पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य, GS4/ एथिक्स
संदर्भ
- हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने “करुणा और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल” शीर्षक से एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल में करुणा को एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में मान्यता दी गई।
परिचय
- स्वास्थ्य सेवा में करुणा केवल एक नैतिक दायित्व नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है। यह रोगी की रिकवरी दरों को बढ़ाता है, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है, रोगी-प्रदाता संबंधों को मजबूत करता है, और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के बीच बर्नआउट को कम करता है।
- करुणामय देखभाल प्रथाओं को शामिल करने से स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांति आ सकती है, जिससे यह अधिक रोगी-केंद्रित, सतत और प्रभावी बन सकता है।
करुणामय स्वास्थ्य देखभाल के लाभ
कई अध्ययन करुणामय देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के बीच सीधे संबंध पर बल देते हैं:
- तेजी से रिकवरी और अस्पताल में कम समय तक रहना:
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के CCARE द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि करुणा से उपचारित मरीज तेजी से ठीक होते हैं और उन्हें अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ता है।
- जॉन्स हॉपकिन्स अस्पताल ने पाया कि 40 सेकंड की करुणामय बातचीत, जिसमें डॉक्टर एकजुटता व्यक्त करता है (उदाहरण के लिए, “हम सब एक साथ हैं”), रोगी की चिंता को काफी सीमा तक कम करता है और रिकवरी में सुधार करता है, विशेषकर कैंसर रोगियों के मामले में।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए लाभ:
- अध्ययनों से पता चलता है कि करुणामय देखभाल का अभ्यास करने से तनाव कम होता है, नौकरी से संतुष्टि बढ़ती है और रोगी के साथ सम्बन्ध सुदृढ़ होते हैं।
करुणा, सहानुभूति और समानुभूति
- सहानुभूति, समानुभूति और करुणा शब्द प्रायः एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं, स्वास्थ्य देखभाल नैतिकता में उनके अलग-अलग अर्थ हैं:
- सहानुभूति: एक अल्पकालिक, दया-आधारित प्रतिक्रिया जो जरूरी नहीं कि कार्रवाई की ओर ले जाए।
- समानुभूति: दूसरों की समस्याओं में गहरी भावनात्मक तल्लीनता शामिल है, जो कभी-कभी देखभाल करने वालों में भावनात्मक थकान और चिंता का कारण बन सकती है (जिसे समानुभूति थकान के रूप में जाना जाता है)।
- करुणा: एक संतुलित, समस्या-समाधान दृष्टिकोण, जहाँ स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता अपने रोगियों के दर्द को समझते हैं और महसूस करते हैं लेकिन भावनात्मक स्थिरता बनाए रखते हैं। यह व्यक्तिगत थकावट के बिना निरंतर, उच्च-गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित करता है।
- इस प्रकार, करुणा चिकित्सा पेशेवरों के लिए एक स्थायी मॉडल प्रदान करती है, जिससे वे अपने मानसिक और भावनात्मक कल्याण की रक्षा करते हुए रोगियों की प्रभावी रूप से मदद कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य में करुणा की तत्काल आवश्यकता
विश्व स्वास्थ्य संगठन और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अवसाद अपने व्यापक प्रभाव के कारण अगली वैश्विक महामारी बन सकता है। स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को करुणामय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को एक बुनियादी स्तंभ के रूप में एकीकृत करना चाहिए।
- केस स्टडी: करुणा के माध्यम से प्रदीप का परिवर्तन
- प्रदीप, एक बचाए गए बच्चे को उसके समुदाय द्वारा त्याग दिया गया था और उसे “शापित” करार दिया गया था। उसे बाल आश्रम में लाया गया, जो वैश्विक करुणा के लिए सत्यार्थी आंदोलन के अंतर्गत एक दीर्घकालिक पुनर्वास केंद्र है।
- बाल आश्रम में देखभाल करने वालों ने, करुणामय पुनर्वास में प्रशिक्षित, उसे अपने आघात के बारे में बोलने के लिए मजबूर करने के बजाय, उसे ठीक होने के लिए भावनात्मक स्थान दिया।
- समय के साथ, उसने दोस्ती की, अपना आत्मविश्वास फिर से बनाया और अपनी कहानी साझा की, यह दिखाते हुए कि कैसे करुणा मानसिक स्वास्थ्य सुधार में एक परिवर्तनकारी शक्ति है।
करुणामय स्वास्थ्य देखभाल को लागू करने की रणनीतियाँ
- स्वास्थ्य सेवा नेतृत्व और नीति में करुणा को शामिल करना:
- स्वास्थ्य सेवा निर्णय लेने में केवल परिचालन दक्षता के बजाय करुणा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- उद्योग जगत के नेताओं, अस्पतालों और नीति थिंक टैंकों को स्वास्थ्य सेवा शासन में करुणा को एक आधारभूत सिद्धांत के रूप में एकीकृत करना चाहिए।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को करुणामय व्यवहार में प्रशिक्षित करना:
- डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को करुणा-आधारित संचार और समानुभूति को करुणा से अलग करने में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे थकान से बच सकें।
- चिकित्सा पाठ्यक्रमों में करुणामय देखभाल प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य के स्वास्थ्य पेशेवर रोगी-केंद्रित देखभाल के महत्त्व को समझें।
- सभी के लिए समान एवं समावेशी स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना:
- दयालु स्वास्थ्य सेवा समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह होनी चाहिए:
- बेहतर स्वास्थ्य सेवा आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण जनसंख्या के लिए सुलभ।
- वंचित समुदायों (जाति, लिंग, आर्थिक स्थिति) के लिए समावेशी।
- सभी के लिए किफायती और सम्मानजनक उपचार सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में एकीकृत।
- दयालु स्वास्थ्य सेवा समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह होनी चाहिए:
- करुणामयी दृष्टिकोण के साथ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करना:
- मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों को आघात-संवेदनशील और करुणापूर्ण देखभाल में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के आस-पास कलंक को कम करने के लिए समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विस्तार किया जाना चाहिए।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य और सर्वोत्तम अभ्यास
- यूनाइटेड किंगडम (NHS): सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में “करुणामय नेतृत्व” पर बल देता है।
- जापान की सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली: समग्र उपचार और करुणामय रोगी देखभाल को एकीकृत करती है।
- स्कैंडिनेवियाई देश: रोगी-प्रथम स्वास्थ्य देखभाल नीतियाँ हैं जो मानसिक स्वास्थ्य को एक मौलिक स्वास्थ्य देखभाल सिद्धांत के रूप में शामिल करती हैं।
- भारत अपने आयुष्मान भारत एवं एम्स-नेतृत्व वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों के भी अन्दर तर इन सर्वोत्तम प्रथाओं को अपना सकता है और उन्हें अनुकूलित कर सकता है।
Source: TH
Previous article
बलूचिस्तान ट्रेन हाइजैक
Next article
भारत में आवास की प्रवृति और प्रगति 2024