भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी

पाठ्यक्रम: GS1/समाज

समाज

  • राजेश्वरी देशपांडे का अध्ययन, ‘भारतीय चुनावों में महिला निर्वाचन क्षेत्र का आकार: NES डेटा से साक्ष्य’ भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का विश्लेषण करता है।

अध्ययन की प्रमुख विशेषताएँ

  • मतदान व्यवहार और एजेंसी: महिलाओं के मतदान पैटर्न और विकल्पों को प्रायः अनदेखा कर दिया जाता है, राजनीतिक दल उन्हें एक समरूप समूह के रूप में देखते हैं और जाति, वर्ग एवं धर्म जैसे कारकों पर विचार नहीं करते हैं। 
  • कल्याण कार्यक्रम: राजनीतिक दल प्रायः महिलाओं को उज्ज्वला और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों के निष्क्रिय लाभार्थियों के रूप में पेश करते हैं, जिससे उनकी आश्रित छवि मजबूत होती है। 
  • मतदान बनाम राजनीतिक शक्ति: मतदान में वृद्धि के बावजूद, महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी मतदान से परे सीमित है।
    • महिलाएँ रैलियों, अभियानों और नीति समर्थन जैसे अन्य राजनीतिक भागीदारी के रूपों में पुरुषों से पीछे हैं, सामाजिक और संरचनात्मक बाधाओं का सामना कर रही हैं। 
  • पुरुष प्रवास का प्रभाव: बड़े पैमाने पर पुरुष प्रवास वाले राज्यों में, महिलाओं के मतदान में वृद्धि हुई है, विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से ‘पिछड़े’ क्षेत्रों में। 
  • राज्य-विशिष्ट मतदान पैटर्न: मजबूत क्षेत्रीय दलों (जैसे, तमिलनाडु, केरल) वाले राज्यों में, महिलाओं की प्राथमिकताएँ राष्ट्रीय लिंग-आधारित प्रवृतियों के बजाय क्षेत्रीय आंदोलनों के साथ अधिक संरेखित होती हैं।

भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी

  • कई देशों के विपरीत, जहाँ 1990 के दशक में राजनीतिक भागीदारी में लैंगिक अंतर कम होना प्रारंभ हुआ, भारत में यह बदलाव 2010 के दशक में ही देखा गया। 
  • 2019 के आम चुनावों में, महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की संख्या से थोड़ी अधिक रही, जिसमें महिलाओं की संख्या 49.5% थी। 
  • 2024 के लोकसभा चुनावों में, महिलाओं का मतदान प्रतिशत (65.8%) पुरुषों (65.6%) की तुलना में थोड़ा अधिक था। 
  • महिलाएँ, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक, सक्रिय और गाँव-स्तर के निर्णय लेने में शामिल हो रही हैं।

वैश्विक लक्ष्य

  • 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी और नेतृत्व महत्त्वपूर्ण है। 
  • SDG5 लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। 
  • बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई के लिए मंच में निर्णय लेने में महिलाओं एवं पुरुषों के बीच संतुलित राजनीतिक भागीदारी और सत्ता का बंटवारा एक प्रमुख लक्ष्य है।

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक

  • सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंड: पारंपरिक लैंगिक भूमिकाएँ और सांस्कृतिक अपेक्षाएँ अक्सर महिलाओं की सार्वजनिक एवं राजनीतिक भागीदारी को सीमित करती हैं।
  • शिक्षा और साक्षरता: उच्च साक्षरता दर और शिक्षा का स्तर महिलाओं को राजनीति में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाता है।
  • आर्थिक स्वतंत्रता: महिलाओं की कार्यबल भागीदारी और आर्थिक स्वतंत्रता उनकी राजनीतिक एजेंसी को बढ़ावा दे सकती है।
  • जाति, वर्ग और धर्म: महिलाओं की राजनीतिक पसंद उनकी जाति, वर्ग और धार्मिक पहचान से प्रभावित होती है, जो उनके मतदान व्यवहार एवं पार्टी संबद्धता को प्रभावित करती है।
  • राजनीतिक पार्टी की रणनीतियाँ: लक्षित नीतियों या कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के साथ राजनीतिक दलों की पहुँच और जुड़ाव उनकी भागीदारी को प्रभावित करता है।
  • सामाजिक आंदोलन: सामाजिक आंदोलनों और सक्रियता में महिलाओं की भागीदारी औपचारिक राजनीति में उनकी भागीदारी को मजबूत कर सकती है।
  • क्षेत्रीय और राज्य-विशिष्ट कारक: स्थानीय दलों की क्षमता और राज्यों के विशिष्ट मुद्दों सहित क्षेत्रीय राजनीतिक संदर्भ महिलाओं के राजनीतिक व्यवहार को आकार दे सकते हैं।
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक

निष्कर्ष

  • पिछले दो दशकों से हो रहे शासन के विकेंद्रीकरण ने निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी को मापने के महत्त्व को बढ़ा दिया है। 
  • महिलाओं के समावेशी विकास के लिए उचित लिंग बजट पहले ही तैयार किया जा चुका है। 
  • महिलाओं की भागीदारी पर अधिक उत्तरदायी डेटा के साथ, बेहतर लिंग बजट पहल का उद्देश्य देश को लिंग समान समाज की ओर ले जाना है।

Source: TH