कैबिनेट ने फसल बीमा योजना में संशोधन को मंजूरी दी

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि

संदर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है।

परिचय

  • मंत्रिमंडल ने बीमा योजनाओं में प्रौद्योगिकी सुधार के लिए नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (FIAT) की स्थापना को मंजूरी दी।
    • प्रमुख पहलों में प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उपज आकलन प्रणाली (YES-TECH) शामिल है, जो फसल उपज अनुमान के लिए रिमोट सेंसिंग का उपयोग करती है।
    • स्वचालित मौसम स्टेशनों के माध्यम से मौसम संबंधी आँकड़ों को बढ़ाने के लिए मौसम सूचना एवं नेटवर्क डेटा सिस्टम (WINDS)।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का परिचय

  • लॉन्च: 2016 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा।
  • उद्देश्य: यह एक फसल बीमा योजना है जो प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण फसल की विफलता या क्षति के मामले में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • किसानों की आय को स्थिर करना ताकि वे खेती में लगे रहें;
    • किसानों को नवीन एवं आधुनिक कृषि पद्धतियाँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना;
    • कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना।
  • कवरेज: अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों एवं किरायेदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं।
  • फसलों का कवरेज: खाद्य फसलें (अनाज, बाजरा और दालें), तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक / बागवानी फसलें।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का परिचय
  • केन्द्र और राज्य के बीच हिस्सा: चूँकि योजना के कार्यान्वयन में राज्यों की प्रमुख भूमिका है, इसलिए प्रीमियम सब्सिडी केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा 50:50 के आधार पर साझा की जाती है तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए साझाकरण पैटर्न 90:10 रखा गया है।

पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) का परिचय

  • प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण फसल की संभावित हानि के कारण होने वाली वित्तीय हानि की संभावना के कारण बीमित किसानों की कठिनाई को कम करने के लिए इसे 2016 में लॉन्च किया गया था।
    • जबकि PMFBY उपज पर आधारित है, RWBCIS फसल की पैदावार के लिए “प्रॉक्सी” के रूप में मौसम के मापदंडों का उपयोग करता है, ताकि किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई की जा सके।
    • सभी मानक दावों का प्रसंस्करण एवं भुगतान जोखिम अवधि की समाप्ति से 45 दिनों के भीतर किया जाता है।

भारत में कृषि ऋण

  • कृषि ऋण के स्रोत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (जैसे भारतीय स्टेट बैंक), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs), सहकारी समितियाँ और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) अधिकांश औपचारिक कृषि ऋण प्रदान करते हैं।
  • कृषि ऋण के प्रकार:
    • अल्पकालिक ऋण: बीज, उर्वरक एवं कीटनाशकों जैसी कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं के वित्तपोषण के लिए उपयोग किया जाता है।
    • मध्यम एवं दीर्घकालिक ऋण: उपकरण खरीदने, सिंचाई प्रणाली एवं भूमि विकास के लिए उपयोग किया जाता है।
  • चुनौतियाँ:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की पहुँच कम है।
    •  अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भरता, जिनकी ब्याज दरें बहुत अधिक हैं।
    •  ऋण वसूली और चूक से जुड़ी समस्याएँ.
अन्य प्रासंगिक सरकारी योजनाएँ
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: फसल उत्पादन एवं कृषि आवश्यकताओं के लिए किसानों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करती है। लचीली पुनर्भुगतान शर्तें प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): छोटे एवं सीमांत किसानों को तीन किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की प्रत्यक्ष आय सहायता।
ब्याज अनुदान योजना: 3 लाख रुपये तक के फसल ऋण पर ब्याज दरों में छूट, जिससे किसानों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
कृषक विकास ऋण (FDL): भूमि विकास, सिंचाई एवं कृषि उपकरण खरीदने के लिए दीर्घकालिक ऋण।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): कृषि अवसंरचना एवं  उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्यों को वित्त पोषण प्रदान करती है।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन (NMAET): विस्तार सेवाओं एवं प्रौद्योगिकी अपनाने में सहायता देकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है।
ऋण गारंटी निधि योजना (CGS): कृषि-व्यवसायों सहित सूक्ष्म एवं  लघु उद्यमों को ऋण गारंटी प्रदान करती है।
ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (RIDF): सिंचाई एवं मृदा संरक्षण जैसी ग्रामीण अवसंरचना परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करती है।
किसान ऋण पोर्टल (KRP): इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उद्देश्य किसान डेटा एवं  ऋण संवितरण विवरणों का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करके एवं  बैंकों के साथ सहज एकीकरण को बढ़ावा देकर किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC) के तहत ऋण सेवाओं तक पहुँच में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।

Source: PIB

 

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