पाठ्यक्रम: GS2/शिक्षा
संदर्भ
- शिक्षा मंत्रालय (MoI) की शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (UDISE+) रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में 2023-24 में छात्रों के कुल नामांकन में एक करोड़ से अधिक की गिरावट आई है।
परिचय
- स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DOSEL) ने संदर्भ वर्ष 2018-19 से “शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (UDISE+)” विकसित की है।
- यह स्कूल स्तर पर डेटा को ऑनलाइन अपलोड करने की सुविधा प्रदान करता है, जिसके बाद ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर पर डेटा का सत्यापन किया जाता है।
- यह डेटा प्री-प्राइमरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- नामांकन संख्या में कमी: शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कुल 24.8 करोड़ छात्र नामांकित होंगे।
- 2022-23 में 2018-19 की तुलना में 6% की गिरावट आई।
- 2023-24 में यह गिरावट प्राथमिक (कक्षा 1 से 5), उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) एवं माध्यमिक (कक्षा 9 और 10) स्तरों पर देखी गई है।
- इसके विपरीत, पूर्व-प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 11 और 12) स्तर पर 2023-24 में नामांकन में वृद्धि देखी गई है।
- नामांकन में लिंगवार गिरावट: 2023-24 में, 2018-19 की तुलना में लड़कों के नामांकन में 4.87% की कमी आई।
- इसी अवधि में लड़कियों के नामांकन में 4.48% की कमी आई।
- राज्यवार गिरावट: बिहार, उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नामांकन में सबसे अधिक गिरावट देखी गई।
- बुनियादी ढाँचे में अंतराल: केवल 57.2% स्कूलों में कार्यात्मक कंप्यूटर हैं, 53.9% में इंटरनेट है, और 52.3% में रैंप हैं, जो पहुँच एवं तकनीकी तत्परता में महत्त्वपूर्ण अंतराल को रेखांकित करता है।
भारत में शिक्षा प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ
- पहुँच में असमानता: शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों तथा विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में महत्त्वपूर्ण असमानता है।
- शिक्षा की गुणवत्ता: यद्यपि नामांकन दरें ऊँची हैं, लेकिन पुरानी शिक्षण पद्धतियों, कुशल शिक्षकों की कमी एवं अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे के कारण शिक्षा की गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है।
- उच्च ड्रॉपआउट दर: कई छात्र, विशेष रूप से माध्यमिक स्तर पर, वित्तीय बाधाओं, कम उम्र में विवाह, या रुचि की कमी जैसे कारणों से पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: कई स्कूलों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बुनियादी ढाँचे जैसे कक्षाएँ, शौचालय एवं विद्युत सुविधाओं का अभाव है, जिससे सीखने का माहौल सीमित हो जाता है।
- रटने पर ध्यान देना: शिक्षा प्रणाली प्रायः आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता एवं समस्या-समाधान कौशल की तुलना में रटने पर अधिक बल देती है।
- अपर्याप्त वित्तपोषण: शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय प्रायः अपर्याप्त होता है, जिसके परिणामस्वरूप स्कूलों, शिक्षकों एवं शैक्षिक सुधारों के लिए संसाधन सीमित हो जाते हैं।
- अतिभारित पाठ्यक्रम: पाठ्यक्रम प्रायः बहुत कठोर एवं विषय-वस्तु से अत्यधिक बोझिल होता है, जिससे व्यावहारिक कौशल एवं पाठ्येतर गतिविधियों के लिए बहुत कम जगह बचती है।
- उच्च शिक्षा तक पहुँच: यद्यपि विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों की संख्या में वृद्धि हुई है, फिर भी गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की माँग अभी भी आपूर्ति से अधिक है, जिसके कारण तीव्र प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
- तकनीकी एकीकरण: यद्यपि डिजिटल शिक्षा का प्रचलन बढ़ रहा है, फिर भी कई ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुँच सीमित है, जिससे डिजिटल विभाजन बढ़ रहा है।
सरकार की पहल
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009: 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं बिना किसी भेदभाव पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- मध्याह्न भोजन योजना: सरकारी स्कूलों में छात्रों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है ताकि स्कूल में उपस्थिति को बढ़ावा मिले, पोषण में सुधार हो और स्कूल छोड़ने की दर में कमी आए।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे निम्न आय वाले परिवारों के छात्रों को सरकारी शिक्षा लाभ एवं छात्रवृत्ति तक पहुँच प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।
- माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना: इसका उद्देश्य वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- स्वच्छ विद्यालय अभियान: विद्यालयों में बेहतर स्वच्छता सुविधाएँ, स्वच्छ पेयजल, शौचालय एवं बालिकाओं की शिक्षा को समर्थन प्रदान करने के लिए बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करना।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम: डिजिटल शिक्षण संसाधनों तक पहुँच प्रदान करके और डिजिटल विभाजन को पाटकर शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण को बढ़ावा देता है।
- छात्रवृत्ति एवं वित्तीय सहायता: सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए विभिन्न छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता कार्यक्रम प्रदान करती है, जैसे पोस्ट-मैट्रिक एवं प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति।
- नई शिक्षा नीति 2020:
- प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) पर जोर, विशेष रूप से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए।
- स्कूल एवं उच्च शिक्षा के स्तर पर बहु-विषयक शिक्षा को प्रोत्साहित करता है।
- 5+3+3+4 स्कूल संरचना (5 वर्ष की नींव, 3 वर्ष की तैयारी, 3 वर्ष की मध्य एवं 4 वर्ष की माध्यमिक शिक्षा) की शुरूआत।
- रटने की बजाय आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता एवं समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित करें।
Source: TH
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