भस्मीकरण प्रक्रिया

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

समाचार में 

  • भोपाल गैस त्रासदी से उत्पन्न 337 टन रासायनिक अपशिष्ट को पीथमपुर में जलाने की योजना पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं।

भस्मीकरण का परिचय

  • भस्मीकरण एक अपशिष्ट उपचार प्रक्रिया है जिसमें उच्च तापमान पर पदार्थों का नियंत्रित दहन किया जाता है ताकि उनकी मात्रा कम की जा सके, खतरनाक घटकों को निष्क्रिय किया जा सके एवं ऊर्जा पुनः प्राप्त की जा सके।
भस्मीकरण का परिचय

Image Courtesy: Researchgate

भस्मीकरण के पक्ष में तर्क

  • सुरक्षित निपटान: उच्च तापमान पर भस्मीकरण से अधिकांश खतरनाक रसायनों को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता है, जिससे संदूषण का खतरा कम हो जाता है।
  • ऊर्जा पुनर्प्राप्ति: दहन के दौरान उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग विद्युत या भाप उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है, जो ऊर्जा का एक स्रोत प्रदान करता है।
  • स्थान की बचत: भस्मीकरण से अपशिष्ट की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आती है, जिससे लैंडफिल की आवश्यकता कम हो जाती है।

भस्मीकरण के खिलाफ तर्क

  • हानिकारक उत्सर्जन: यदि उचित रूप से नियंत्रित दहन न किया जाए,तो दहन से डाइऑक्सिन, फ्यूरान एवं  भारी धातु जैसे हानिकारक प्रदूषक निकल सकते हैं।
  • स्वास्थ्य जोखिम: इन प्रदूषकों के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएँ, कैंसर एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
  • वायु एवं जल प्रदूषण: दहन से बची हुई राख एवं  धुआंयुक्त गैसें पर्यावरण को दूषित कर सकती हैं।
  • उच्च लागत: भस्मक का निर्माण एवं संचालन महँगा है, तथा इस प्रक्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण रखरखाव की आवश्यकता होती है।

भस्मीकरण के वैकल्पिक समाधान

  • सुरक्षित लैंडफिल निपटान: इस विकल्प में अपशिष्ट को विशेष रूप से डिजाइन किए गए लैंडफिल में संग्रहित किया जाएगा, जिसमें रिसाव को रोकने के लिए सुरक्षा की कई परतें होंगी।
  • विट्रीफिकेशन: इस प्रक्रिया में अपशिष्ट को उच्च तापमान पर पिघलाकर ठोस कांच का ब्लॉक बनाया जाता है, जो स्थिर एवं  गैर-रिसावशील होता है।
  • प्लाज्मा आर्क प्रौद्योगिकी: यह प्रौद्योगिकी अपशिष्ट को उसके मूल तत्वों में विघटित करने के लिए उच्च तापमान वाले प्लाज्मा का उपयोग करती है, जिसका बाद में सुरक्षित रूप से निपटान किया जा सकता है।

Source: TH