संपादन, के लिए किया जाता है, तो इससे डिज़ाइनर शिशुओं के संबंध में नैतिक दुविधाएँ या अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं।
- डेटा एवं भंडारण: आनुवंशिक डेटा की गुमनामी सुनिश्चित करना तथा इसके संभावित दुरुपयोग को रोकना महत्त्वपूर्ण है।
- क्लाउड प्लेटफॉर्म पर डेटा संग्रहीत करने से स्वामित्व और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- भारत में व्यापक डेटा गोपनीयता विधेयक का अभाव है, जिससे जीनोम इंडिया परियोजना के लिए जोखिम उत्पन्न हो रहा है।
- सामाजिक मुद्दे: आनुवंशिक अध्ययन रूढ़िवादिता को मजबूत कर सकते हैं और विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा दे सकते हैं, विशेष रूप से नस्लीय शुद्धता एवं आनुवंशिकता के संबंध में।
- भारत में ‘स्वदेशी’ जनसंख्या पर परिचर्चा आनुवंशिक मोड़ ले सकती है।
- सुजननिकी और ‘चयनात्मक प्रजनन’ से संबंधित ऐतिहासिक विवाद इस विषय की संवेदनशील प्रकृति को उजागर करते हैं।
चुनौतियों पर विजय पाने के लिए कदम
- नैतिक और सुरक्षित डेटा साझाकरण: 2021 में प्रस्तुत किए गए बायोटेक-प्राइड दिशानिर्देश नैतिक और सुरक्षित डेटा साझाकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
- इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत FeED प्रोटोकॉल का शुभारंभ यह सुनिश्चित करता है कि उच्च गुणवत्ता वाले, राष्ट्र-विशिष्ट डेटा को पारदर्शी, निष्पक्ष और जिम्मेदारी से साझा किया जाएगा।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: आनुवंशिक डेटा की संवेदनशीलता को देखते हुए, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर उपाय लागू किए हैं।
- केंद्रीय डाटाबेस पर अपलोड करने से पहले डेटा को अनामित और एनकोड किया जाता है।
- डेटा तक पहुँच पाने के इच्छुक शोधकर्ताओं को विभाग के साथ सहयोग करना होगा और कठोर प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
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